बाड़मेर विधानसभा की सीट सामान्य कोटे से आरक्षित

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इस सीट पर जाटों मुस्लिमो का प्रभाव वही एससी एसटी का भी बड़ा असर

बाड़मेर। पश्चिमी राजस्थान की बाड़मेर विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट मानी जाती है और इस सीट का इतिहास भी बहुत ही दिलचस्प रहा है। बाड़मेर विधानसभा सीट का गठन 1951 मे हुआ उसके बाद में यह अस्तित्व में आई और उसके बाद अब तक कुल 15 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें सात बार कांग्रेस ने जीत हासिल कर अपना परशम लहराया है तो वहीं भाजपा एक बार ही चुनाव जीत पाई है जबकि राम राज्य परिषद व निर्दलीय ने दो बार चुनाव जीता है वही एक बार जनता दल और एक बार लोक दल ने भी इस सीट से जीत हासिल की है। 2008 से लगातार बाड़मेर के मेवाराम जैन कांग्रेस से चुनाव जीत कर विधायक बने रहे है तो वही 2008 से भाजपा कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ने में जुटी हुई है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।

2018 के विधानसभा चुनाव में दो बार कांग्रेस से विधायक रहे मेवाराम जैन पर पार्टी ने विश्वास जताते हुए चुनाव मैदान में उतारा गया तो वहीं भाजपा की ओर से मेवाराम को चुनौती देने के लिए सांसद रहे कर्नल सोनाराम चौधरी को टिकट दी गई वही डॉक्टर राहुल बामनिया ने भी निर्दलीय दावेदारी मैदान में ठोककर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन मेवाराम जैन ने भाजपा से कर्नल सोनाराम चौधरी को रिकार्ड मतों से हरा दिया गया और तीसरी बार मेवाराम जैन बाड़मेर सीट से विधायक चुने गए। बाड़मेर के विधायक मेवाराम जैन हमेशा आमजन के हितेषी रहे है और सभी वर्गो को साथ मे लेकर चलने का काम किया है वही जैन की राजनीति भी बहुत ही गहरी बताई जा रही है वही बाड़मेर के विकास में अहम योगदान दिया है।

2018 में हुआ था त्रिकोणीय मुकाबला

2018 के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला जिसमें कांग्रेस से मेवाराम जैन बीजेपी से कर्नल सोनाराम चौधरी और निर्दलीय से राहुल बामनिया चुनावी मैदान में उतरे और तीनों नेताओं ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा लेकिन मेवाराम जैन के सामने सांसद रहे कर्नल सोनाराम चौधरी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा और मेवाराम जैन लगातार तीसरी बार विधायक बने। अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा से राहुल बामनिया भी मैदान में उतरे और एससी एसटी के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की तो वही आरएलपी ने भी मुस्लिम वोट बैंक मे सेंधमारी लगाने की कोशिश करते हुए मुस्लिम व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया गया लेकिन आरएलपी का समीकरण मेवाराम जैन के सामने फेल हो गया और उसके बाद त्रिकोणीय मुकाबला हुआ जिसमें मेवाराम जैन ने जीत हासिल की जिससे सभी के उम्मीदों पर पानी फिर गया और सपने अधूरे रह गए नही तो सभी बाड़मेर की राजनीति में ठरका जमाना चाह रहे थे लेकिन नही जमा पाए। अबकी बार बाड़मेर विधानसभा सीट से भाजपा से प्रियंका चौधरी मजबूती से दावेदारी ठोक रही है और मेवाराम जैन को कड़ी टक्कर भी दे सकती है लेकिन पार्टी किसे सुनावी मैदान में उतारती है यह तो टिकट वितरण के दौरान ही साफ हो पाएगा लेकिन अभी तक बाड़मेर से कांग्रेस और बीजेपी ने किसी प्रत्याशी को घोषणा नही की है ऐसे मे दोनो पार्टियों के कार्यकर्ताओ मे संशय बना हुआ है की आखिर पार्टी किसे टिकट देती है और किसका टिकट कटता है लेकिन अभी तक कांग्रेस की और से पहली लिस्ट की घोषणा नही हुई है ऐसे मे बीजेपी कांग्रेस की पहली लिस्ट का इंतजार कर रही है।

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