राजस्थान में 1 मई 2017 से राजस्थान रीयल एस्टेट रेग्युलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) बन गई है। उसके बाद भी राजस्थान के कई शहरों में प्राइवेट डवलपर्स या निजी खातेदार या सोसायटी अपनी प्लॉटेड या मल्टी स्टोरी स्कीम में बने मकान बेच रहे है। ऐसी स्कीमों को उन शहरों की नगरीय निकाय (नगर पालिका, यूआईटी या विकास प्राधिकरण) नियमन भी कर रही है। इसकी लगातार मिल रही शिकायतों के बाद रेरा ऑथारिटी ने आज एक चेतावनी पत्र जारी किया है, जिसमें निकायों पर नियमों की पालना नहीं करने पर पेनल्टी लगाने के लिए कहा है।
ऐसा मामले की शिकायत रेरा ऑथोरिटी को पिछले कुछ समय से जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, अलवर समेत कई बड़े शहरों से लगातार मिल रही है। इन शिकायतों को देखते हुए ऑथोरिटी ने प्रदेश की सभी निकायों को चेताया है और कहा कि जब तक रेरा में किसी योजना का रजिस्ट्रेशन नहीं हो तब तक उसका न तो नियमन किया जाए और न ही उस योजना के आवंटियों को पट्टे जारी किए।
लोगों को ऐसे बेच रहे है मकान
जयपुर को छोड़कर प्राय ये दूसरे दूसरे शहरों में देखने को मिल रहा है जहां निजी विकासकर्ता या निजी खातेदार संबंधित नगरीय निकाय (नगर पालिका, यूआईटी या विकास प्राधिकरण) से अपनी स्कीम ले-आउट प्लान अप्रूव्ड करवाकर ही लोगों को बेच रहे है। जबकि नियमानुसार उस विकासकर्ता को अपनी स्कीम निकाय से अप्रूव्ड करवाने के बाद रेरा ऑथोरिटी में रजिस्टर्ड करवानी होती है। ताकि आमजन के साथ अगर कोई डवलपर चिटिंग करता है तो उस पर रेरा ऑथोरिटी कार्यवाही कर सके। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन से ये फायदा होता है कि विकासकर्ता को मकान या फ्लैट का कब्जा और उस कॉलोनी में सभी डवलपमेंट के काम निर्धारित टाइम लाइन में पूरे करके देने होते है। ऐसा नहीं करने पर रेरा ऑथोरिटी उस विकासकर्ता पर पेनल्टी लगाती है।
बिना रेरा रजिस्ट्रेशन के पट्टे जारी नहीं कर सकती निकाय
किसी स्कीम का रेरा ऑथोरिटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो उस स्कीम में बेचे गए मकान या फ्लैट्स के पट्टे नगरीय निकाय जारी नहीं कर सकती। लेकिन जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, अलवर समेत कई बड़े शहरों में ऐसा हो रहा है। नियमों में प्रावधान है कि निकाय अपने एरिया में निजी विकासकर्ता या निजी खातेदार की स्कीम का अप्रूवल करते समय ये शर्त रखे कि इस स्कीम के मकान या फ्लैट तभी बेचे जाएंगे जब स्कीम का रेरा में रजिस्ट्रेशन होगा। रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर इस स्कीम का नियमन कैंप या पट्टे जारी करने की कार्यवाही नहीं की जाएगी। लेकिन निकायों की ओर से न तो ये शर्त लिखी जा रही है और न ही रेरा रजिस्ट्रेशन चैक किया जा रहा है। बिना रेरा रजिस्ट्रेशन के ही ये निकाय ऐसी योजनाओं का नियमन कैंप या पट्टे जारी करने की कार्यवाही कर रहे है।