आतंकियों से मुठभेड़ में चूरू का जवान शहीद

Share:-

जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन के दौरान हुआ हमला, दो आतंकियों को किया ढेर

सादुलपुर (चूरू), 17 सितंबर (ब्यूरो) : जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से हुई मुठभेड़ में चूरू का लाल शहीद हो गया। शनिवार रात 12.15 बजे 14 आरआर और गढ़वाल राइफल्स का जॉइंट सर्च ऑपरेशन चल रहा था। इसी दौरान सामने से आतंकियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें योगेश कुमार (28) शहीद हो गए। शहीद के पिता पृथ्वी सिंह (65) ने बताया कि शनिवार आधी रात को 14 आरआर बटालियन के अधिकारी ने योगेश की पत्नी सुदेश को फोन करके ऑपरेशन में योगेश के शहीद होने की जानकारी दी। योगेश की पार्थिव देह सोमवार को दिल्ली पहुंचेगी। इसके बाद उसे सादुलपुर स्थित उनके पैतृक गांव लंबोर बड़ी लाया जाएगा। योगेश इंडियन आर्मी की 18 केवलरी की 14 राष्ट्रीय राइफल में सिपाही के पद पर तैनात थे। वे 2013 में खेल कोटे से सेना में भर्ती हुए थे।
चूरू के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों के साथ शनिवार रात मुठभेड़ में योगेश कुमार ने दो आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद मुठभेड़ में वे शहीद हो गए। योगेश करीब 8 माह पूर्व छुट्टी पर घर आए थे। उनकी पत्नी सुदेश (23) चिकित्सा विभाग में जीएनएम के पद पर कार्यरत है। योगेश का चार साल का पुत्र हरदीप तथा नौ माह की पुत्री निशा है। सरपंच जोगेंद्र सिंह ने शहीद के अंतिम संस्कार के लिए भूमि दान की है। इस भूमि पर शहीद की प्रतिमा भी लगाई जाएगी।

पिता बोले-4 बेटे होते तो भी देश को दे देता
योगेश के पिता पृथ्वी सिंह किसान हैं और मां विमला देवी गृहिणी हैं। पैतृक गांव लंबोर में उनका खेत और पुराना घर है। इनदिनों पृथ्वी सिंह गांव में खेतीबाड़ी संभालने आए हुए थे। सूचना मिलते ही उनके घर आस-पास के लोगों की भीड़ लग गई। उन्होंने कहा कि मेरा एक ही बेटा था, जो देश के लिए काम आया। मेरे 4 बेटे होते तो भी मैं देश के लिए दे देता। मुझे गर्व है कि मेरे बेटे ने सीने पर गोली खाई। उसने रणभूमि में पीठ नहीं दिखाई।

दिसंबर में छुट्टी पर आने का किया था वादा
सादुलपुर तहसील के गांव बन गोठड़ी निवासी दोस्त अंकित पुत्र जयवीर ने बताया कि वह भी आर्मी में हैं और जम्मू-कश्मीर में ही तैनात हैं। शनिवार शाम 6 बजे मिशन पर जाने से पहले फोन पर बात हुई थी। योगेश ने बताया कि वह दिसंबर में छुट्टी पर आएगा। अभी तीन साल की नौकरी और बची थी। उसके बाद वे रिटायर होने वाले थे। हर सैनिक का सपना होता है कि वह देश के लिए कुछ ऐसा करे, जिससे उसका नाम इतिहास में लिखा जाए। आज योगेश ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। ये एक सैनिक के लिए सौभाग्य की बात है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *