भाजपा की जीत पर जोशी ने जताया जनता का आभार – पीएम मोदी के नेतृत्व में विकास के लिए काम करेगी भाजपा

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जयपुर, 3 दिसंबर (ब्यूरो): विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि जनता जनार्दन के आशीर्वाद से भाजपा को प्रचंड जीत मिली है। यह जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की जीत है। पीएम मोदी की गारंटी ने कांग्रेस की हवा निकाल दी। जोशी ने कहा कि हमारी सरकार राजस्थान के खोये हुए वैभव को लौटाने की दिशा में काम करेगी और हम पुन: राजस्थान को विकास के पथ पर लेकर जाएंगे।
इस मौके पर प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभाओं में उन्हें सुनने के लिए जिस तरह जनता उमड़ रही थी उसे देखकर ही स्पष्ट हो गया था कि बहुमत मिलेगा। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास होगा।

भाजपा नहीं यह जनता की जीत : शेखावत
जयपुर, 3 दिसंबर (ब्यूरो): भाजपा प्रदेश कार्यालय में रविवार को दिनभर कार्यकर्ताओं ने भाजपा की जीत पर जश्न मनाया। इस दौरान कार्यकर्ता ढोल और डीजे पर जमकर नाचे मिठाइयां बांटी गई, साथ ही जमकर आतिशबाजी भी की गई। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भाजपा की जीत पर जनता जनार्दन का अभिनंदन और स्वागत किया। शेखावत ने कहा कि प्रदेश की जनता ने सुशासन को चुना है, अब राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार सर्वांगीण विकास के लिए काम करेगी। भाजपा की जीत जनता की जीत है।
वहीं भाजपा के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भाजपा की जीत को जन-जन की जीत बताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस के कुशासन से पूरी तरह त्रस्त थी, इसलिए जनता ने गहलोत सरकार की गारंटियों को नकार कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटियों को चुना और भाजपा पर विश्वास जताया।
भाजपा की जीत पर बधाई देते हुए प्रदेश की चुनाव सह-प्रभारी विजया राहटकर ने कहा कि प्रदेश की जनता ने महिला सुरक्षा, युवाओं और किसानो से वादाखिलाफी और कुशासन से त्रस्त होकर प्रदेश के समुचित विकास के लिए भाजपा को पुन: मौका दिया है।
भाजपा की जीत पर चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक नारायण पंचारिया, भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अल्का गुर्जर, प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण सिंह बगड़ी, प्रदेश महामंत्री मोती लाल मीणा, प्रदेश मंत्री पिंकेश पोरवाल, प्रदेश मीडिया संयोजक प्रमोद वशिष्ठ, प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज, प्रदेश मीडिया संपर्क विभाग प्रमुख आनंद शर्मा, सोशल मीडिया संयोजक हिरेन्द्र कौशिक, प्रदेश आईटी संयोजक धनराज सोलंकी सहित अन्य भाजपा नेताओं ने बधाई दी है।

