डॉ. एस. आर. रंगनाथन की जयंती पर विचार गोष्ठी

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लाईब्रेरीज ‘नॉलेज मॉल‘ के रूप में विकसित हो-शासन सचिव

बड़े रीडिंग कॉर्नर और ऑडियो-वीडियो रूम संग नई जनरेशन के रीडर्स पर फोकस जरूरी

जयपुर, 18 अगस्त। लाइब्रेरीज को तकनीक के बदलते दौर में नई जनेरशन की आवश्यकता और सुविधाओं का ध्यान रखते हुए बड़े रीडिंग कॉर्नर के साथ ऑडियो-वीडियो रूम जैसे अध्ययन के आधुनिक तौर तरीको को अपनाने की दिशा में सोचना होगा। हमें परम्परागत ढंग से पुस्तकालयों के संचालन के बजाय उनको ‘नॉलेज मॉल‘ बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। यह बात स्कूल शिक्षा तथा भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के शासन सचिव श्री नवीन जैन ने शुक्रवार को जयपुर में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एस. आर. रंगनाथन की जयंती के मौके पर डॉ. राधाकृष्णन राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय में राजस्थानी मेडिकल पुस्तकालय संघ (आरएमएलए) के सहयोग से ‘तकनीकी युग में पुस्तकालयों की प्रासंगिकता एवं चुनौतियां‘ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहीं।

श्री जैन ने कहा कि रीडर्स की पढ़ने की जिज्ञासा और रूचि की पूर्ति के लिए लाईब्रेरीज की दुनियां में आज ऑडियो बुक से लेकर किंडल प्लेटफार्म और अब ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस‘ (आई) का दौर आ गया है। पुस्तकालयों को नए जमाने की ऐसी तकनीक और बदलावों को परम्परागत पद्धति के साथ समाहित करने की आवश्यकता है, तकनीक से टकराव की प्रवृति को त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के तहत संचालित राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालयों में भी नई तकनीक और नवाचारों को अपनाते हुए उन्हें और अधिक ‘रीडर्स फ्रेंडली‘ बनाने की दिशा में पहल और प्रयास किए जा रहे हैं।

केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा में पुस्तकालय एवं सूचना विभाग के प्रोफेसर दिनेश गुप्ता ने गोष्ठी के शुरुआती सत्र में अपने विशेष उद्बोधन में कहा कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के युग में लाईब्रेरीज को ‘लाइफ लॉन्ग लनर्स‘ की जरूरतों को पूरा करने की सोच के साथ कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ पुस्तकालय की फिलॉसफी भी बदल रही है, ऐसे में हमें तकनीक के माध्यम से अलग-अलग स्तरों पर संचालित लाईब्रेरीज के ‘इंटीग्रेशन‘ पर भी कार्य करना होगा। सत्र की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान विश्वविद्यालय में दक्षिण एशिया अध्ययन केन्द्र के पूर्व निदेशक प्रोफेसर करोरी सिंह ने पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च और इनोवेशन पर बल देते हुए कहा कि लाइब्रेरीज नए बदलावों को अपनाने के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने लाईब्रेरीज की दुनियां में एआई जैसी तकनीक के फायदे बताते हुए इनको अपनाने के लिए लाईब्रेरियन और इनके संचालन से जुड़े कार्मिकों की ‘कैपेसिटी बिल्डिंग‘ को अहम बताया।

भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की निदेशक सोविता माथुर ने कहा कि प्रदेश के पुस्तकालयों के जरिए रीडर्स और स्टूडेंट में लर्निंग का माहौल क्रिएट करने की दिशा में विशेष कार्ययोजना बनाकर प्रयास किए जाएंगे। आरएमएलए के अध्यक्ष डॉ. पी. आर. मीणा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, वहीं भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की विशेषाधिकारी डॉ. पूनम गुप्ता ने सभी का आभार जताया। गोष्ठी लाइब्रेरी साइंस क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों के अलावा विद्यार्थी, रीडर्स और अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। उद्घाटन सत्र के बाद पुस्तकालयों के तकनीकीकरण के विभिन्न आयाम, पुस्तकालयों की चुनौतियां और उपादेयता तथा पुस्तकालयों के भविष्य की दिशा जैसे विषयों पर विशेष सत्रों का आयोजन किया गया।

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