जब देश का सर्वांग परिपूर्ण और स्वस्थ्य होगा तभी भारत बनेगा विश्व गुरु : मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि जब देश का सर्वांग परिपूर्ण और स्वस्थ होगा तभी भारत विश्वगुरु बनेगा। हमें सेवा भाव से समाज के हर अंग को सबल और पूरे विश्वको कुटुंब बनाना है। ऐसा तभी संभव है, जब सेवा का कार्य समाजव्यापी अभियान बन जाए। हमें ऐसा प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि लोग अपनी चुनौतियों को और समस्याओं को समाप्त कर, संपूर्ण विश्व को भक्ति, ज्ञान और कर्म का उदाहरण प्रस्तुत करें। साथ ही सेवा करने वाली सज्जन शक्ति एक समूह बनकर परस्पर मिलकर चले। इससे हम अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। सरसंघचालक ने इस दौरान लोगों का याद दिलाया कि सेवा का मंत्र हमारे देश में बहुत पहले से विद्यमान रहा है। उन्होंने कहा कि सेवा का भाव संवेदना प्रधान है। हालांकि संवेदना मानव से इतर पशुओं में भी होती है और अक्सर यह परिलक्षित भी होता है, लेकिन संवेदना में कृति का भाव केवल मनुष्य तक ही सीमित है। उन्होंने कहा यह कृति ही करुणा है। सी-20 ग्रुप की बैठक का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी करुणा को आधार बनाना चाहिए। सरसंघचालक ने इसी निरंतरता पर जोर देते हुए कहा कि मेरे पास जो है, वह सबके लिए है। सब में मैं हूं और मुझमें सब हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सेवा के द्वारा सबको अपने जैसा बनाना हमारा परम उद्देश्य होना चाहिए। इससे समाज का हर भाग स्वावलंबी होगा और देश में कोई पिछड़ा अथवा दुर्बल नहीं रहेगा।

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