राजस्थान में तीसरा मोर्चा बना तो कांग्रेस-बीजेपी को क्या नुकसान?:75 सीटों को कर सकते हैं प्रभावित

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चुनावी साल में पल-पल बदल रही सियासी हवा के बीच हमने जाना कि राजस्थान में 2023 में अगर थर्ड फ्रंट मजबूती से खड़ा होता है तो राजस्थान की राजनीति पर कितना असर होगा? साथ ही अगर थर्ड फ्रंट प्रभावी रहता है तो उससे BJP और कांग्रेस को किस तरह नुकसान पहुंचेगा?
पहले समझ लेते हैं कि थर्ड फ्रंट क्या है और यह राजस्थान में कैसे काम करेगा?

राजस्थान में थर्ड फ्रंट दो तरह से प्रभावी हो सकता है। एक अलग-अलग तरीके से और दूसरा संगठित तरीके से।

अलग-अलग पार्टियों के तौर पर देखें तो राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और AIMIM जैसी पार्टियां चुनाव लड़कर अलग-अलग क्षेत्र से सीटें जीतने की कोशिश करेंगी।

वहीं अगर संगठित तौर पर देखा जाए तो RLP, आम आदमी पार्टी और BTP साथ आ सकती हैं। हालांकि BTP का झुकाव कई बार कांग्रेस की ओर भी रहता है। मगर इस बार माना जा रहा है कि कई मसलों को लेकर BTP पूरी तरह अलग रहेगी। इधर अगर सचिन पायलट को लेकर जाहिर की जा रही संभावनाएं भी इसी दिशा में आगे बढ़ती हैं तो बेनीवाल के कहे अनुसार एक नया थर्ड फ्रंट देखने को मिल सकता है।

अब जानते हैं इन पार्टियों की ताकत और उनके समीकरण क्या हो सकते हैं?

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी

हनुमान बेनीवाल की RLP लगातार राजस्थान में मजबूत हो रही है। RLP ने 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ा और 3 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करके नागौर से हनुमान बेनीवाल सांसद भी बने। RLP इसलिए भी प्रभावी है क्योंकि राजस्थान में हुए उपचुनावों में RLP ने अच्छा प्रदर्शन किया।

उपचुनाव के परिणाम देखें तो RLP करीब-करीब BJP के बराबर ही खड़ी नजर आती है। राजस्थान में हुए 8 उपचुनावों में से 6 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। वहीं, 1 सीट BJP और 1 RLP को मिली है। RLP ने खींवसर सीट अपने नाम की।

इसके अलावा बाकी सीटों पर हुए चुनाव में भी RLP ने जबरदस्त वोट हासिल करते हुए BJP या कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। सरदारशहर में हुए पिछले उपचुनाव में RLP 46 हजार वोट लेकर आई थी। जबकि जीत का अंतर 17 हजार के करीब रहा। इसी तरह वल्लभनगर में भी RLP ने 45 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए। यहां पर RLP दूसरे स्थान पर रही। इसी तरह सुजानगढ़ में 32 हजार और सहाड़ा में 12 हजार वोट RLP ने हासिल किए हैं।

RLP राजस्थान में मुख्य रूप से जाट समाज को साधती है। इसी को देखते हुए RLP की दावेदारी और भी ज्यादा मजबूत हो जाती है। 2018 में RLP का वोट शेयर 2.40 प्रतिशत था। इस चुनाव में RLP 20 से 25 सीटों पर प्रभाव डाल सकती है। यही वजह है कि RLP के साथ थर्ड फ्रंट के तौर पर आम आदमी पार्टी की संभावनाओं को देखा जा रहा है।

भारतीय ट्राइबल पार्टी

राजस्थान में बीटीपी भी एक अहम पार्टी बनकर उभरी है। पिछले चुनाव में बीटीपी ने 2 सीटें हासिल की थीं। जबकि बीटीपी का वोट शेयर 0.72 प्रतिशत रहा था। बीटीपी का दक्षिणी राजस्थान में प्रभाव है। इस चुनाव में दक्षिणी राजस्थान की 16 आदिवासी सीटों पर बीटीपी फोकस करेगी।

