BARMER NEWS :पायलट बोले- पेपरलीक पर कार्रवाई में समय क्यों लगता है?:मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता रहूंगा

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पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पेपरलीक और करप्शन के मुद्दे पर एक बार फिर नाम लिए बिना सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। कहा- आज प्रदेश में कहीं लूटपाट और भ्रष्टाचार होता है तो उसके खिलाफ हमें आवाज बुलंद करनी पड़ेगी।

मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की। हो सकता है कई लोगों को बात पसंद नहीं आई हो, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। पायलट शनिवार को बाड़मेर में मंत्री हेमाराम चौधरी के बेटे की याद में बनाए गए हॉस्टल के लोकार्पण के बाद हुई सभा में बोल रहे थे।

पायलट ने कहा- दीमक की तरह भ्रष्टाचार खा रहा है। ईमानदारी, सादगी और अच्छे आचरण वाले, साफ छवि के लोग राजनीति में आएंगे। अहम पदों पर बैठेंगे, कोई पद हो, अच्छे लोगों का चयन करना है। साफ छवि के लोग राजनीति में आएंगे।

पेपरलीक पर कार्रवाई में इतना समय क्यों लगता है?
यलट ने पेपरलीक के मुद्दे पर कहा- आज हमारे बच्चे सालों से मेहनत करते हैं। उनके मां-बाप पेट काटकर उनको पढ़ाते हैं। बच्चे एग्जाम देते हैं। पेपरलीक हो जाता है। पेपर कैंसिल हो जाता है। हमें दुख नहीं होता।

उस पर कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लगता है? न्याय दिलाने में इतने पीड़ा क्यों होती है? क्योंकि उन कुर्सियों पर वह लोग नहीं बैठे जो यहां से निकल कर गया है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर जाने वाले लोग नहीं हैं। उन कुर्सियों पर वे लोग नहीं बैठे जिनका दिल दुखता हो, जिनको 10 और 15 हजार की कीमत पता हो।

पायलट ने कहा- हेमाराम जो कहते हैं वही मैं करता हूं
पायलट ने मंत्री हेमाराम चौधरी की तारीफ करते हुए कहा- हेमाराम चौधरी इतने पदों पर रहे, लेकिन इनके दामन पर कोई दाग नहीं लगा। इनका कुर्ता आज भी सफेद है। हेमाराम जो बोल देते हैं, मैं वही करता हूं। राजनीति में सुझाव देने वाले कई लोग होते हैं।

जब सब तरफ से सुझाव आ जाते हैं, सबकी सुन लेता हूं। उसके बाद मैं हेमाराम को फोन करता हूं कि क्या करना है? हमारी ट्यूनिंग बैठी हुई है। मैं वही करता हूं जो ये सुझाव देते हैं। हमारी जाति क्या होगी, हम कहां पैदा होंगे? यह हमारे हाथ में नहीं है। होश संभालने के बाद हम कैसा बर्ताव करते हैं। उस पर सब निर्भर करता है। रिश्ते बनाने से बनते हैं। इस रिश्ते को हम कायम रखेंगे।

किसान के बेटे कुर्सियों पर नहीं बैठे, इसलिए संवैधानिक हम भी मांगना पड़ता है

पायलट ने कहा- मैं हरीश चौधरी की बात का समर्थन करता हूं। हमें अपने संवैधानिक अधिकार लेने के लिए आग्रह क्यों करना पड़ता है? क्योंकि उन कुर्सियों पर वे लोग नहीं बैठे जो ग्रामीण क्षेत्र और किसान का दर्द समझते हों।

मेरे पिता कहा करते थे कि जिस दिन फैसला करने वाली इन कुर्सियों पर गरीब किसान के बच्चे बैठे होंगे। उस दिन तो हमारे काम अपने आप हो जाएंगे। आंकड़ों के जाल में फंसाकर काम अटकाए जाते हैं। जो बच्चा गांव में रह रहा है। उसे मालूम है कि किसानी की क्या चुनौतियां हैं? जिसे जानकारी नहीं कि किसानी का आम आदमी का संघर्ष कैसा है। वह समस्या का समाधान नहीं कर सकता।

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