Trial By Fire: रिलीज पर अंतरिम रोक की मांग याचिका पर फैसला सुरक्षित, उपहार सिनेमा त्रासदी पर आधारित ये वेब शो

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वेब श्रृंखला की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुशील अंसल ने दावा किया कि श्रृंखला के टीजर के रूप में श्रृंखला ने सीधे तौर पर उनके व्यक्तित्व पर हमला किया, जिसमें उनके नाम का उल्लेख किया गया है। इस मामले में सुशील को दोषी ठहराया था।दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को 1997 की उपहार सिनेमा त्रासदी पर आधारित ट्रायल बाई फायर नाम की नेटफ्लिक्स श्रृंखला की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने की मांग याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस हादसे में करीब 60 लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने रियल एस्टेट टाइकून सुशील अंसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा है। मामले में सुशील को दोषी ठहराया था।नेटफ्लिक्स पर 13 जनवरी से स्ट्रीम होने वाला यह शो 2016 की एक किताब ”ट्रायल बाय फायर: द ट्रेजिक टेल ऑफ द उपहार फायर ट्रेजडी” पर आधारित है। इसे उपहार सिनेमा कांड पीड़ित एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम और उनके पति शेखर कृष्णमूर्ति ने लिखा है। इस दंपति ने 1997 की त्रासदी में अपने दो बच्चों को खो दिया था। हाउस ऑफ टॉकीज ने एंडेमोल शाइन इंडिया के साथ मिलकर सीरीज का निर्माण किया है। अधिवक्ता गौतम खजांची के माध्यम से सुशील अंसल द्वारा दायर मुकदमे में कहा गया है कि श्रृंखला अपमानजनक है और निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है।

 

वेब श्रृंखला की रिलीज पर रोक लगाने की मांग करते हुए अंसल ने दावा किया कि श्रृंखला के टीजर के रूप में श्रृंखला ने सीधे तौर पर उनके व्यक्तित्व पर हमला किया, जिसमें उनके नाम का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले चार दिनों में टीजर को पहले ही 1.5 मिलियन बार देखा जा चुका है। जो दर्शकों पर इसके तत्काल प्रभाव को दिखाता है।

याचिका के अनुसार, 83 वर्षीय अंसल को उपहार त्रासदी से उनके जुड़ाव के लिए कानूनी और सामाजिक रूप से दंडित किया गया है और उनके परिवार को भी बड़े पैमाने पर सहना पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने त्रासदी के शिकार परिवारों से माफी मांगी है और गहरा खेद भी व्यक्त किया है। उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें जनता द्वारा बार-बार डांटे जाने के लिए हमेशा के लिए उत्तरदायी नहीं बनाया जाना चाहिए, खासकर सजा पूरी करने के बाद।

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