सरकार अदालतों को ऐसे लोगों से भर देना चाहती है जो उनकी बात मानें, उनकी आलोचना न करें और उनके हर कार्य का समर्थन करें’ : पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता

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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता ने हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दूसरे बीआर अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर 2023 में अतिथि व्याख्यान देते हुए कहा कि सरकार अदालतों को ऐसे पुरुषों और महिलाओं से भर देना चाहती है जो उनकी बात मानें और जो उनकी आलोचना न करें और उनके हर कार्य का समर्थन करें।

जस्टिस दीपक गुप्ता ने ‘लोगों की इच्छा या कानून का शासन’ (Will of the People or Rule of Law’) विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए बहुमत की शक्ति के दुरुपयोग पर रोक के रूप में ‘मूल संरचना सिद्धांत’ के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने लोगों के अधिकारों को छीनने के लिए संविधान में व्यापक परिवर्तन करने के लिए अपने “क्रूर बहुमत” का उपयोग करते हुए एडॉल्फ हिटलर का उदाहरण दिया।

गौरतलब है कि हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ‘मूल संरचना सिद्धांत’ की यह कहकर आलोचना की थी कि इससे संसद की सर्वोच्चता कमजोर होती है।

जस्टिस गुप्ता ने अपने व्याख्यान की शुरुआत डॉ. बीआर अंबेडकर और जस्टिस हिदायतुल्लाह की विरासत की प्रशंसा करते हुए की।

उन्होंने कहा, “अपने भीतर देखो। क्या हमने कहीं भी डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर के सपनों को हासिल किया है? मुझे ऐसा नहीं लगता।”

उन्होंने कहा, “जिन पुरुषों और महिलाओं ने हमारे संविधान का मसौदा तैयार किया, वे वोट बैंक की राजनीति में नहीं फंसे थे। उनकी कोई साम्प्रदायिक सोच नहीं थी। उनमें जाति आधारित कोई पूर्वाग्रह नहीं था। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि वे किस जगह के हैं। उन्होंने केवल देश के बारे में सोचा। हम गलत हो जाते हैं, क्योंकि हम देश के बारे में नहीं बल्कि अन्य चीजों के बारे में सोचते हैं।”

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