भाजपा में शुरू हुई सीएम की दौड़
– वरिष्ठ नेता दिल्ली रवाना, जल्द हो सकती है विधायक दल की बैठक
जयपुर, 3 दिसंबर (ब्यूरो): राज्य के विधानसभा चुनावों में भाजपा को स्पष्ट जनादेश मिलने के बाद अब सीएम फेस के लिए दौड़ शुरू हो गई है। इसको लेकर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता दिल्ली रवाना हो गए हैं। वहीं राजनैतिक हलकों में भी नए सीएम को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
बीजेपी की जीत के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सरकार बनाने को लेकर बैठकें कर रहे हैं। दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान को लेकर बैठक बुलाई है। नड्डा ने प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी से फीडबैक लिया है। चुनावी नतीजों के बाद शाम को बीजेपी की हाई लेवल बैठक बुलाई गई है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी दिल्ली गए हैं।
भाजपा में सीएम पद की दौड़ में शामिल नेताओं की फेहरिस्त बड़ी बताई जा रही है। हालांकि इस दौड़ में सबसे आगे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ही चल रही है। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल का नाम भी इस दौड़ में शामिल हैं। इनके अलावा दियाकुमारी, बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का नाम भी सीएम की दौड़ में चल रहा है। हालांकि बड़े वर्ग का मानना है कि पार्टी हाईकमान राज्य की बागड़ोर वसुंधरा राजे को ही सौंपेगा। इसके अलावा अगर अन्य किसी नाम पर विचार किया जाता है तो संघ से जुड़े किसी वरिष्ठ पदाधिकारी को राज्य की कमान दी जा सकती है। हालांकि अब अंतिम निर्णय हाईकमान के हाथ ही है।
इस बीच पिछले तीन दिनों से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सक्रियता ने राजनैतिक विश्लेषकों के कान खड़े कर दिए हैं। वसुंधरा राजे ने जिस प्रकार मतदान समाप्त होने के बाद जयपुर में रहकर अपने समर्थक नेताओं और संघ पदाधिकारियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की उसके बाद कई कयास चल रहे हैं। माना यह जा रहा है कि अगर पार्टी हाई कमान ने अंतिम निर्णय विधायकों पर छोड़ दिया तो अधिकांश विधायक वसुंधरा राजे के साथ जाएंगे। इसको लेकर राजे ने पहले से ही पूरी तैयारी कर ली है। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा भले ही चुनाव जीत गई हो, लेकिन अब असली खेल शुरू होगा और सीएम पद के लिए पार्टी में सिर फुटव्वल भी देखने का मिल सकती है। इसके अलावा निर्दलीयों में जीत का सेहरा बांधकर विधानसभा पहुंचने वाले नेताओं को भी पार्टी के साथ ही लिए जाने की तैयारी की जा रही है।
बीजेपी में नए सीएम को लेकर विधायक दल की बैठक में घोषणा होगी। बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाने को लेकर शाम तक समय तय होने की संभावना है। बीजेपी में विधायक दल की बैठक में ही मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने की परंपरा रही है।

भाजपा की यह जीत पीएम मोदी की गारंटी की जीत है : राजे
जयपुर, 3 दिसंबर (ब्यूरो): पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान में भाजपा की यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी की जीत है। उनके मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की जीत है। उन्होंने कहा कि यह जीत केंद्रीय मंत्री अमित शाह की रणनीति व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कुशल नेतृत्व की जीत है। अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह जीत 2024 में मोदी जी को फिर से प्रधान मंत्री बनाने की जीत है।
राजे ने कहा कि यह जीत हमारे कार्यकर्ताओं की जीत है, जो दिन रात प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। यह जीत राजस्थान की जनता जनार्दन की जीत है, जिसने कांग्रेस के कुराज को ठुकराया और भाजपा के सुराज को अपनाया। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का भी आभार व्यक्त किया।
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3 क्यूआर कोड

अशोक गहलोत 26 हजार 396 वोटों से जीते :
जोधपुर, 3 दिसंबर (कपिल श्रोत्रिय): सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 26 हजार 396 वोटों से जीत हासिल की है। उन्हें 96 हजार 859 वोट जबकि भाजपा प्रत्याशी प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़ को 70 हजार 463 वोट मिले। तीसरे नंबर पर एएसपी के शैतानसिंह को 813 वोट मिले। सरदारपुरा सीट सबसे हॉट सीटों में से एक थी, क्योंकि यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता व सीएम अशोक गहलोत चुनावी मैदान में थे। गहलोत यहां से लगातार 6 वीं बार चुनाव जीते हैं।

