रिलायंस का मार्केट-कैप ₹38,495 करोड़ गिरा

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मार्केट-कैप के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 7 को पिछले हफ्ते कुल ₹62,279.74 करोड़ का नुकसान हुआ। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) सबसे बड़ी लूजर रही, जिसका मार्केट कैप ₹38,495.79 करोड़ गिरकर ₹16,32,577.99 रह गया। हालांकि, टोटल मार्केट कैप के हिसाब से RIL आज भी सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है।

इसके अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), ICICI बैंक, हिन्दुस्तान यूनिलीवर, ITC, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और भारती एयरटेल मार्केट में सबसे ज्यादा नुकसान में रहने वाली कंपनियां रहीं।

वहीं HDFC बैंक, इंफोसिस और बजाज फाइनेंस बीते हफ्ते मार्केट में टॉप गेनर रहे। अगस्त के दूसरे सप्ताह में HDFC बैंक नुकसान में रहने वाली सबसे बड़ी कंपनी रही, जिसके मार्केट कैप में ₹25,011 करोड़ की गिरावट देखने को मिली थी। पिछले सप्ताह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में 500 अंकों की बढ़त देखी गई।
हाल ही में जियो ने अपनी AGM में ‘जियो एयर फाइबर’ के लॉन्च की घोषणा की थी
हाल ही में मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की 46वीं एनुअल जनरल मिटिंग में कई बड़े ऐलान किए थे। इसमें सबसे बड़ी घोषणा बिना वायर के फास्ट ब्रॉडबैंड की सुविधा देने के लिए ‘जियो एयर फाइबर’ के लॉन्च की थी।

वहीं रिलायंस के बोर्ड में आकाश अंबानी, अनंत अंबानी और ईशा अंबानी को नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इसके अलावा यह भी बताया गया कि, मुकेश अंबानी, अगले 5 साल तक RIL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बने रहेंगे।

मुकेश अंबानी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि रिलायंस अगले दशक में अपने सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए जो वैल्यू क्रिएट करेगी वह पिछले 45 वर्षों में जनरेट हुई वैल्यू से कई गुना ज्यादा होगी।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहार उसके सभी शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या x शेयरों की कीमत

मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स से लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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