धौलपुर सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी

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धौलपुर सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी , वसुंधरा और भाजपा के लिए शोभा रानी बनी आंख की किरकरी ।

धौलपुर 14अक्टूबर । प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और सभी राजनीतिक दल चुनावी समुद्र में मंथन कर अमृत रूपी सत्ता का प्याला पीने के लिए तैयार है इसके लिए हर राजनेतिक दल अपनी चुनावी शतरंज की गोटियां बिठाने में जुट गया है। सत्ता का मुकुट किस पार्टी के सिर पर बंधेगा यह कहना अभी जल्दबाजी होगा क्योंकि हर सीट प्रत्येक पार्टी के लिए सत्ता की सीडी बनेगी इसी कड़ी में हम बात कर रहें धौलपुर जिले की चारों विधान सभा कि सीटों की जो प्रदेश की पूर्व मुखिया का ग्रह जिला है वही सता की सीडी चढ़ने के लिए जीत का पहला पाया वसुंधरा राजे को धौलपुर विधान सभा से मिला था लेकिन वर्तमान हालातो से धौलपुर जिले की राजनीतिक तस्वीर एक आकार लेती जा रही है। जयपुर में कुछ समय पूर्व हुए भाजपा के सदस्यता ग्रहण समारोह के बाद यह तस्वीर कुछ और स्पष्ट हुई है। इस समारोह में मूल रूप से जिले के राजाखेड़ा कस्बे के निवासी और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से 31 जुलाई को रिटायर हुए पवन जैन ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। उनके सगे चचेरे बड़े भाई विनोद बिहारी पूनावत आरएसएस के प्रचारक एवं काफी समय तक भारतीय जनता पार्टी के धौलपुर के जिला अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान में राजाखेड़ा में ही निवास कर रहे हैं। पूर्णावत को भी वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। जैन परिवार पिछले कुछ समय से राजाखेड़ा क्षेत्र में राजनीतिक दृष्टि से काफी सक्रिय था, जिससे उनके राजाखेड़ा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन सेवानिवृत्ति के मात्र 10 दिन पश्चात ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सक्रिय राजनीति में आने के बाद उनके चुनाव में उतरने के कयासों की पुष्टि हो गई है। सेवाकाल के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित देश के गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के अनेक वरिष्ठ नेताओं से उनके संबंधों के चलते और उनके परिवार की स्वयंसेवक संघीय पृष्ठभूमि कथा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मेल जोल होने से राजनीतिक हलकों में उन्हें राजाखेड़ा क्षेत्र से भाजपा का मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों से छन छन कर आ रही जानकारी भी इस बात को पुख्ता तौर पर हवा दे रही है। केवल एक पवन जैन के बीजेपी ज्वाइन करते ही जहां जिले के राजनीतिक समीकरणों में भारी उलट फेर हुआ है वही अनेक राजनेताओं के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। कुछ समय पूर्व तक जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में जहां बीजेपी के पास ठोस उम्मीदवारों की कमी मानी जा रही थी वही अब लगभग सभी जगह ठोस उम्मीदवारों की धुंधली सी तस्वीर आकार लेती हुई दिख रही है।

इन हालातों में प्रतीत होता है कि राजाखेड़ा से पवन जैन के प्रत्याशी होने की स्तिथि में धौलपुर से कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे बनवारी लाल शर्मा की पुत्र वधू नीरजा अशोक शर्मा प्रत्याशी हो सकती हैं। धौलपुर विधानसभा क्षेत्र इस बार बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है और गत विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुनी गई श्रीमती शोभा रानी पार्टी सहित स्वयं वसुंधरा राजे के लिए आंख की किरकिरी बनी हुई है। शोभा रानी भाजपा विधायक होते हुए भी गत राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग कर गई थी। उसके इनाम के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें धौलपुर से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने का ठोस आश्वासन दिया हुआ है। इसी वजह से धौलपुर से कांग्रेस टिकट की उम्मीद लगाए बैठे कई उम्मीदवार बीजेपी अथवा बसपा में शामिल हो गए हैं। बनवारी लाल शर्मा जहां धौलपुर से 6 बार विधायक रहे हैं वही गत विधानसभा चुनावों में उनके पुत्र अशोक शर्मा राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में थे और कांग्रेस प्रत्याशी वर्तमान विधायक रोहित बोहरा से लगभग 12000 मतों से चुनाव हार गए थे। उन्हें धौलपुर से भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने का आश्वासन देते हुए पार्टी में शामिल कराया गया था लेकिन एन वक्त पर बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीपति की सिफारिश पर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद जसवंत सिंह गुर्जर को टिकट देना पड़ा था। इससे बिगड़े जातीय व राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए मजबूरन पार्टी को अशोक शर्मा को राजाखेड़ा से उतारना पड़ा था अन्यथा वसुंधरा राजे स्वयं धौलपुर जिले से प्रत्याशी होने की चाह में थी और इसके संकेत उनके प्रमुख कारणों को दे दिए गए थे।

वर्तमान में भाजपा के नए उभरते समीकरणों को देखते हुए वसुंधरा राजे स्वयं भी धौलपुर से एक प्रमुख प्रत्याशी हो सकती हैं। लेकिन वसुंधरा धौलपुर जिले से तभी प्रत्याशी होगी जब पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा की पुत्रवधू भी भाजपा की टिकट पर जिले के किसी एक विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हो और ऐसी स्थिति में नीरजा अशोक शर्मा धौलपुर के अलावा बाड़ी से भी प्रत्याशी हो सकती हैं। हालांकि वर्तमान में शिवचरण कुशवाहा को बाड़ी से बीजेपी का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। लेकिन गत विधानसभा चुनाव के दौरान बने राजनीतिक गठबंधन के कारण नीरजा अशोक शर्मा का बाड़ी से प्रत्याशी होना काफी असंभव सा प्रतीत होता है। हालांकि राजनीति में कुछ भी संभव और असंभव नहीं होता है। वर्तमान में उभरे राजनीतिक हालातों के चलते यदि भाजपा की ओर से राजाखेड़ा से पवन जैन और कांग्रेस से वर्तमान विधायक रोहित बोहरा, धौलपुर से भाजपा से नीरजा अशोक शर्मा व कांग्रेस से वर्तमान विधायक शोभारानी तथा बाड़ी से भाजपा से शिवचरण कुशवाह एवं कांग्रेस से वर्तमान विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा प्रत्याशी रहते हैं तो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बसपा से उम्मीदवार घोषित किए गए बनवारी लाल के भतीजे रितेश शर्मा को चुनाव क्षेत्र बदलना होगा अथवा घर बैठना होगा। इसी प्रकार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राजाखेड़ा से भाजपा की टिकट पर एक बार विधायक रहे राजस्थान के पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युमन सिंह के चचेरे भाई रविंद्र सिंह बोहरा एवं उनके पुत्र विवेक सिंह के भी राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।

जिले की चौथी बसेड़ी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से अधिक चर्चित नहीं रही है। लेकिन बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद पहली बार कांग्रेस से विजयि हुए अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा से भाजपा अपनी परंपरागत सीट को हथियाने के लिए ठोस प्रत्याशी के रूप में करौली धौलपुर से वर्तमान सांसद डॉ. मनोज राजोरिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। हाल ही में भाजपा नेतृत्व ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि वह करीब एक दर्जन सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने का मानस बनाए हुए हैं। बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा पर बाहरी प्रत्याशी होने का ठप्पा लगा होने के कारण कॉन्ग्रेस किसी क्षेत्रीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है तो गत लोकसभा चुनाव में करौली धौलपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे संजय जाटव का दावा मजबूत हो सकता है ।

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