तुलना करनी है तो खुद से करें, क्योंकि हर बच्चा अपने आप में परफेक्ट : शैलेष

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हास्य अभिनेता एवं लेखक शैलेष लोढ़ा ने एलन में कोटा कोचिंग विद्यार्थियों से किया संवाद

जिला प्रशासन की पहल पर एलन करियर इंस्टीट्यूट की और से हुआ ए टॉक विद शैलेश लोढ़ा

कोटा 23 सितम्बर . कोटा में विद्यार्थियों के लिए लगातार मोटिवेशनल प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को कुन्हाड़ी लैंडमार्क सिटी स्थित एलन सम्यक कैम्पस के सद्गुण सभागार में विख्यात कवि व हास्य अभिनेता शैलेष लोढा ने कोटा कोचिंग के विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। जिला प्रशासन की पहल पर और एलन करियर इंस्टीट्यूट की और से हुए कार्यक्रम में शैलेष ने विद्यार्थियों को जीवन का महत्व बताया तो विद्यार्थियों ने भी खुलकर उनके साथ मन की बात साझा की। कार्यक्रम में कोटा रेंज पुलिस महानिरीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा, जिला कलक्टर ओपी बुनकर, एडिशनल एसपी भगवत सिंह हिंगड़, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

इस अवसर पर शैलेष लोढा ने कहा कि अपनी तुलना कभी किसी से मत कीजिए। किसी बच्चे के मार्क्स ज्यादा आ रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो बुद्धिमान है। आप जो भी हैं, अपने आप में परफेक्ट हैं। मैराथन दौड़ में सिर्फ वहीं विजेता नहीं होता, जिसने दौड़ जीती है। बल्कि वह भी विजेता है, जिसने पिछली बार दौड़ पूरी नहीं की। वह भी विजेता है, जो पिछली बार क्वालिफाई नहीं हुआ था लेकिन, इस बार क्वालिफाई हो चुका है। वो भी जीतता है जिसने पिछली बार से कम समय में दौड़ पूरी कर ली। यदि सिलेक्शन नहीं होता है तो यकीन मानिए, ऊपर वाले ने आपके लिए कुछ और अच्छा सोच रखा है। उन्होंने कहा कि जीवन में रिजेक्शन से नहीं घबराना है। रिजेक्शन का सामना करें, नए उत्साह व जोश के साथ गलतियों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना है।

कोटा ने नई पहचान दी
शैलेष ने कहा कि आज हम पूरे देश-दुनिया में जाते हैं। कोटा का नाम सुनते हैं तो गर्व होता है। शिक्षा की काशी कोटा को लोग पहचानते हैं। कोटा ने इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया है। बच्चों का ड्रीम डेस्टिनेशन है और एक ऐसा शहर है जहां पढ़ाई के लिए देश में सबसे अच्छा माहौल है।

निराशा नाम की कोई चीज नहीं
शैलेष ने कहा कि जीवन में निराशा नाम की कोई चीज नहीं होती। निराशा हम इसलिए महसूस करते हैं कि हमें जीवन का कोई अर्थ नजर नहीं आता लेकिन, जब हम अपनी रूचि की चीजों को देखते हैं तो हमें नया अर्थ नजर आने लगता है। जिंदगी हमेशा जीना सिखाती है। निराशा के क्षणों को कभी जीवन में हावी नहीं होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हर इंसान अपने आप में विजेता है।

जो करें मन से करें
उन्होनें कोचिंग विद्यार्थियों से कहा कि आप लोग देश के कोने-कोने से अपने सपनों को साकार करने यहां आए हैं, याद रखें जो करने आएं मन से करें। आपका मन लगता है तो यकीन मानिए बहुत अच्छा करें, या तो काम में मन लगा लीजिए या मन से काम करना सीख लीजिए आप तभी जीत में रह सकते हैं। क्योंकि यह सिर्फ एक पड़ाव है, जिंदगी नहीं। क्योंकि कई बार आपको पता ही नहीं होता है कि आप जीवन में क्या करना चाहते हैं। एक बार आपको यह समझ आ गया कि क्या करना है तो फिर आपको कोई नहीं रोक सकता।

किसी भी हाल में खुश रहिए
शैलेष ने कहा कि मैं सभी विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि हर हाल में सिर्फ खुश रहिए और इसके लिए सुविधाओं की जरुरत नहीं है। खुश रहने के लिए पुराने दिनों की याद ही बहुत होती है। हंसिए, दूसरों को भी हंसाइए। कभी अपने बचपन के दोस्तों व स्कूल में बिताया समय याद कीजिए। आपके चेहरे पर अपने आप मुस्कुराहट आ जाएगी। अकेले मत रहिए। दोस्त बनाइए और अपने मन की बात उनसे शेयर करिए। कम्यूनिकेशन की बहुत कमी है। जबकि इससे कई समस्याओं को आसानी से हल निकल जाता है।
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पेरेन्ट्स बच्चों पर बोझ नहीं डालें
शैलेष लोढ़ा ने सेशन के दौरान विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी संदेश देते हुए कहा कि आपके बच्चे किसी मैच की ट्रॉफी नहीं हैं, जो उन्हें आपके सपने पूरे कर जीत कर लानी है। अपने सपनों को बच्चों पर बोझ नहीं बनने दें। आपका बच्चा आपके सपनों को पूरा करने की कोई मशीन नहीं हैं। उससे बात करिए और जानिए कि वो खुद क्या करना चाहता है। अपने बच्चों के सपनों को पूरा करना ही आपका सपना होना चाहिए।

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