गैगरीन से हुई मौत को हार्ट डिजीज बताकर क्लेम नहीं दिया, उपभोक्ता आयोग ने दिलवाया 18.80 लाख रुपए का क्लेम

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जयपुर, 1 जनवरी। जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय ने बीमा कंपनी की ओर से बीमित की गैगरीन रोग से हुई मौत को हार्ट डिजीज बताते हुए परिजनों का हाउसिंग लोन का बकाया राशि का क्लेम खारिज करने को सेवादोष करार दिया है। वहीं बीमा कंपनी फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस पर 55 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए उसे निर्देश दिया है कि वह परिवादिया को 18,80,655 रुपए 12 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करे। आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना ने यह आदेश नाथी देवी के परिवाद पर दिया। परिवाद में कहा गया कि परिवादिया के पति गणपतलाल वर्मा ने एयू फाइनेंस कंपनी से 22 लाख रुपए का लोन लिया था। इसकी जीवन बीमा पॉलिसी विपक्षी बीमा कंपनी ने की। बीमा अवधि के दौरान बीमित की मृत्यु हो गई। जिस पर परिवादिया ने बीमा कंपनी से बीमा धन राशि को बकाया लोन राशि में समायोजित करने का क्लेम किया। लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहते हुए उसका क्लेम 29 मई 2019 को खारिज कर दिया कि उसने पूर्व में हुई बीमारियों के इलाज का ब्यौरा प्रस्ताव मेंं छिपाया था। इसे परिवादिया ने उपभोक्ता अदालत में चुनौती देते हुए कहा कि सभी शर्तें पूरा होने पर ही फाइनेंस कंपनी ने परिवादी पक्ष को लोन दिया था और विपक्षी बीमा कंपनी ने उनका बीमा किया था। बीमा कंपनी ने खुद ही बीमा धारक का पूरा हैल्थ चैक अप नहीं कराया था और उसके पति की मृत्यु हार्ट डिजीज से नहीं हुई है बल्कि गैगरीन रोग से हुई है जो एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। ऐसे में बीमा कंपनी द्वारा उसका क्लेम खारिज करना गलत है। आयेाग ने परिवादिया के पक्ष में फैसला देते हुए बीमा कंपनी पर 55 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए उसे क्लेम राशि देने का निर्देश दिया।

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