राजनीतिक रूप से जागरूक जिले में अभी तक चुनावी रंग नहीं चढा परवान, आरएलपी की लिस्ट का इंतज़ार

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नागौर । भाजपा व कांग्रेस ने जिले की अनेक सीटों पर अपनी बिसात बिछा दी है मगर आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जिले की सभी 10 सीटों पर हमेशा भाजपा व कांग्रेस में ही सीधा मुकाबला होता रहा है मगर इस बार सबकी निगाहे हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पर रहेगी। आरएलपी की उम्मीदवारी के साथ ही सभी सीटों पर इस बार त्रिकोणात्मक संघर्ष की स्थिति बन जाएगी। यह पहला मौका जब नागौर में सभी सीटों पर त्रिकोणात्मक संघर्ष देखने को मिलेगा। अब जबकि नामांकन दाखिल करने की तिथि नजदीक आ गई है मगर अभी तक आरएलपी की तरफ से किसी भी उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। हालांकि आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल ने बहुत पहले ही कह दिया था कि जिन सीटों पर भाजपा व कांग्रेस अपने उम्मीदवार तय कर देगी उसके बाद ही वे अपनी लिस्ट जारी करेंगे मगर भाजपा ने 6 तो कांग्रेस ने 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए मगर इसके बावजूद अभी तक बेनीवाल ने एक भी सीट पर अपने दावेदार नहीं उतारे हैं। ऐसे में जिले में चुनावी हलचल सिरे नहीं चढ रही है। यही वजह है कि राजनीतिक रूप से जागरूक जिले में अभी तक चुनावी रंग परवान नहीं चढा है।

बेनीवाल की बागियों पर नजर

जानकारों की मानें तो आरएलपी अभी बागियों पर नजर रख रही है। भाजपा व कांग्रेस की अनेक सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद दबे स्वर में भाजपा व कांग्रेस के नेता अनेक सीटों पर दावेदारों के नामों पर एतराज तो जता रहे हैं मगर कोई भी बागी खुलकर सामने नहीं आया है। बेनीवाल दोनों दलों के बागियों पर नजर रख रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि किसी भी सीट से भाजपा या कांग्रेस का बागी खुलकर सामने आएगा तो आरएलपी उनको या तो अपना प्रत्याशी बनाने में जोर लगाएगी या फिर उस सीट पर बागी से गठबंधन कर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। ऐसी ही संभावना फिलहाल दिखाई दे रही है। यही वजह है कि आरएलपी 10 सीटों पर अभी तक अपने प्रत्याशियों का नाम फाइनल नहीं कर रही है।

आरएलपी के 3 विधायक मगर वहां भी घोषणा नहीं

नागौर जिले की खींवसर व मेडता सहित भोपालगढ में आरएलपी के जीते हुए विधायक है मगर इसके बावजूद बेनीवाल ने अभी तक अपने सीटिंग विधायकों को भी टिकट नहीं दिया है। जानकारों की मानें तो आरएलपी खींवसर व मेडता में अपने प्रत्याशी बदल सकती है। आरएलपी सुप्रीमो बेनीवाल खुद खींवसर से चुनाव लडने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। वे सांसद बनने से पूर्व खींवसर से ही विधायक बनते आ रहे हैं मगर पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा से गठबंधन के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा का चुनाव लडा और नागौर के सांसद निर्वाचित हुए। तब खींवसर के उपचुनावों में उन्होंने अपने सगे छोटे भाई नारायण बेनीवाल को मैदान में उतारा और खींवसर सीट पुनः जीत ली थी। अपनी परम्परागत सीट होने के बावजूद बेनीवाल ने खींवसर से अपने नाम की भी घोषणा नहीं की है। जबकि कांग्रेस ने अशोक गहलोत व भाजपा ने वसंधरा राजे के टिकट फाइनल कर दिए हैं। ऐसे में बेनीवाल को अब जल्द से जल्द अपने प्रत्याशी घोषित करने चाहिए मगर वे अभी तक इस मुदृदे पर चुप्पी साधे बैठे हैं तथा भाजपा व कांग्रेस के कुछ पूर्व विधायकों को आरएलपी ज्वाइन कराने की मशक्कत में लगे हुए हैं।
बहरहाल, आरएलपी की उम्मीदवारी से ही विधानसभा चुनाव के समीकरण तय होंगे। अभी तो केवल तरह तरह के कयास ही लग रहे हैं। ये कयास कितने सच साबित होंगे ये आरएलपी के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही तय होगा। हालांकि नागौर, खींवसर, जायल व मकराना में कांग्रेस ने भी प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं तो वहीं भाजपा ने भी डेगाना, खींवसर, लाडनूं, डीडवाना को अभी तक होल्ड पर रख रखा है। यही वजह है कि नागौर जिला अभी तक चुनावी रंग में डूबा नहीं है और चुनाव प्रचार भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

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