ऊपर से जीत की कर रहे है बात, अंदर से हो रही है घबराहट

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हर कोई पूंछ रहा है चुनाव का हाल, तीन दिन से क्षेत्र में चल रहा है यही माहौल

मिलते ही करते हैं बस यही सवाल तुम्हारे क्षेत्र का क्या है हाल

मीणा तो बंट गया, गुर्जर मतदाता किधर गया

मालियो का क्या रहा, और सैनी वोट किस तरफ

दौसा, 27 नवंबर: 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के साथ ही चर्चाओं के दौर शुरू हो गए। जोड़- बाकी, गुणा- भाग का दौर चल रहा है। जो लोग मतदान से पहले अपने-अपने उम्मीदवार की जीत मान रहे थे उन्हें अब संसय नजर आने लगा है। जो लोग अपने आप को कमजोर मान रहे थे उन्हें यह चुनाव अब टक्कर का लगने लगा है। इसी जोड़ तोड़ के चलते दिनभर चर्चाओं की दौर जारी हैं। जब भी कोई व्यक्ति किसी समर्थक को मिलता है तो उसे बस एक ही सवाल पूछता है कि कौन जीत रहा है।
दोसा विधानसभा सीट की यदि हम बात करें तो नामांकन भरते समय मंत्री मुरारी लाल मीणा ने 50 हजार से 1लाख तक की जीत का दावा किया था और उनके समर्थक भी यही बात कह रहे थे राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटो से जीतने का प्रयास कर रहे हैं।इसके बाद जैसे-जैसे चुनाव परवान चढ़ा और मतदान संपन्न हुआ उसके पश्चात समर्थक यह कहने लग गए की हम जीतेंगे तो सही पर कितने मतों से यह कहना जरा मुश्किल है। इधर शंकर शर्मा जो कि भाजपा उम्मीदवार है उनके समर्थको का कहना है हमारा टिकिट ही 4 तारीख को आया था। उस समय स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन उन्होंने इस चुनाव को बड़े ही सुनियोजित तरीके से और ढंग से लड़ा उसी का परिणाम है कि यह चुनाव टक्कर में आ गया है और हम अच्छे वोटो से जीतेंगे। इसके लिए वे कागज पेन लेकर समीकरण भी बताने लगते हैं। कहते हैं। इस बार गुर्जर मिल गया, माली बंट गया। एस सी का बड़ा वोट आजाद समाज में गया और कुछ एस टी वोट भी नांगल के पक्ष में गया। वोट वोट प्रतिशत को भी अपने पक्ष में बता रहे हैं। जबकि वे अंदर से डरे हुए हैं से डरे हुए हैं और बार बार लोगो से पूंछ रहे हैं। दोनों ही उम्मीदवारों के समर्थक बाकायदा जातिगत आधार पर वोटो का बंटवारा भी अपने ही तरीके से करके अपने अपने उम्मीदवार की जीत का दम भर रहे हैं।

बांदीकुई से कांग्रेस उम्मीदवार जीआर खटाना चुनाव से पहले उनके समर्थक खामोश थे ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार भागचंद टाकड़ा के समर्थक अपने पक्ष में एकतरफा जीत मान रहे थे। लेकिन अब दोनों ही उम्मीदवारों के समर्थक अपनी अपनी जीत का दावा करने लगे हैं। खटाना समर्थक सामान्य वर्ग, इस टी वोट और एस सी के दम पर जीत का दावा कर रहे हैं। और जो भी मिलता है उससे पूछते हैं और बताते हैं।

सिकराय विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो नामांकन के पश्चात भाजपा समर्थकों ने ऐसा माहौल बना दिया था कि मानो एक तरफा माहौल है। लेकिन जैसे ही 25 नवंबर को मतदान समाप्त हुआ उसके अगले दिन ही कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थक बड़े आत्मविश्वास के साथ यह कहने लगे कि चाहे 2000 से ही जीते लेकिन सिकराय से कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी। इसके लिए वे बुथवार आंकड़े निकाल कर अपने हिसाब से जातिगत आधार पर वोटो का बंटवारा कर एक दूसरे को संतुष्ट करने लगते हैं । आखरी में फिर ये पूछते हैं यार क्या लगव्रह है, जीत तो जाएंगे न।

लालसोट की बात करें तो जिस तरह मतदान की शाम को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के कार्यालय पर हजारों समर्थको की भीड़ जुटी थी और कांग्रेस कार्यालय पर बहुत कम समर्थक देखे गए थे ऐसे में अब क्षेत्र में भाजपा समर्थक यह अनुमान लगा रहे है कि यहां भाजपा उम्मीदवार की नैया पार हो जाएगी। फिर पूछते हैं आप क्या कहते हो। कांग्रेसी भी साइलेट वोटिंग की बात कह कर जीत का दम भर रहे हैं। महवा में त्रिकोणीय मुकाबले को भाजपा और कांग्रेस समर्थक अपने अपने पक्ष में चुनाव को मान रहे हैं। और दिन भर जोड़ बाकी कर खुद को संतुष्ट करके लोगो से राय मांग रहे हैं।
उम्मीदवारों के समर्थक यह बात केवल आमने-सामने ही नही कर रहे बल्कि वे मोबाइल व अन्य माध्यमों से भी दिन भर चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं। लेकिन सभी में अंदर से एक अजीब सी घबराहट देखी जा रही है। जो 3 दिसंबर को परिणाम के बाद दूर होगी।

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