सिकंदरा :भूपेश के बढ़ते विरोध के चलते कितनी कारगर साबित होगी प्रियंका गांधी की चुनावी सभा

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ज्यों ज्यों विधान सभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं नेता चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडे अपनाने में लगे हुए हैं। सिकराय में ममता भूपेश ने बढ़ते विरोध के चलते एक नया दांव खेला है। राजस्थान में होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत प्रियंका गांधी की 20 अक्टूबर को भूपेश के विधान सभा क्षेत्र सिकराय में चुनावी सभा करेंगी। राजस्थान में 23 नवंबर को होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं की सक्रियता तेज हो गई है। इसको लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी एक बार फिर राजस्थान में अपने चुनावी कैंपेन को शुरू करने वाली है। इसके माध्यम से प्रियंका राजस्थान में कांग्रेस के लिए माहौल को मजबूत करने का प्रयास करेंगी। प्रियंका गांधी 20 अक्टूबर को दौसा जिले के सिकराय विधानसभा क्षेत्र में अपनी चुनावी सभा को संबोधित करेंगी। इसके लिए कांग्रेस ने व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन दौसा जिले के विधानसभा चुनावों में जातिगत आधार पर राजनीति हावी होने के कारण प्रियंका गांधी की चुनावी सभा भूपेश के लिए कितनी कारगर साबित हो पाती है ये तो आने वाला समय ही बता पाएगा।

मैं पास होऊंगी या फेल :
ममता भूपेश को चुनावी परीक्षा का डर तो पहले ही सताने लगा था भूपेश ने सिकराय में सावन महोत्सव 2023 में ये तक कह दिया था “एक बार सरकारी नौकरी लग जाती है तो, 60 साल तक परमानेंट रहते हैं। लेकिन हम राजनेताओं की हर 5 साल में परीक्षा होती है। तीन-चार महीने बाद मेरी भी परीक्षा होने वाली है। मैं इसमें पास होऊंगी या फेल, मुझे मालूम नहीं। मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं कि आपका सहयोग और आशीर्वाद पहले की तरह बनाए रखिएगा।” भूपेश के क्षेत्र में भी विरोध के आए दिन वीडियो सोशल मीडिया पर आचार संहिता से पहले ही वायरल होते देखे गए हैं। दौसा के सर्किट हाउस में जब धीरज गुर्जर और प्रताप सिंह खाचरियावास आए थे तो उनके सामने भी भूपेश को खासा विरोध झेलना पड़ा था। सिकराय विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरण हमेशा से हावी रहे हैं। पिछले विधान सभा चुनाव में बीजेपी मीणा मतदाताओ में सेंध लगा पाने में कामयाब नहीं हो पाई थी जिसके चलते ममता भूपेश विधायक बनने में कामयाब हो गई थी। लेकिन इस बार सिकराय विधान सभा क्षेत्र में परिस्थितियां बदली-बदली दिखाई दे रही हैं भूपेश को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। एकबार तो आचार संहिता से पहले ही भूपेश को काले झंडे तक दिखा दिए गए थे। भूपेश के सियासी विरोधियों का कहना है अशोक गहलोत के काम-काज से नाराज नहीं है,अशोक गहलोत ने तो प्रदेश की जनता के लिए खूब योजनाएं चलाई हैं बल्कि इसलिए नाराज हैं भूपेश ने चुनाव जीतते ही क्षेत्र से दूरी बना ली थी। पार्टी कार्यकर्ताओं तक की सुध तक नहीं ली, बल्कि अपने ही कार्यकर्ताओं पर सनसनीखेज आरोप लगा दिया था। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के लिए ये तक बड़े बोल बोल दिए थे कांग्रेस कार्यकर्ता तबादलों और पोस्टिंग की सुविधा के लिए रिश्वत लेने में शामिल हैं,स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए रिश्वत ली जा रही है। वायरल हुए एक वीडियो में भूपेश ने कांग्रेस कार्यकर्ता पर एक अधिकारी के तबादले के लिए 3 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया था। पूर्वी राजस्थान की लंबे समय से ईआरसीएपी की उठ रही मांग में भी भूपेश ने कोई खासी दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके चलते भी लोगों में खासी नाराजगी है।

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