पाली जिले के रोहट में प्रस्तावित है अंतरराष्ट्रीय स्तर का औद्योगिक क्षेत्र,585 करोड़ रुपए प्रथम चरण में होंगे खर्च

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प्रथम चरण के आगाज का इंतजार
3029.62 हैक्टेयर में विकसित होगा औद्योगिक क्षेत्र
4380.27 करोड़ रुपए परियोजना की अनुमानित लागत
641.88 हैक्टेयर का प्रथम चरण में होगा विकास
मारवाड़ की धरा पर देश-विदेश के कुबेर धन की बारिश करने का मन तो बना चुके हैं, बस इंतजार है तो सिर्फ केन्द्र सरकार की ‘गारंटी’ का। पाली-जोधपुर के बीच रोहट कस्बे के निकट प्रस्तावित देश के अत्याधुनिक और अंतरराष्ट्रीय श्रेणी के औद्योगिक क्षेत्र के आगाज का बेसब्री से इंतजार है। 4 हजार 380 करोड़ की लागत का यह औद्योगिक क्षेत्र न केवल मारवाड़ की तकदीर बदलेगा, बल्कि निवेश और रोजगार का नया हब भी बनेगा। देश की महत्वाकांक्षी परियोजना दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (डीएमआईसी) के तहत प्रदेश में दो क्षेत्र विकसित किए जाने प्रस्तावित है, जिसमें खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराणा और जोधपुर-पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र। प्रथम चरण का आगाज 2023 में ही होना था, लेकिन गेंद केन्द्र सरकार के पाले में अटकी हुई है। निवेशकों को प्रथम चरण के शुभारंभ का अभी भी इंतजार है। कवायद तो लंबे समय से चल रही है, लेकिन परियोजना को धरातल पर नहीं उतारा गया। औद्योगिक क्षेत्र के लिए चिह्नित जमीन पर महज होर्डिंग सजे हैं।

कपड़ा-कृषि-खाद्य और इंजीनियरिंग का हब बनेगा
रिफाइनरी के बाद यह औद्योगिक क्षेत्र मारवाड़ के लिए महत्वपूर्ण होगा। मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र कुल 3286.63 हैक्टेयर में प्रस्तावित है। प्रथम चरण में 641.88 हैक्टेयर पर उद्योग स्थापित किए जाएंगे। यहां कपड़ा, कृषि, खाद्य और इंजीनियरिंग से जुड़े उद्योग प्रमुख होंगे। खासियत यह होगी कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का औद्योगिक क्षेत्र होगा, जिसमें आवासीय और व्यावसायिक जोन होंगे। फायर स्टेशन, पार्किंग की अत्याधुनिक सुविधा भी होगी। इसका मास्टर प्लान तैयार किया जा चुका है। पर्यावरणीय स्वीकृति भी मिल चुकी है।

ये भी खास
-परियोजना के लिए राजीव गांधी लिफ्ट नहर से 48 एमएलडी पानी की डीपीआर तैयार की गई है।
-बिजली आपूर्ति के लिए कांकांणी में 440/220 केवी सब स्टेशन प्रस्तावित है।
-परियोजना में पांच गांव-निंबली ब्राह्मणान, रोहट, दुदली, सिंगारी और डूंगरपुर शामिल है।

पाली के लिए क्यों हैं खास
-पाली औद्योगिक शहर है। यहां कपड़ा, खनन, मेहंदी और कृषि आधारित उद्योग हैं। डीएमआईसी से पाली को सीधा फायदा मिलेगा।
-पाली में भी कई नए उद्योगों की संभावनाएं बढ़ेंगी। देश के बड़े निवेशक आएंगे।
-माल परिवहन का रास्ता पाली से होकर गुजरेगा।
-पाली के उद्योगों की पहचान देश के अन्य शहरों तक बढ़ेगी।
-केन्द्र व राज्य सरकारों का फोकस भी रहेगा।
-उद्यमियों को नए अवसर मिलेंगे। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

क्या है… दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रीयल काॅरिडोर परियोजना
उच्च श्रेणी की कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार दिल्ली और मुम्बई के बीच डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना कर रहा है। इसकी कुल लंबाई 1504 किलोमीटर है। यह दादरी (उत्तरप्रदेश) से शुरू होकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक जाएगा। इसका अधिकांश हिस्सा (38 प्रतिशत) राजस्थान से गुजरेगा।

डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर के दोनों तरफ 150 किलोमीटर की पट्टी को दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रीयल काॅरिडोर के रूप में विकसित किया जाना है। इस परिधि में प्रदेश के 22 जिले शामिल होंगे।

कॉरिडोर में औद्योगिक क्लस्टर, औद्योगिक पार्क, स्पेशल इकॉनोमिक जोन, औद्योगिक टाउनशिप समेत अन्य व्यापारिक व व्यावसायिक गतिविधियों को विश्व स्तरीय रूप में विकसित किया जाना प्रस्तावित है। इसी परियोजना के प्रथम चरण में प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र -खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना निवेश क्षेत्र एवं जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जाएगा।

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