राज बदला-रिवाज नहीं, मरूधरा में खिला ‘कमल’
-1 मोदी की गारंटी के सामने फीकी कांग्रेस की 7 गारंटी
– भाजपा 115, कांग्रेस 69 तथा 15 सीटों पर अन्य का कब्जा
– वसुंधरा, गहलोत, डोटासरा जीते
– राजेन्द्र राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी हारे
जयपुर, 3 दिसंबर (ब्यूरो): राजस्थान में पांच वर्ष के अंतराल के बाद एक बार फिर रिवाज बदल गया और कमल खिल गया है। भाजपा ने यहां बड़ी जीत दर्ज करते हुए 199 सीटों में से 115 सीटों पर फतेह हासिल की है। एक सीट पर बाद में चुनाव होगा। रविवार देर शाम तक आए चुनाव परिणामों के अनुसार भाजपा के अलावा कांग्रेस 69, निर्दलीय 8, भारत आदिवासी पार्टी 3, बसपा 2, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी एक तथा एक सीट राष्ट्रीय लोक दल को मिली है। इन चुनावों में एक बार फिर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पार्टी की ओर से दी गई 7 गारंटियों को नकारते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी को स्वीकारा है।
इन चुनावों में जहां भाजपा को पिछले चुनावों के मुकाबले 44 सीटों का फायदा मिला है, वहीं कांग्रेस को 39 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि भाजपा के प्रमुख चेहरे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं कांग्रेस के बड़े चेहरे तथा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी भी यह चुनाव हार गए हैं। बता दें कि इन चुनावों में जहां कांग्रेस ने पिछले पांच वर्ष में किए गए कार्य तथा अपनी योजनाओं को जनता के बीच में रखकर वोट मांगे थे, वहीं भाजपा राज्य की कानून-व्यवस्था और कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीतियों का विरोध करते हुए जनता के बीच पहुंची थी। चुनाव प्रचार के अंत तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल वोटों के धु्रवीकरण पर उतर आए थे, जिसका फायदा दोनों ही दलों को कुछ सीटों पर जीत के रूप में मिला है, विशेषकर भाजपा को।
राज्य की जनता को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में नए जिलों, बिजली बिलों में छूट, मुफ्त राशन और नि:शुल्क चिकित्सा की योजनाओं का तोहफा दिया था, लेकिन आमजन को कांग्रेस सरकार के अंतिम कार्यकाल में किए गए कार्य रास नहीं आए और अंतिम वर्ष में ही राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी माहौल तैयार हो गया। हालांकि अंतिम छह माह में राज्य सरकार ने धड़ाधड़ कई महत्वपूर्ण निर्णय कर जनता के बीच अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन भाजपा की ओर से लगाए गए तुष्टीकरण के आरोपों का कांग्रेस पार्टी सामना नहीं कर पाई। कांग्रेस ने मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अल्पसंख्यक वोटों के लिए धु्रवीकरण का प्रयास किया। इसके नतीजे के रूप में कांग्रेस को बड़ी हार मिली है।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी चुनाव से पहले राज्य में सीएम को लेकर कोई चेहरा आगे नहीं किया। वहीं केन्द्र के नेताओं ने ही चुनाव की कमान संभाली, जिसके कारण यहां का पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के चेहरे पर ही लड़ा गया। भाजपा को इस रणनीति का पूरा फायदा मिला। पार्टी ने बड़े जनादेश के साथ सत्ता में वापसी की है। इसके अलावा राज्य में एंटी इनकमबेंसी के माहौल को भुनाने में भी भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भी पूरी रणनीति से काम करते हुए धर्म गुरुओं को चुनावी मैदान में उतारा गया, जिसके कारण आसपास की कई सीटों पर वोटों का धु्रवीकरण हो गया, भाजपा के वोटों में बढ़ोतरी हो गई।
इसके साथ ही कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए पेपरलीक भी हार का बड़ा कारण साबित हुए। राज्य में युवाओं में सरकार के खिलाफ रोष था और बेरोजगारी बढऩे के कारण नए जुड़े मतदाताओं का रुझान भाजपा की ओर हो गया। वहीं कांग्रेस की ओर से कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए की ओपीएस की घोषणा भी ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाई। हालांकि कर्मचारियों का बड़ा वर्ग चुनावों में कांग्रेस के साथ नजर आया, लेकिन चुनाव परिणाम बदलने लायक स्थिति तैयार नहीं कर पाया।
बड़े दरख्त हुए ध्वस्त
राज्य की कई सीटों पर चुनावों के नतीजे चौंकाने वाले रहे। इसमें भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा है। भाजपा को सबसे बड़ा झटका नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ व उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया की हार के रूप में लगा है। वहीं कांग्रेस में भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को लोगों ने जमीन दिखा दी है। इसके अलावा कांग्रेस की फायरब्रांड नेता दिव्या मदेरणा, मानवेन्द्र सिंह, कर्नल सोनाराम, ज्योति मिर्धा, अमीन खान, बीडी कल्ला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत समेत अनेक कांग्रेस नेता हार गए हैं। वहीं पार्टी से निकाले जाने पर चुनावी मैदान में उतरे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को भी हार का मुंह देखना पड़ा है। इसके अलावा पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य भी हार गए हैं।
