विवादित फाइलों से बच रहे मंत्री, 25 हजार वर्गमीटर की जमीन को कर सकेंगे 90ए

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UIT और विकास प्राधिकरण के कमिश्नरों की पॉवर बढ़ाई

जयपुर .
मौजूदा सरकार के कार्यकाल को अब केवल 3-4 माह का समय बचा है। ऐसे में सभी मंत्री अपने विभागों को लेकर सचेत हो गए हैं। वे किसी भी विवादित मामले की फाइल पर हस्ताक्षर करने से दूरी बनाने लगे हैं। नगरीय विकास विभाग में भी हालात ऐसे ही हैं।
कुछ विभागीय आदेशों के जरिए संबंधित अधिकारियों की पावर बढ़ा दी गई है। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने एग्रीकल्चर जमीन की 90ए और उसके पट्टे जारी करने के अधिकार भी अधिकारियों को दे दिए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भूमि अवाप्ति के मुआवजे से संबंधित सारे अधिकार विभाग के अधिकारियों को दे दिए गए थे।
नगरीय विकास विभाग से जारी आदेशों के मुताबिक सरकार ने अब विकास प्राधिकरण, यूआईटी (नगर विकास न्यास) या दूसरी नगरीय निकाय (नगर पालिका, नगर परिषद या नगर निगम) में मौजूद एग्रीकल्चर जमीन की 90ए और उसके पट्टे जारी करने का अधिकार अफसरों को दे दिया है।

यूआईटी लेवल पर सचिव और विकास प्राधिकरण स्तर पर कमिश्नर अब 25 हजार वर्ग मीटर एग्रीकल्चर जमीन की 90ए करके उसका आवासीय, फार्म हाउस या रिसोर्ट निर्माण के लिए पट्टा जारी कर सकते हैं।

इसी तरह कमर्शियल उपयोग के लिए ये सीमा 15 हजार वर्ग मीटर की कर दी है। अभी तक यूआईटी और विकास प्राधिकरण स्तर पर आवासीय जमीन के लिए 10 हजार वर्ग मीटर और कमर्शियल के लिए 4 हजार वर्ग मीटर तक 90ए करने और पट्टा जारी करने के पॉवर कमिश्नर या सचिव स्तर पर थे।

निकायों में भी बढ़ा अधिकारों का दायरा
इसी तरह नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम एरिया में कमिश्नर या प्राधिकृत अधिकारी 15 हजार वर्गमीटर आवासीय उपयोग के लिए जमीन का पट्टा जारी कर सकता है। अभी तक इन अधिकारियों के पास केवल 5 हजार वर्गमीटर जमीन के पट्‌टे जारी करने के ही अधिकार थे। इससे बड़ी साइज की जमीन के लिए फाइल को मंत्री स्तर पर भेजना पड़ता था।

पिछले कार्यकाल का बुरा अनुभव
सूत्रों के मुताबिक अधिकारों को डाइवर्ट करने का एक कारण पिछले कार्यकाल का अनुभव बताया जा रहा है। पिछली बार जब साल 2013 में सरकार के बदलाव के बाद सत्ता में भाजपा की सरकार आई थी। तब वसुंधरा सरकार ने गहलोत सरकार के आखिरी 6 माह के कार्यकाल की जांच करवाई थी।
इसके अलावा एकल पट्टा प्रकरण की भी पिछली भाजपा सरकार ने जांच की थी। जिसमें यूडीएच मंत्री धारीवाल के जेल जाने के स्थिति बन गई थी। हालांकि, धारीवाल उस प्रकरण में जेल नहीं गए, लेकिन तत्कालीन यूडीएच के प्रमुख शासन सचिव जी.एस. संधु, जेडीए के उपायुक्त और यूडीएच के डिप्टी सेक्रेट्री को जेल जाना पड़ा था।

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