सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश, गोवा, नागालैंड, तमिलनाडु और तेलंगाना, और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और पुडुचेरी के गृह सचिवों को घोषित अपराधियों, जमानत/पैरोल नियमों का उल्लंघन करने वाले वाले व्यक्तियों से संबंधित डेटा जमा नहीं करने पर तलब किया। कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान पैरोल से बाहर निकलने वाले एक अपीलकर्ता की आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हरियाणा राज्य, बल्कि अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल और जिलेवार डेटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। डेटा उन लोगों को शामिल किया जाना था जो मुकदमे से पहले या उसके दौरान या पैरोल पर रिहा होने के बाद गिरफ्तारी से बच रहे हैं।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की एक खंडपीठ ने अड़ियल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को सुनवाई की अगली तारीख, यानी 13 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। पीठ ने टिप्पणी की, “हमारे पास आपको बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।” फरवरी 2020 में, हरियाणा सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि उस समय, राज्य में घोषित अपराधियों की कुल संख्या 6,428 थी, जमानत पर रिहा होने वालों की संख्या 27,087 थी और पैरोल पर रिहा होने वालों की संख्या 145 थी।