इसमें उदयपुर और बांसवाड़ा की 5-5, डूंगरपुर की 4 और प्रतापगढ़ की 2 सीटें शामिल हैं। कई मसलों को लेकर बीटीपी का सरकार से मतभेद देखने को मिला है। ऐसे में यह संभावना भी है अगर राजस्थान में कोई थर्ड फ्रंट खड़ा होता है तो बीटीपी भी उसका हिस्सा हो सकती है।

आदिवासी राजस्थान में बड़ा वोट बैंक है। राजस्थान में 25 सीटें एसटी रिजर्व हैं। ऐसे में अगर बीटीपी कांग्रेस और बीजेपी से अलग होकर किसी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ती है तो इन सीटों को आकर्षित कर सकती है।

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी की नजर अलग-अलग राज्यों पर है। आप पार्टी अब अधिकारिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है। गुजरात चुनाव में 12 प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर हासिल करने के बाद अब आम आदमी पार्टी की नजर राजस्थान पर है। पार्टी ये घोषणा कर चुकी है कि वह पूरी ताकत से राजस्थान में चुनाव लड़ेगी।

ऐसे में अगर थर्ड फ्रंट का गठबंधन राजस्थान में होता है तो उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी उसमें अहम रोल अदा करेगी। आम आदमी पार्टी राजस्थान में पंजाब से सटे इलाके और ब्राह्मण-वैश्य प्रभाव वाली सीटों को टारगेट कर सकती है।

आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मार्च में राजस्थान में बड़ी सभा की थी। पिछले दिनों हुनमान बेनीवाल के साथ उनकी और भगवंत मान की तस्वीरें सामने आने के बाद इसे भविष्य के नए गठबंधन के तौर पर देखा जा रहा है।

आम आदमी पार्टी राजस्थान में लगातार बीजेपी और कांग्रेस के राज पर सवाल उठाते हुए अपनी जगह बनाने की कोशिश करेगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी को फोकस उन सीटों और उन प्रत्याशियों पर होगा जो निर्दलीय चुनाव जीतते हैं। इसके बूते आप पार्टी 10 से 15 सीटों पर फोकस करेगी।

बीएसपी और AIMIM साथ में लड़ेंगी पर गठबंधन संभव नहीं

इसके अलावा राजस्थान में बीएसपी और एएमआईएमआईएम भी अगले चुनाव में जोर लगाएंगी। पिछले चुनाव में बीएसपी ने 6 सीटें हासिल की थी। मगर सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। मगर इस बार बीएसपी राजस्थान में अलग ढंग से चुनाव लड़ सकती है।

वहीं असदुद्दीन औवेसी की एएमआईएमआईएम भी अगले चुनाव में जोर लगाएंगी। औवेसी को राजस्थान में 40 से ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान है। माना जा रहा है कि बीएसपी और औवेसी की पार्टी लगभग 10 सीटों पर सेंध लगा सकती है।

सचिन पायलट : 40 से 45 सीटें अकेले प्रभावित कर सकते हैं

पायलट अगर राजस्थान में अपना अलग खेमा बनाते हैं तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों का नुकसान पहुंचाएंगे। हालांकि इसका बड़ा असर कांग्रेस पर ही देखने को मिलेगा। सचिन पायलट राजस्थान की कम से कम 40 से 45 सीटों को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। इनमें से लगभग 15 तो गुर्जर बाहुल्य सीटें हैं जहां गुर्जर सबसे बड़ा वोट बैंक हैं।

इसके अलावा लगभग 20 सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर दूसरे या तीसरे स्थान पर आते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसी सीटे हैं जहां मुस्लिम और गुर्जर समुदाय काफी प्रभावी हैं। इन सीटों पर भी सचिन अच्छी पकड़ रखते हैं। खास तौर से पूर्वी और मध्य राजस्थान की इन सीटाें को सचिन प्रभावित कर सकते हैं।

