‘मजबूत भारत को कुछ लोग मजबूर दिखाना चाहते हैं’:जयपुर में उपराष्ट्रपति बोले- देश की गरिमा-संस्थाओं पर कोई कालिख लगाए और हम बर्दाश्त करें

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- आज भारत मजबूत स्थिति में है। पता नहीं कुछ लोग क्यों मजबूत भारत को मजबूर दिखाना चाहते हैं। मजबूरी की बात करने वालों को जवाब देना आप सभी का काम है। उपराष्ट्रपति सोमवार को दोपहर करीब 3.30 बजे महारानी कॉलेज में छात्राओं को राष्ट्रीय निर्माण में महिलाओं की भागीदारी विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्राओं से कहा- आप आलोचक बनें। समझदारी से काम लीजिए, अपनी बात रखिए। अंत में निर्णय देश के पक्ष में होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा- हमारे देश की गरिमा को, हमारी संस्थाओं पर कोई कालिख लगाए और हम बर्दाश्त करें। यह हमारी संस्कृति नहीं है। हमें आगे चलकर फ्रंटफुट पर खेलना चाहिए। हमें ऐसी ताकतों को नकारना है। मैंने महिला शक्ति को नजदीक से देखा है। उस शक्ति को नजदीक से परखा है। मैं तीन साल तक पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहा। वो समय भी इसमें जुड़ जाता है।

जो सीक्रेट सीएम गहलोत को नहीं बताया, आपको बताऊंगा

यहां के सीएम, जिन्हें जादूगर भी कहा जाता है। उन्होंने विधानसभा के कार्यक्रम में मुझसे पूछा था कि आपने ऐसा क्या जादू कर दिया कि ममता बनर्जी ने भी उपराष्ट्रपति बनने पर आपका विरोध नहीं किया। मैंने उनसे कहा था कि यह सीक्रेट है। पर मैं महारानी कॉलेज में यह सीक्रेट आकर बताऊंगा। महिला शक्ति के बारे में इतना ही कह सकता हूं कि मेरी एक ही ताकत है। मेरी नानी, मेरी दादी, मेरी मां और मेरी धर्मपत्नी। चारों की चारों अत्यंत प्रतिभाशाली और कठोर हैं। जब मुझे आवश्यकता पड़ी ये मेरे पीछे चट्टान की तरह खड़ी थीं। पांच दशक के दौरान बड़े उतार-चढ़ाव आए। मैं सौभाग्यशाली रहा कि यह मेरे साथ रहीं।

छात्राओं को दिया गुरुमंत्र
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने छात्राओं को गुरुमंत्र भी दिया। उन्होंने छात्राओं से कहा- आपको आज एक-दो गुरुमंत्र देकर जा रहा हूं। उसे जिंदगी में हमेशा फॉलो करना। पहला कभी टेंशन मत रखो। टेंशन से कुछ नहीं होगा। लोग कहते हैं कि आसमान गिर जाएगा। हजारों सालों में तो एक बार भी नहीं गिरा।

दूसरा कोई अच्छा विचार आपके दिमाग में आ गया है तो दिमाग को पार्किंग स्टेशन मत बनाओ। उसे इम्प्लीमेन्ट कीजिए। फेल होने से मत डरिए। बिना फेल हुए कोई विकास आज तक नहीं हुआ है। चांद पर भी कोई पहली बार में नहीं पहुंचा था।

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