मेघालय में मुकाबला फंसा: एग्जिट पोल में BJP को आठ से 12, दो मार्च को चुनाव के नतीजे

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मेघालय में मुकाबला फंस गया है। एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने का दावा किया गया है। हालांकि, एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। लेकिन यहां भी भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छी खबर है। यहां भाजपा का ग्राफ पिछली बार के मुकाबले बढ़ता हुआ दिख रहा है।
आइए जानते हैं किस एग्जिट पोल में क्या दावे हुए?

पोलिंग एजेंसी एनपीपी कांग्रेस भाजपा टीएमसी यूडीपी अन्य
जी न्यूज मैट्रिज 21-26 3-6 6-11 8-13 5-6 6-14
आज तक एक्सिस माय इंडिया 18-24 6-12 4-8 5-9 8-12 4-8
टाइम्स नाऊ ईटीजी 18-26 2-5 3-6 8-14 8-14 6-12
इंडिया न्यूज- जन की बात 11-16 11-6 3-7 14-9 10-14 5-12
मेघालय का मौजूदा समीकरण
मेघालय में भाजपा, कांग्रेस, एनपीपी और तृणमूल कांग्रेस समेत इस बार 13 राजनीतिक दल मैदान में हैं। कुल 375 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। इनमें 36 महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं। मेघालय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने 60-60 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने 56 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा सीएम कोनराड के. संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी ने 57 उम्मीदवारों, यूडीपी ने 46, एचएसपीडीपी ने 11, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 9, गण सुरक्षा पार्टी ने एक, गारो नेशनल काउंसिल ने दो, जनता दल (यूनाइटेड) ने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। एक सीट पर एक प्रत्याशी के निधन के चलते अभी 59 सीटों पर ही मतदान हुआ है। ऐसे में नतीजे भी  इन्हीं 59 सीटों के आएंगे। बची हुई सीट पर बाद में उपचुनाव होगा।

सरकार बनाने के लिए कितनी सीटें चाहिए? 
मेघालय 60 सदस्यीय विधानसभा सीटों वाला राज्य है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम 31 सीटें जीतनी होती हैं।
पिछली बार क्या हुआ था?
2018 में यहां 27 फरवरी को मतदान हुआ था और तीन मार्च को नतीजे आए थे। तब कांग्रेस ने 59, एनपीपी ने 52, यूडीपी ने 27, भाजपा ने 47, एचएसपीडीपी ने 15, पीडीएफ ने आठ, केएचएएनएम ने छह, एनसीपी ने छह प्रत्याशी उतारे थे। मैदान में कुल 297 उम्मीदवार थे।

एग्जिट पोल में क्या दावे किए गए? 
दो एजेंसियों ने मेघालय को लेकर एग्जिट पोल जारी किए थे। इसमें जन की बात- न्यूज एक्स और सी वोटर्स शामिल हैं।  जन की बात- न्यूज एक्स की पोल में अनुमान लगाया गया था कि एनपीपी को 23 से 27 सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस के खाते में 13 से 17, भाजपा को आठ से 12 और अन्य के खाते में 2 से छह सीटें जा सकती हैं। सी वोटर्स का अनुमान था कि एनपीपी के खाते में 17 से 23, कांग्रेस के 13 से 19 और अन्य के खाते में 13 से 21 सीटें जा सकती हैं।

नतीजे क्या निकले?
दो मार्च को चुनाव के नतीजे आए तो हर कोई हैरान रह गया। कांग्रेस और एनपीपी के बीच कांटे की टक्कर हुई। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इनके 21 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। वहीं, एनपीपी के 20 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। छह यूडीपी, दो भाजपा, चार पीडीएफ, दो  एचएसपीडीपी, एक एनसीपी और एक केएचएएनएम के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधायक चुने गए थे। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस को सत्ता से दूर होना पड़ा। भाजपा समेत कुछ अन्य दलों ने एनपीपी को समर्थन दे दिया और सरकार बनवा दी। एनपीपी के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने।

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