कांग्रेस ने भीमराज भाटी को पारख के सामने चुनावी मैदान मे उतार कर मुक़ाबले को रौचक बनाया

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पाली 1 नवम्बर 35 साल से अधिक समय तक सत्ता से बाहर हुई काग्रेस ने इस बार पाली विधानसभा पर जीत का परचम फहराने के लिए 1993 में निर्दलीय विधायक रहे भीमराज भाटी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है । जबकि भाजपा 5 बार से लगातार जीत रहे विधायक ज्ञानचंद पारख़ को पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है । कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले पाली में लगातार पार्टी को बग़ावत का सामना करना पड़ा नतीजन हार का मुँह देखना पड़ रहा था । ज़मीनी हक़ीक़त को देखते हुए कांग्रेस इस बार भीमराज भाटी को चुनावी मैदान उतार कर मुक़ाबले को रोचक बना दिया है ।

पाली सीट बीजेपी की बादशाहत बरकरार रहीं हैं कांग्रेस को यहां 1985 से जीत नसीब नहीं हुई है. वर्तमान विधायक पारख पिछले 25 वर्षों से विधायक हैं । इस बार पूर्व भीमराज भाटी ने इस बार फिर से कांग्रेस से पाली विधानसभा से टिकट मांगाते हुए टिकट नहीं मिलने की स्थिति एक बार फिर बाग़ी तेवर अपनाने के संकेत दे दिए थे ।लेकिन हर बार की तरह इस बार भीमराज भाटी अकेले नहीं थे । पार्टी के सामने टिकट माँगते समय दावेदारी जताते वक्त पूर्व विधायक भीमराज भाटी, पूर्व सभापति प्रदीप हिंगड, प्रतिपक्ष नेता हकीम भाई एवं मेहबूब टी ने एक साथ अपने बायोडाटा सोंपे है एवं कहा है कि हम चारों में से किसीा को भी टिकट दिया जाए तो ये चारों साथ रहेंगे । भीमराज भाटी को प्रत्याक्षी बनाकर कांग्रेस अवश्य मजबूत स्थिति में आ गई है ।

पाली विधानसभा से अब तक कुल 17 विधायक चुने गए हैं, जिनमें से 2 निर्दलीय, 1 स्वतंत्र पार्टी, 5 कांग्रेस एवं 9 बार भाजपा ने जीत हासिल की है. यहां पर वर्ष 1967 से 1980 तक कांग्रेस का कब्जा रहा परंतु 1985 एवं 1990 में यहां से भाजपा की पुष्पा जैन लगातार दो बार विजयी हुई, इसके बाद 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी भीमराज भाटी ने जीत हासिल की. वर्ष 1998 में यहां पर यहां से भाजपा प्रत्याशी ज्ञानचंद पारख पहली बार विधायक चुने गए और इसके बाद 2003, 2008, 2013, 2018 में भी लगातार जीत हासिल कर इस विधानसभा में पाली का लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे है. निर्दलीय चुनाव जीत चुके पूर्व विधायक भीमराज भाटी पाली विधानसभा से फिर 1998 में निर्दलीय चुनाव लडे, भैरोसिंह शेखावत के वाइस प्रेसिडेंट बनने पर खाली हुई बाली विधानसभा सीट से 2002 में उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रहे, 2003 एवं 2013 में पाली से कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ा, उसके बाद 2008, एवं 2018 में निर्दलीय चुनाव लडे और पराजित हुए परंतु इनके चुनाव लडने के चलते कांग्रेस हमेशा पाली हारती रही और तीसरे स्थान पर रही ।

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