शहीदों की वीरांगनाएं सीएम से मिलीं, कहा-सरकार का रुख एकदम सही

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-मुख्यमंत्री से बोलीं-सरकारी नौकरी वीरांगनाओं के बच्चों को ही मिलनी चाहिए
-गहलोत ने कहा-शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने देंगे

जयपुर, 11 मार्च (ब्यूरो): वीरांगनाओं की मांगों को लेकर चल रही राजनीतिक खींचतान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेशभर से शहीदों की वीरांगनाओं और बच्चों ने मुलाकात की। इस मुलाकात में वीरांगनाओं ने सरकार के रुख को एकदम सही बताया और कहा कि सरकारी नौकरी वीरांगनाओं के बच्चों को ही मिलनी चाहिए। किसी दूसरे का उस पर हक नहीं होना चाहिए। मुलाकात के दौरान गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के लिए शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वोच्च है। राज्य सरकार द्वारा शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार राजकीय सेवाओं में नियोजित किया जाता रहा है। भविष्य में भी नियमों की पालना की जाएगी। शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
गहलोत ने कहा कि पूर्व कार्यकाल में शहीदों के लिए कारगिल पैकेज लागू किया था। इस पैकेज के अंतर्गत वर्तमान में शहीदों के परिवार के लिए 25 लाख रुपए, 25 बीघा जमीन, हाउसिंग बोर्ड से आवास तथा आवास ना लेने पर अतिरिक्त 25 लाख रुपए, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी एवं गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित करने का प्रावधान है। साथ ही, शहीद के माता-पिता के लिए 5 लाख रुपए की एफ.डी. करवाने, शहीदों की प्रतिमा लगाने तथा किसी एक सार्वजनिक स्थल का शहीदों के नाम से नामकरण करने के प्रावधान भी किए गए थे। उन्होंने कहा कि शहीदों से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। वीरांगना या बच्चों के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान नियमों में नहीं है। यह मांग सही नहीं है, इससे भविष्य में वीरांगनाओं को अनुचित पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव झेलना पड़ सकता है। वहीं शहीदों की वीरांगनाओं ने इस अवसर पर राज्य सरकार की ओर से शहीदों के परिवारों को दिए जा रहे पैकेज पर संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नौकरी केवल शहीद की वीरांगना या बच्चों को ही दी जानी चाहिए।
ये कहा वीरांगनाओं ने
शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी वीरांगना कुसुम ने कहा कि देवर को नौकरी देने की मांग नियमानुसार नहीं है। धरने पर बैठी वीरांगनाओं की यह मांग नाजायज है। शहीद के बच्चों की जगह दूसरे पारिवारिक सदस्यों के लिए नौकरी की मांग के दुष्परिणाम अन्य वीरांगनाओं को भी झेलने पड़ते हैं। अनुचित मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन से सभी वीरांगनाओं की छवि प्रभावित होती है।
शहीद हवलदार श्याम सुन्दर जाट की पत्नी वीरांगना कृष्णा जाट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नौकरी पाने का अधिकार केवल शहीद के बच्चों को है। वीरांगनाओं द्वारा देवर, जेठ या अन्य पारिवारिक सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए आंदोलन करना गलत है। इस मामले में राज्य सरकार का रुख संवेदनशील एवं सही है।
शहीद लांस नायक मदन सिंह की पत्नी वीरांगना प्रियंका कंवर एवं शहीद हवलदार होशियार सिंह की पत्नी वीरांगना नमिता रामावत ने भी शहीद की वीरांगना एवं बच्चों के स्थान पर अन्य रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन को गलत एवं नियमों के विरुद्ध बताया।

किरोड़ी बोले-ये कैसी उलटबांसी
सीएम की इस मुलाकात के बारे में सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने ट्वीट कर कहा कि यह कैसी उलटबांसी है कि वीरांगनाओं का अपमान करने वाले गहलोत आज वीरांगनाओं से मुलाकात कर रहे हैं पर आपके द्वार पर दस दिनों तक आपसे मिलने की गुहार लगाने वाली भूखी-प्यासी वीरांगनाएं क्या आपको दिखाई नहीं दीं? वीरांगनाओं के साथ राजनीति करते हुए जरा भी लज्जा नहीं आती आपको? किरोड़ी ने कहा कि क्या मंजु जाट, सुंदरी गुर्जर, मधुबाला मीना वीरांगना नहीं हैं? मंजु जाट को आपने अपहृत कर छुपा रखा है पर वह वीरभार्या अब भी गरज रही है कि आप उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हो? श्रीमती मंजू जाट के सवालों का उत्तर भी तो दो।

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