चित्तौड़गढ़ विधानसभा सीट : जाड़ावत के टिकिट कटने के संकेत मिलने पर समर्थकों ने जताई नाराजगी

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भाजपा के बाद अब कांग्रेस में भी बगावत के सुर

प्राथमिक सदस्यता से लेकर पद तक इस्तीफे की पेशकश

01 नवम्बर, चित्‍तौडगंढ विधानसभा में अभी भाजपा में बगावत के सुर ढ़ीले भी नही पड़े कि बुधवार को कांग्रेस में भी बगावत के सुर ऊँचे हो गये। निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी एवं पूर्व में चिŸाड़गढ़ से दो बार विधायक रह चुके सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत का मंगलवार को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकिट कटने के संकेत मिलने के साथ ही मंगलवार रात्रि को ही विभिन्न संगठन सक्रिय हो गये तथा बुधवार सुबह सैंती स्थित सभापति संदीप षर्मा की होटल पर एकत्रित हो गये तथा टिकिट वितरण का विरोध करते हुए इस्तीफे की पेशकश भी कर दी।

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मंगलवार को कांग्रेस की ओर से दो लिस्ट जारी की गई थी। मंगलवार सुबह से ही जाड़ावत के आगामी चुनाव में टिकिट कटने के संकेत मिलने प्रारंभ हो गये थे तथा षाम को जब एक के बाद एक कांग्रेस की ओर से दो सूची जारी की गई तो यह संकेत पुख्ता हो गये। दोनों ही सूची में जिले की चिŸाड़गढ विधानसभा़ को छोड़कर अन्य विधानसभा क्षेत्र कपासन, बेगूं व बड़ीसादड़ी से अधिकृत प्रत्याशियों की घोशणा कर दी गई थी। हमारे संवाददाता को मंगलवार सुबह ही पुख्ता सूचना मिल गई थी तथा दिल्ली में मंगलवार को दिनभर जितेन्द्रसिंह नाहरगढ़ तथा हनुमंतसिंह बोहेड़ा को लेकर चर्चा होती रही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार रात्रि को जितेन्द्रसिंह नाहरगढ़ पर आलाकमान ने सहमति प्रदान कर दी। हालांकि अभी तक इस सीट को पार्टी की ओर से कोई अधिकृत सूचना जारी नही की गई है।

कांग्रेस में भी बगावत
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत को टिकिट नही देकर बेगूं विधानसभा क्षेत्र जितेन्द्रसिंह नाहरगढ़ को कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी बनाये जाने के संकेत मिलने के साथ ही कांग्रेस में बगावत के सुर उठने लगे है। जाड़ावत समर्थक बुधवार सुबह सभापति की होटल में एकत्रित हुए तथा आलाकमान के निर्णय के प्रति असंतोश जाहिर करते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही पद से भी इस्तीफा देने की पेशकश कर डाली। जिला कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने तो चिŸाड़गढ़ विधानसभा को कांग्रेस मुक्त करने की धमकी तक दे डाली। समर्थकों ने तो चन्द्रभानसिंह आक्या की तरह ही सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत को भी निर्दलीय मैदान में उतारने की घोशणा की है। राजनीतिक जानकारों ने तो इस घोशणा पर अपनी राय देते हुए कहा कि जाड़ावत इस तरह की कोई गलती नही करेंगे क्योंकि गत चुनाव हारने के बावजूद उन्होने राज्यमंत्री के तौर पर पांच साल सरकार का प्रतिनिधित्व किया है। षायद इसी वजह से अभी तक जाड़ावत का स्वयं का कोई बयान सार्वजनिक तौर पर नही आया है।

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