उदयपुर शहर : भाजपा ही नहीं, कांग्रेस में भी फूट, अभी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई कांग्रेस

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उदयपुर, 28 अक्टूबर(ब्यूरो): भारतीय जनता पार्टी उदयपुर शहर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी उतार चुकी है, लेकिन कांग्रेस अभी भी पशोपेश में है। भाजपा में जारी मुखर विरोध के बीच कांग्रेस में प्रत्याशी की घोषणा होने से पहले से ही फूट सामने आई है।
भाजपा में उदयपुर शहर से नगर निगम के मौजूदा पार्षद एवं पूर्व जिला प्रमुख ताराचंद जैन को प्रत्याशी बनाया है। जिसका विरोध नगर निगम में उप महापौर पारस सिंघवी कर रहे हैं। भाजपा की ओर से उन्हें मनाए जाने का पूरे प्रयास जारी हैं। इसके विपरीत कांग्रेस अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई लेकिन फूट पहले से ही सामने आने लगी है। उदयपुर शहर से प्रमुख दावेदारों में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ के अलावा, मुख्यमंत्री के करीबी नेता दिनेश खोड़निया, डॉ. गिरिजा व्यास, पंकज शर्मा, गोपाल कृष्ण शर्मा, दिनेश श्रीमाली, हितांशी शर्मा शामिल हैं। इनमें से गौरव वल्लभ पाली जिले से जबकि दिनेश खोड़निया डूंगरपुर जिले के हैं, हालांकि दोनों ही नेताओं के उदयपुर में बरसों से आवास हैं एवं कारोबार एवं अन्य कारणों से उदयपुर में आते रहते हैं। उनकी दावेदारी से स्थानीय नेता परेशान हैं। शुक्रवार को स्थानीय नेताओं के पक्ष में कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारियों ने बाकायदा प्रेस कांन्फ्रेंस की और इस बात पर जोर दिया कि यदि स्थानीय नेताओं को अवसर नहीं दिया गया तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उनका तर्क है कि उदयपुर से लंबे समय से विधायक रहे भाजपा के दिग्गज गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद कांग्रेस के पास जीत का अवसर आया है।

लेकसिटी प्रेस क्लब में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के पूर्व महासचिव दीपांकर चक्रवर्ती, उदयानंद पुरोहित, पूर्व सचिव शंकर भाटिया, वरिष्ठ नेता देवकिशन रामानुज तथा पूर्व पार्षद गीता पालीवाल शामिल थे। उनका कहना है कि शहर में बाहर के जो नेता दावेदारी जता रहे हैं यह स्थानीय कार्यकर्ताओं को मंजूर नहीं। उन्होंने पार्टी को सुझाव दिया कि वह स्थानीय नेताओं जिनमें डॉ. गिरिजा व्यास, गोपाल कृष्ण शर्मा, दिनेश श्रीमाली, पंकज शर्मा, राजीव सुहालका आदि में से किसी स्थानीय नेता को अवसर प्रदान करे। उनका कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ता इन स्थानीय नेताओं के साथ तन, मन और धन के साथ हमेशा खड़़ा रहा है, किन्तु पार्टी किसी बाहरी प्रत्याशी को टिकट देगी तो कार्यकर्ता उकने साथ पूरी तरह मन से काम नहीं कर पाएगा। उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को प्रत्याशी चयन में स्थानीय नेता को वरियता देने का आग्रह किया। स्थानीय नेताओं की पैरवी करने वालों में वरिष्ठ कांग्रेसी श्याम राव, शिवराज सिंह धाभाई, युवक कांग्रेस के जिला महासचिव यशोदा वर्मा आदि शामिल थे। हालांकि स्थानीय नेताओं ने पत्रकार वार्ता में ना तो गौरव वल्लभ का नाम लिया और ना ही दिनेश खोड़निया लेकिन राजनीति से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी फूट है, जो प्रत्याशी की घोषणा से पहले ही सामने आ गई। दरअसल स्थानीय दावेदार खुद उनका विरोध करने की बजाय अपने समर्थक पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं के जरिए यह सब कर रहे हैं। इस मामले में गौरव वल्लभ तथा दिनेश खोड़निया से संपर्क किया तो उनका कहना है कि वह भी स्थानीय हैं। उनकी शिक्षा—दीक्षा, कारोबार यहीं से जुड़ा है। यहीं उनके मकान हैं। उनको बाहरी बताकर जबरन फूट डालने की कोशिश की जा रही है।

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