सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल अपील दायर करना सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश XLI नियम 5 के तहत स्थगनादेश के तौर पर कार्य नहीं करेगा।
याचिकाकर्ता ने इस मामले में पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और जमीन पर एमएस/एचएसडी रिटेल आउटलेट डीलरशिप शुरू करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (एनओसी) देने का निर्देश देने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पक्ष में पारित डिक्री के खिलाफ हाईकोर्ट के समक्ष एक अपील दायर की गई है और उस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है। इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने कहा कि इस कारण से याचिका को खारिज करना हाईकोर्ट द्वारा उचित नहीं था। कोर्ट ने कहा, ‘‘सीपीसी के आदेश 41 नियम 5 में निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, जब तक कि अपील को सूचीबद्ध नहीं किया जाता है और कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, केवल अपील दायर करना स्थगनादेश के रूप में काम नहीं करेगा। यदि ऐसा है, तो 25.08.2021 के निर्णय और डिक्री आज की स्थिति में याचिकाकर्ता का लाभ सुनिश्चित करेगी और केवल इस आधार पर एनओसी की अस्वीकृति कि अपील दायर की गई है, उचित नहीं होगा।”
कोर्ट ने अपील की अनुमति देते हुए डिस्ट्रक्ट मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह डिक्री पर ध्यान दें और याचिकाकर्ता को दो सप्ताह की अवधि के भीतर एनओसी जारी करें। इसने स्पष्ट किया कि यह हाईकोर्ट के समक्ष लंबित अपील के परिणाम पर निर्भर करेगा।
केस : संजीव कुमार सिंह बनाम बिहार सरकार अपील की विशेष अनुमति (सी) सं. 19038/2022 | 24 जनवरी 2023 | जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली
हेडनोट्स सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908; सीपीसी का आदेश 41 नियम 5 – जब तक अपील सूचीबद्ध नहीं होती है और कोई अंतरिम आदेश नहीं होता है, केवल अपील दायर करना रोक के रूप में कार्य नहीं करेगा।
सारांश: जमीन पर एमएस/एचएसडी रिटेल आउटलेट डीलरशिप शुरू करने के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (एनओसी) देने का निर्देश देने संबंधी रिट याचिका – हाईकोर्ट ने रिट याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता के पक्ष में पारित डिक्री के खिलाफ, हाईकोर्ट के समक्ष एक अपील दायर की गई है और सुनवाई होना बाकी है –
एसएलपी की अनुमति देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा: जब तक कि अपील सूचीबद्ध नहीं होती है और एक अंतरिम आदेश जारी नहीं होता है, केवल अपील दाखिल करना स्थगनादेश के रूप में कार्य नहीं करेगा। यदि ऐसा है, तो निर्णय और डिक्री आज की स्थिति में याचिकाकर्ता का लाभ सुनिश्चित करेगी और केवल इस आधार पर एनओसी की अस्वीकृति कि अपील दायर की गई है, उचित नहीं होगा।