75 सीटों को प्रभावित कर सकता है संयुक्त तीसरा मोर्चा

राजनीतिक जानकार और एनालिस्ट बताते हैं कि अगर कोई संयुक्त तीसरा मोर्चा इस तरह का राजस्थान में खड़ा होता है तो लगभग 75 सीटों को प्रभावित कर सकता है। अगर संगठित होकर लड़ते हैं तो इतनी सीटों पर जीत भी दर्ज कर सकते हैं।

इनकी उपस्थिति से 75 सीटों पर दोनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं अगर तीसरा मोर्चा अच्छी सीटें लाने में कामयाब होता है तो किसी भी पार्टी की स्पष्ट सरकार राजस्थान में नहीं बनेगी। 2008, 2018 सहित कई चुनाव ऐसे रहे हैं जिनमें पार्टियों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।

राजस्थान में कभी नहीं बनी तीसरे मोर्चे की सरकार

राजस्थान हमेशा से टू पार्टी स्टेट रहा है। 1980 से पहले जहां कांग्रेस राजस्थान में काबिज थी। वहीं उसके बाद बीजेपी और कांग्रेस की सरकार ही रही। वहीं 1998 से लेकर अबतक राजस्थान में सिर्फ दो ही चेहरे मुख्यमंत्री रहे हैं। यही वजह है कि इस बार थर्ड फ्रंट की मांग तेजी से उठ रही है। राजस्थान में थर्ड फ्रंट की सरकार तो कभी नहीं बनी मगर कई बार थर्ड फ्रंट पार्टियों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में राम राज्य परिषद ने 59 सीटों पर चुनाव लड़कर 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसी तरह 1957 में भी राम राज्य परिषद ने 57 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 17 सीटों पर जीत हासिल की थी।
1962 में स्वतंत्र पार्टी ने कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थी। 93 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए स्वतंत्र पार्टी ने 36 सीटें जीती थी। 1967 के चुनाव में भी स्वतंत्र पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। तब 107 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए स्वतंत्र पार्टी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
1972 के चुनाव में कांग्रेस के सामने कोई बड़ी पार्टी नहीं रही और स्वतंत्र पार्टी महज 11 और बीजेएस महज 8 सीटें जीत सकी।
1977 में पूरे देश की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस पिछड़ी और जनता पार्टी 152 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी।
1980 में बीजेपी की राजस्थान में एंट्री हुई और कांग्रेस के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बनी। इस चुनाव में बीजेपी ने 123 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 32 सीटों पर जीत हासिल की। 1985 में बीजेपी ने 39 सीटें हासिल की जबकि लोकदल को 27 सीटें हासिल हुई। 1990 के चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और जनता दल के रूप में तीसरी अहम पार्टी रही। जनता दल को इस चुनाव में 55 सीटें मिली।

1993 के बाद बीजेपी-कांग्रेस के अलावा कोई पार्टी दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंची

1993 के चुनाव के बाद राजस्थान में सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला देखने को मिला। कोई भी अन्य राजनीतिक पार्टी राजस्थान में खड़ी नहीं रह पाई। यहां तक की अबतक कोई भी तीसरा राजनीतिक दल दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाया।
1998 के चुनाव में कांग्रेस ने 153 सीटें हासिल की, बीजेपी की 33 सीटें आई। कोई और पार्टी कहीं नजर नहीं आई।
2003 में भी यही हुआ, बीजेपी 120 सीटें जीती और कांग्रेस 56 सीटें लाई। कोई तीसरी पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सकी।
2008 में कांग्रेस 96 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी रही। बीजेपी को 78 सीटें मिली। थर्ड फ्रंट नजर नहीं आया।
2013 में बीजेपी ने रिकॉर्ड 163 सीटें जीती। कांग्रेस को महज 21 मिली। थर्ड फ्रंट के नाम पर किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी एनपीईपी महज 4 सीटें जीत पाई थी।
2018 में भी ऐसा ही कुछ रहा। कांग्रेस ने सरकार बनाई, बीजेपी विपक्ष में रही। थर्ड

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