9 मंत्रियों ने बचाई लाज
कांग्रेस सरकार की केबिनेट के मुख्यमंत्री सहित 29 मंत्रियों में से 9 मंत्री अपनी लाज बचाने में सफल रहे हैं, जबकि 17 मंत्री चुनाव हार गए हैं। तीन मंत्री चुनाव नहीं लड़े थे। इसमें हेमाराम चौधरी और लालचंद कटारिया ने चुनाव लडऩे से मना कर दिया था और महेश जोशी का टिकट कट गया था। इसके अलावा चुनाव हारने वालों में जाहिदा खान, सुखराम विश्नोई, राजेन्द्र यादव, भंवर सिंह भाटी, शकुंतला रावत, बीडी कल्ला, परसादीलाल, प्रमोद जैन भाया, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, सालेह मोहम्मद, रामलाल जाट, रमेश मीणा, विश्वेन्द्र सिंह, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव और गोविन्दराम मेघवाल शामिल हैं। वहीं चुनाव जीतने वाले मंत्रियों में अशोक गहलोत के साथ शांति धारीवाल, महेन्द्रजीत मालवीय, टीकाराम जूली, अर्जुन बामनिया, अशोक चांदना, सुभाष गर्ग, बृजेन्द्र ओला और मुरारीलाल मीणा शामिल हैं।
3 सांसद हारे, 5 जीते
इन विधानसभा के चुनावों में उतरे 8 में से 5 सांसदों ने जीत दर्ज की है, वहीं 3 सांसद चुनाव हार गए हैं। जीतने वाले सांसदों में भाजपा की दिया कुमारी, कर्नल राज्यवर्धन सिंह, बाबा बालकनाथ, राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल शामिल हैं। वहीं हारने वालों में भाजपा सांसद देवजी पटेल, भागीरथ चौधरी और नरेन्द्र खीचड़ शामिल हैं। इसमें दिया कुमारी ने राज्य में सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की है।
नहीं चल पाई कांग्रेस की गारंटियां
राज्य में जनता ने जो जनादेश दिया है उसके अनुसार प्रदेश के लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दी गई सात गारंटियां भी लुभा नहीं पाई। वहीं चुनाव के अंतिम दौर में वोटों का धु्रवीकरण हो गया और भाजपा का घोषणा पत्र भी कांग्रेस के घोषणा पत्र की अपेक्षा ज्यादा प्रभावी रहा। भाजपा के संकल्प पत्र ने लोगों को लुभाया, जबकि कांग्रेस के घोषणा पत्र की अधिकांश घोषणाएं लोगों को हवाई प्रतीत हुई। इसके कारण लोगों ने घोषणाओं और गारंटियों पर विश्वास नहीं किया।
बागी और निर्दलीयों ने दिखाया दम
इन चुनावों में पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरने वाले अधिकांश बागियों ने जीत दर्ज की है। इसमें सबसे प्रमुख बाड़मेर की शिव विधानसभा रही, जहां भाजपा से रविन्द्र सिंह भाटी और कांग्रेस से फतेह खान बागी होकर मैदान में उतरे थे। यहां रविन्द्र भाटी जीत गए। वहीं चित्तौडग़ढ़ में टिकट कटने के बाद चुनाव लडऩे वाले चन्द्रभान सिंह आक्या, डीडवाना से भाजपा के बागी युनूस खान, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा भाजपा के बागियों में सांचौर से जीवाराम चौधरी, बयाना से रितु बानावत, भीलवाड़ा से अशोक कुमार कोठारी ने जीत दर्ज की है।
दल-बदलुओं की दुकान बंद
इसके अलावा ऐन मौके पर टिकट कटने या उसके डर से पार्टी बदलकर दूसरी पार्टी से टिकट लाने वाले नेताओं को भी जनता ने कोई तवज्जो नहीं दी। हालांकि किशनगढ़ से विकास चौधरी ने कांग्रेस से जीत दर्ज की है। इसके अलावा बाड़ी से भाजपा प्रत्याशी गिर्राज सिंह मलिंगा, गुढ़ामालानी से कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल सोनाराम, नागौर से भाजपा की ज्योति मिर्धा को हार का मुंह देखना पड़ा है।
पूर्व राजपरिवारों की रही धाक
चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश से भले ही राजतंत्र समाप्त हो गया है, लेकिन जनता का विश्वास आज भी राजपरिवारों में कायम है। इस बार राज्य में पूर्व राजपरिवारों के सदस्य डीग कुम्हेर सीट से विश्वेन्द्र सिंह, झालरापाटन से वसुंधरा राजे, विद्याधर नगर से दिया कुमारी, नाथद्वारा से विश्वराज सिंह, बीकानेर पूर्व से सिद्धीकुमारी, लाडपुरा से कल्पना सिंह और लोहावट से गजेन्द्र सिंह खींवसर चुनावी मैदान में उतरे थे। इसमें से विश्वेन्द्र सिंह के अलावा सभी ने जीत दर्ज की है।
हॉट सीट के परिणाम रहे रोचक
राज्य की हॉट सीट मानी जा रही कई सीटों पर रोचक परिणाम देखने को मिले हैं। कड़े मुकाबले में फंसी इन सीटों पर अधिकांश में भाजपा या उनके बागियों ने जीत दर्ज की है। इसमें सबसे ज्यादा नजर बाड़मेर की शिव सीट पर थी, जहां से भाजपा के बागी रविन्द्र सिंह भाटी ने जीत दर्ज की, वहीं चित्तौडग़ढ़ से भाजपा के बागी चन्द्रभान सिंह आक्या, तिजारा से बाबा बालकनाथ, पोकरण से महंत प्रतापपुरी और हवामहल से बाल मुकुन्दाचार्य ने जीत का झण्ड़ा लहराया है।
बाबा ने मचाई धूम
प्रदेश की कई सीटों पर चुनाव लड़ रहे बाबा व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने भी जीत दर्ज की है। इसमें अलवर की तिजारा से बाबा बालकनाथ, जयपुर की हवामहल से बाल मुकुन्दाचार्य, सिरोही से ओटाराम देवासी और पोकरण से महंत प्रतापपुरी ने कांग्रेस प्रत्याशियों को पटखनी दी है। इन धार्मिक नेताओं के चुनावी मैदान में उतरने के कारण वोटों के धु्रवीकरण की संभावना जताई जा रही थी।

मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्यपाल मिश्र को दिया इस्तीफा
जयपुर, 3 दिसंबर(ब्यूरो): अपनी पराजय स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार शाम राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा स्वीकार कर लिया। उन्होंने गहलोत से नई सरकार के गठन तक कार्य करने का आग्रह किया हैं।
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जनादेश विनम्रतापूर्वक स्वीकार हैं : गहलोत
-परिणाम अप्रत्याशित
जयपुर, 3 दिसंबर(ब्यूरो):कांग्रेस सरकार की पराजय पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रदेश की जनता के जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। यह सभी के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम हैं। यह हार दिखाती हैं कि हम अपनी योजनाओं, कानून और नवाचारों को जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं रहे।
मैं नई सरकार को शुभकामनाएं देता हूं। मेरी उनको सलाह है कि हम काम करने के बावजूद कामयाब नहीं हुए इसका मतलब ये नहीं कि वो सरकार में आने के बाद काम ही न करें। ओपीएस, चिरंजीवी सहित तमाम योजनाएं एवं जो विकास की रफ्तार इन पांच सालों में राजस्थान को हमने दी है वो इसे अगे बढ़ाएं।
उन्होंने कहा, मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस चुनाव में पूरी मेहनत की एवं सभी मतदाताओं का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने हम पर विश्वास किया।
…फोटो…गहलोत…

