जैसलमेर में आये सैलानी भारतीय हिन्दु संस्कृति की विचारधारा व इसके क्रियाकलापों से काफी प्रभावित

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जैसलमेर आ रहे विदेशी सैलानियों में से बड़ी संख्या में सैलानी भारतीय हिन्दु संस्कृति की विचारधारा व इसके क्रियाकलापों से काफी प्रभावित होकर इसमें रमने लगे है। इसी संदर्भ में फ्रांस से आई 17 महिला सैलानियों के दल ने बुधवार को जहाँ जैसलमेर में संचालित हो रहे अष्टांग योग केन्द्र में योग का डंका बजाया वहीं गुरूवार को शहर के प्रसिद्व गड़ीसर झील पर इन दिनों चल रहे श्राद्व पक्ष में अपने दिवंगत परिजनों का शोक मनाते हुवे उनकी आत्मा की शांति के लिये मंत्रोच्चार के साथ श्राद्व पक्ष में तर्पण किया व उनके मोक्ष की कामना की।
किसी ने अपने दादा.दादी तो किसी ने अपने नाना.नानी की आत्मा के मोक्ष के लिए तर्पण किया।

असल में पिछले 7.8 दिनों से जैसलमेर में फ्रांस से आया करीब 17 महिला सैलानियों का दल जैसलमेर के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर देखा जा रहा थाए ग्रुप लीडर सनड्रन के नेतृत्व में आया यह महिलाओं का दल जैसलमेर में हिन्दु संस्कृति से इतना प्रभावित हुवा कि इस दल ने न केवल हिन्दु संस्कृति के गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की वहीं इन दिनों श्राद्व पक्ष के बारे में भी कई जानकारों से जानकारी हासिल की। यह महिलाओं का दल योग के क्रियाकलापों से काफी प्रभावित पहले से ही थाए फ्रांस में बड़ी संख्या में महिलाएं योग की कक्षाओं में जाकर प्रतिदिन योगिक क्रियाओं व मेडिटेशन में तलीन होती थी। इसी संदर्भ में इन महिलाओं को जैसलमेर के अष्टांग योग केन्द्र में प्रतिदिन चलने वाले योग केन्द्र के बारे में जानकारी मिली तो यह सभी महिलाएं अपने को रोक नहीं पाई व बुधवार को इस योग केन्द्र में पहुंच गई। इन महिलाओं ने इस प्रशिक्षित योगिनी की तरह योग क्लास में लगभग सारी योगिक क्रियाएं करी व ध्यान भी लगाया।

इसी संदर्भ में इन विदेशी महिलाओं को इन दिनों श्राद्व पक्ष के बारे में जानकारी मिली तो वे गुरूवार को स्थानीय ऐजेन्ट के जरिये एक पंडित से बातचीत की। अपने दादा.दादी और नाना.नानी का श्राद्ध करने की इच्छा जाहिर की बाद में सब कुछ तय होने पर इन महिलाओं ने गड़ीसर झील पर जाकर सनातन रीति.रिवाज से पूजा.पाठ कर अपने पुरखों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना की।

गुरुवार को श्राद्ध पक्ष का महत्व जानने के बाद गड़ीसर लेक में तर्पण की क्रिया कर पुरखों की आत्मा की शांति की कामना की। महिलाओं के साथ आई उनकी ग्रुप लीडर सनड्रीन ने सभी सैलानियों को समझाया। गड़ीसर लेक में श्राद्ध की सभी रस्मों को पूरा कर सामग्री को पानी में बहाया।

फ्रांस से आए 17 महिलाओं के ग्रुप ने बड़े ही मनोयोग से पंडित जी द्वारा बताई सभी क्रियाओं को किया गया। सनड्रीन ने बताया कि सभी श्राद्ध कर भावुक थी। उनके मन में जो बोझ थाए वह उतर गया। पितरों का तर्पण कर सभी का मन शांत हो गया। अब उनके पूर्वजों को निश्चित रूप से शांति मिल सकेगी।

पंडित आनंद रामदेव ने बताया कि जब विदेशियों द्वारा श्राद्ध पक्ष में अपने मृत पूर्वजों के लिए तर्पण क्रिया और श्राद्ध करवाने की बात कही गई तो अपनी सभ्यता संस्कृति पर बड़ा गर्व हुआ। विदेशियों में श्राद्ध आदि नहीं मनाया जाता है। ऐसे में विदेशी महिलाओं के लिए श्राद्ध की सभी सामग्री इकट्ठी की गई और सनातन धर्म के अनुसार श्राद्ध के मंत्र आदि के साथ तर्पण करवाया गया। इस दौरान 17 महिलाओं ने अपने.अपने मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

किसी ने अपने दादा.दादी तो किसी ने अपने नाना.नानी की आत्मा के मोक्ष के लिए तर्पण किया।

ग्रुप की लीडर सनड्रीन ने बताया कि सभी को श्राद्ध पक्ष की जानकारी दी थी। तब महिलाओं ने भी इस रीति.रिवाज को पूरे मन से करने की ठानी। इस बारे में

महिलाओं का कहना था कि इसके बाद वे काफी शांत महसूस कर रही है । पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगीए इसे लेकर काफी सुकून महसूस कर रही थी।

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