संघ-संगठन और शीर्ष नेतृत्व के विश्वास से भरतपुर का लाल बना सियासत का बॉस

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-पहली बार सांगानेर से चुनाव लड़ा और जीतकर सीधे सरकार के शीर्ष पद पर पहुंचे
-साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले भजनलाल को सीएम बनाकर भाजपा ने लामबंदी करने वालों को दिया करारा जवाब
-प्रदेश प्रभारी, प्रदेशाध्यक्ष व प्रदेश संगठन महामंत्री की तिकड़ी ने दिलाया था टिकट
-25 साल की परंपरा एक बार गहलोत, एक बार राजे के सीएम बनने का टूटा रिवाज
जयपुर, 12 दिसंबर : आखिरकार प्रदेश की सियासत की रिवाज-परंपरा का पांच बार का मिथक इस बार धराशायी हो गया। पांच बार से एक बार कांग्रेस के अशोक गहलोत तो बीजेपी की वसुंधरा राजे ही सीएम की कुर्सी पर काबिज होते थे, लेकिन इस बार तमाम अटकलों, विरोध व उठा-पठक के बीच शीर्ष नेतृत्व ने इसे ध्वस्त कर नई पीढ़ी की राजनीति का आगाज किया है। संघ-संगठन व शीर्ष नेतृत्व के विश्वास का ही नतीजा है कि भरतपुर के भजनलाल मरुधरा की सियासत के नए बॉस बने हैं। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले भजनलाल ने पहली मर्तबा बीजेपी की टिकट पर सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतने के बाद सीधे शीर्ष पद पर पहुंचे।
हालांकि खुद भजनलाल भरतपुर या सांगानेर दो सीट से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी व प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की तिकड़ी ने उनको सुरक्षित सीट सांगानेर से चुनावी रण में उतारा और जिताया भी। संभवत: इस तिकड़ी के साथ ही शीर्ष नेतृत्व के विश्वास का ही परिणाम है कि आखिरकार भजनलाल मरुधरा की सियासत के नए बॉस बनकर उभरकर सामने आए।
संघ पृष्ठभूमि के भजनलाल मंगलवार को विधायकों के गुु्रप फोटो में चौथी लाइन में बैठे थे। मूलत: भरतपुर जिले के रहने वाले भजनलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48 हजार 81 वोटों से पराजित किया था। हालांकि पहले वह भरतपुर से टिकट मांग रहे थे, लेकिन वहां पार्टी ने नहीं दिया। इसके बाद संगठन ने सांगानेर से उन्हें मैदान में उतारने के लिए तैयार किया। अभी तक राजस्थान की राजनीति में मेवाड़ व हाड़ौती में सीएम का प्रभुत्व रहता है और इस बार बीजेपी ने करीब ढ़ाई दशक बाद ब्राह्मण समाज के नाम पर मुहर लगाई। साथ ही इस बार राजधानी को प्रभुत्व मिला है। शायद यह पहला मौका है जब प्रदेश की राजधानी से चुनाव लडऩे वाले किसी नेता को सीएम की जिम्मेदारी मिली है। साथ ही यह भी पहला ही मौका है कि राजधानी से सटे एरिया के चारों नेताओं को सीएम, डिप्टी सीएम एवं विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व मिला है। आरएसएस बैकग्राउंड वाले भजन लाल शर्मा पहली बार के विधायक हैं और वह गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। वह भरतपुर के रहने वाले हैं। उन्हें जयपुर के विधानसभा का टिकट दिया गया था। भरतपुर में बीजेपी की एक सभा के इंतजाम की जिम्मेदारी भजनलाल के कंधों पर थी और वह लगातार चार-पांच दिन इसकी सफलता के लिए पसीना बहाते रहे। जब अमित शाह ने उनको इतना काम करते देखा तो सार्वजनिक रूप से कहा था कि लगता है कि भजनलाल ने कई दिनों से नींद नहीं ली। पार्टी को ऐसे ही कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। लगता है कि उस दिन से ही वह दिल्ली में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए थे। रही सही कसर संघ व संगठन के लोगों ने पूरी कर दी।
प्रोफाइल
55 वर्षीय भजनलाल पोस्ट ग्रेजुएट हैं और राज्य में भाजपा के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले महामंत्रियों में से एक हैं। वह तीनों प्रदेशाध्यक्ष के समय प्रदेश महामंत्री रहे। राजनीति में अपने शुरुआती दिनों में वह भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। उन्हें राजस्थान में किसी भी पार्टी गतिविधि के लिए सबसे आगे रहने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, लेकिन काफी लो प्रोफाइल हैं।
चुनावी हलफनामा
चुनाव आयोग में दायर हलफनामे में कहा गया है कि 56 साल के भजनलाल शर्मा स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने 1.5 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है, जिसमें 43.6 लाख रुपए की चल संपत्ति और 1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति शामिल है।
ब्राह्मण, राजपूत और दलित कार्ड
बीजेपी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के चयन के जरिए ब्राह्मण, राजपूत और दलित कार्ड खेला है। ब्राह्मण को मुख्यमंत्री और राजपूत को उप मुख्यमंत्री बनाकर सामान्य वर्ग में भी भाजपा ने एक बड़ा मैसेज दिया है। वहीं प्रेमचंद बैरवा को उप मुख्यमंत्री बनाकर दलित कार्ड भी खेला है।

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