गहलोत की गारंटी पर मोदी का भरोसा भारी

सरकार के खिलाफ गुस्सा था, लेकिन मतदाता मौन रहा तो कोई आंक नहीं पाया

रघु आदित्य

विधानसभा चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया कि गारंटी से भरोसा बड़ा है। मुखयमंत्री अशोक गहलोत ने सात गारंटियां दीं, 3 वे पहले दे चुके थे। लेकिन जनता ने मुहर मोदी के भरोसे पर लगाई। आखिरी छह माह में राज्य सरकार ने कई राहतें लुटाईं, गारंटियों के बहाने महिलाओं, युवाओं व सरकारी कर्मचारियों को साधा, लेकिन पेपरलीक, महिला अत्याचार व भ्रष्टाचार के मुद्दों को ग्राउंड जीरो तक पहुंचाने में भाजपा कामयाब रही। मोदी-शाह की हर सभा लालडायरी से शुरू हुई और कन्हैयालाल हत्याकांड से होते हुए पेपरलीक पर खत्म। इन तीन मुद्दों ने बढ़ी महंगाई को दबा दिया, राज्य सरकार की गारंटियों को उड़ा दिया और वोटों का ऐसा धुव्रीकरण किया कि भाजपा के तीनों संत चुनावी वैतरणी पार हो गए और कांग्रेस के 15 मंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा पाए। भाजपा ने जिन सात सांसदों को विधायकी में उतारा, उनमें चार विजयी हुए। जिन छह राजपरिवारों पर दांव लगाया, वे सभी जीत गए। जातिगत समीकरण भी बनते-बिगड़ते भाजपा के हक में जाकर ठहर गए।
भले ही लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा था, लेकिन मतदाता मौन रहा तो कोई आंक नहीं पाया। भाजपा जरूर यह कहती रही कि सरकार के खिलाफ एंटीइंकम्बैंसी है। लोग गारंटियों को कतई गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और वे सरकार को सबक सिखाने के लिए मूड में हैं। लेकिन गहलोत इसे समझ नहीं पाए और उनके हाथों से रेत की तरह फिसलती चली गई। इस बीच, प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की इंट्री होती है। वे राजस्थान की हवा को भांपते हैं और ऐसी रणनीति बनाते हैं कि दो महीने में ही सत्ता बदल देते हैं। इस दौरान उन्होंने उन सीटों को कवर किया, जहां कांग्रेस मजबूत हालत में थी। चौदह रैलियां व दो रोड शो से उन्होंने 102 सीटें साधीं। इस तरह कांग्रेस की कई पपंपरागत सीटें भाजपा के पाले में आ गईं। पीएम ने पेपरलीक, कन्हैयालाल हत्याकांड, लालडायरी, महिला अत्याचार जैसे मुद्दों को कसकर पकड़ लिया और कांग्रेस के छक्के छुड़ा दिए। बिल्कुल ऐसी ही आक्रामक रणनीति अमित शाह व जेपी नड्डा की रही। वे भी मोदी ट्रेक पर चलते हुए मजबूती से गहलोत को घेरते रहे।
्रउधर, कांग्रेस का लचर सांगठनिक ढांचा भी हार का बड़ा कारण बना। पहले कांग्रेस सेवादल, महिला कांगे्रस, यूथ कांग्रेस व छात्र कांग्रेस सरकार व संगठन की नीतियां व सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया करते थे, लेकिन बीते सालों से यह सांगठनिक ढांचा कमजोर पड़ा है। यही वजह रही कि गहलोत सरकार की किसानों, महिलाओं, मजदूरों के लिए बनाई योजनाएं प्रचार तक रह गईं। कार्यकर्ता लोगों को इनसे नहीं जोड़ पाए और गहलोत की सारी मशक्कत धरी रह गई। जबकि खुद राहुल गांधी यह फीडबैक दे चुके थे कि इन योजनाओं को अधिकारियों के भरोसे चलाया जा रहा है। फिर एकाएक बढ़ा महिला अपराध का ग्राफ भी गहलोत सरकार को भारी पड़ा। भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया। कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी भी हार का कारण बनी। दिखावे के लिए गहलोत-पायलट का एका करा दिया गया, लेकिन कार्यकर्ता खेमों में बंटे रहे। कांग्रेस नेताओं ने मोदी पर हमला बोलते हुए विवादित बयानबाजी की, वह भी भारी पड़ी। कई बार सभाओं में भाषा की सीमा लांघी गई।

दिखावटी चमक-धमक के शिकार हुए गहलोत
पूरा इलेक्शन कैंपेन ही अशोक गहलोत पर फोकस था। कांग्रेस की योजनाओं के ज्यादा उनकी गारंटियां प्रचार में रहीं। जगह-जगह लगे होर्डिंग्स में भी वही वनमैन आर्मी जैसेे दिखे। बाद के दिनों मेंं जरूर पायलट-डोटासरा-खरगे को भी होर्डिंग-पोस्टर में जगह दी गई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। गहलोत ने संभागवार गारंटी यात्रा निकाली, वह भी असरदार नहीं रही। कुल मिलाकर गहलोत दिखावटी चमक-धमक के शिकार हो गए। न उनकी गारंटी चली, न उनका जादू। अपने खिलाफ चल रहे अंडर करंट को भी वे भांप नहीं पाए। ऐसे में उनकी इंटेलीजेंस भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

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