पटना हाईकोर्ट का बिहार की अदालतों को निर्देश, गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के ‘अर्नेश कुमार दिशानिर्देशों’ का अनुपालन सुनिश्चित करे

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पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में इस न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के तहत सभी अदालतों के लिए सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में उन्हें गिरफ्तारी पर 2014 के अर्नेश कुमार फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया गया है। यह सर्कुलर मोहम्मद असफाक आलम बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 583 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में मंगलवार को जारी किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई को हाईकोर्ट और राज्य पुलिस प्रमुखों को दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 2014 के फैसले के संदर्भ में अधिसूचनाएं और सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया।

11.1 सभी राज्य सरकारें अपने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दें कि आईपीसी की धारा 498-ए के तहत मामला दर्ज होने पर स्वचालित रूप से गिरफ्तारी न करें, बल्कि सीआरपीसी की धारा 41 के तहत निर्धारित मापदंडों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के बारे में खुद को संतुष्ट करें।

11.2 सभी पुलिस अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 41(1) (बी0(ii) के तहत निर्दिष्ट उप-खंडों वाली चेक सूची दी जाए

11.3 पुलिस अधिकारी 11.3 पुलिस अधिकारी अभियुक्त को आगे की हिरासत के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष अग्रेषित/पेश करते समय विधिवत भरी हुई जांच सूची अग्रेषित करेगा। उन कारणों और सामग्रियों को प्रस्तुत करेगा, जिनके कारण गिरफ्तारी की आवश्यकता हुई। 11.4 मजिस्ट्रेट आरोपी को हिरासत में लेने की अनुमति देते समय पुलिस अधिकारी द्वारा उपरोक्त शर्तों के अनुसार दी गई रिपोर्ट का अवलोकन करेगा और उसकी संतुष्टि दर्ज करने के बाद ही मजिस्ट्रेट हिरासत को अधिकृत करेगा।

11.5 किसी आरोपी को गिरफ्तार न करने का निर्णय मामले की शुरुआत की तारीख से दो सप्ताह के भीतर मजिस्ट्रेट को प्रति के साथ मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा, जिसे जिले के पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

11.6 सीआरपीसी की धारा 41-ए के संदर्भ में उपस्थिति की सूचना मामला शुरू होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर आरोपी को तामील की जाएगी, जिसे जिले के पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से बढ़ाया जा सकता है।

11.7 उपरोक्त निर्देशों 11.7 उपरोक्त निर्देशों का पालन करने में विफलता संबंधित पुलिस अधिकारियों को विभागीय कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बनाने के अलावा, क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट के समक्ष स्थापित की जाने वाली अदालत की अवमानना के लिए दंडित किए जाने के लिए भी उत्तरदायी होगी।

11.8 संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उपरोक्त कारण दर्ज किए बिना हिरासत को अधिकृत करने पर संबंधित हाईकोर्ट द्वारा विभागीय कार्रवाई की जाएगी। अधिसूचना में कहा गया कि उपरोक्त निर्देश न केवल आईपीसी की धारा 498ए के तहत मामले पर लागू हो सकते हैं, बल्कि उन मामलों पर भी लागू हो सकते हैं, जहां कथित अपराध सात साल से कम या अधिकतम सजा के लिए दंडनीय है।

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