टाउन हॉल और होमगार्ड कार्यालय परिसर के अंतरिम कब्जे को लेकर पूर्व राजपरिवार की अपील खारिज

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जयपुर, 15 सितंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर के टाउन हॉल और जलेब चौक स्थित लेखाकार कार्यालय परिसर के अंतरिम कब्जे को लेकर पूर्व राजपरिवार की ओर से दायर अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जस्टिस नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मिनी देवी और दिया कुमारी सहित व अन्य की दो अपील याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनकर गत 5 सितंबर को अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अपील खारिज होने के कारण अदालत की ओर से मामले में सात अगस्त को यथास्थिति बहाल रखने का आदेश भी समाप्त हो गया है। अदालत ने कहा कि इन संपत्तियों का विवाद अभी निचले कोर्ट में चल रहा है और वहां साक्ष्यों से यह तय होना है कि पूर्व राजपरिवार ने ये संपत्तियां राज्य सरकार को लाइसेंस पर दी थीं या नहीं। ऐसे में निचली कोर्ट की ओर से दिए अंतरिम आदेश में दखल की जरूरत नहीं है।

अपील में कहा गया कि टाउन हॉल व जलेब चौक परिसर स्थित लेखाकार कार्यालय को कोवेनेंट में निजी संपत्ति माना गया था और सरकार को उसके उपयोग के लिए लाइसेंस पर दिया गया था। इसके अनुसार जब तक सरकार इस संपत्ति को उपयोग में लेगी, तब तक वह ही इसका रखरखाव करेगी। हाईकोर्ट भी वर्ष 2008 में इसकी पुष्टि कर चुका है। अब टाउन हॉल का विधानसभा के लिए उपयोग होने के बाद सरकार यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाना चाहती है। इसी तरह लेखाकार कार्यालय को दी गई संपत्ति का होमगार्ड कार्यालय के लिए उपयोग हो रहा था, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं रही है। जिस उद्देश्य के लिए संपत्ति दी गई थी, वह पूरा होने के कारण अब इसे वापस दिया जाए।

इस मामले में एडीजे कोर्ट में दावा पेश किया था, लेकिन कोर्ट ने अस्थाई निषेधाज्ञा को खारिज कर दिया। वहीं सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि कोवेनेंट में संपत्ति सरकार को देने के बारे में लिखा गया है। सरकार को यह संपत्ति कोवेनेंट से मिली है ना की लाइसेंस के जरिए। वहीं संविधान के अनुच्छेद 363 के तहत कोवेनेंट को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। कोवेनेंट में टाउन हॉल को प्रशासनिक काम के लिए राज्य सरकार को दिया गया था, ना कि सिर्फ विधानसभा के लिए। जिस दिन कोवेनेंट लिखा गया था, उस समय यहां विधानसभा अस्तित्व में भी नहीं थी। ऐसे में सरकार इन परिसरों का कोई भी उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपील को खारिज कर दिया है।

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