[अनुच्छेद 229] राज्य हाईकोर्ट कर्मचारी सेवा शर्तों पर सीजे की सिफारिशों पर तब तक आपत्ति नहीं कर सकता जब तक कि “बहुत अच्छे कारण” मौजूद न हों: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार की निंदा की

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि अनुच्छेद 229 (2) के तहत चीफ जस्टिस की शक्ति प्रकृति में सर्वोपरि है और एक बार जब चीफ जस्टिस अपने अधीन काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार करने के लिए प्रगतिशील कदम उठाते हैं तो राज्य सरकार आपत्ति नहीं कर सकती, जब तक बहुत अच्छे कारण न हों तब तक आपत्तियां उठाएं। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट नॉन-गजेटिड कर्मचारी/आधिकारिक कर्मचारी संघ द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में उन्होंने राज्य सरकार से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में उनके समकक्षों के साथ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट रजिस्ट्री के कर्मचारियों के वेतनमान में समानता लाने के लिए निर्देश मांगा।
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने तर्क दिया कि हिमाचल प्रदेश राज्य अपनी स्थापना के समय से ही वेतनमान, भत्ते और अन्य सुविधाओं के संबंध में पंजाब राज्य का पालन कर रहा है। उन्होंने प्रार्थना की कि चूंकि भारत सरकार ने 01.01.2006 से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सेवारत कर्मचारियों के मौजूदा वेतन में 20% की वृद्धि की है, इसलिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कर्मचारियों के लिए भी इसी तरह का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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