लाइसेंसी शराब को बताया अवैध, जज ने दो थानाधिकारियों की भूमिका पर जताया संदेह,तीस दिन में अदालत में पेश करना होगा जबाव

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उदयपुर, 6 अप्रेल(ब्यूरो)। लाइसेंसी शराब को अवैध बताकर कार्रवाई के मामले में उदयपुर जिले के दो थानाधिकारियों की कार्रवाई पर अदालत ने संदेह जताया है। अदालत ने इस मामले में शराब जब्त करने वाले फलासिया थानाधिकारी तथा मामले की जांच करने वाले झाड़ोल थानाधिकारी को नोटिस जारी कर उनसे तीस दिन में जबाव मांगा है। अदालत ने उनसे पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ धारा 182 व 211 के अपराध में कार्रवाई की जाए?
मामला उदयपुर जिले के फलासिया क्षेत्र का है तथा झाड़ोल कोर्ट ने फलासिया थाना अधिकारी प्रभुलाल और झाड़ोल थाना अधिकारी श्रवण कुमार दोनों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। फलासिया थाना पुलिस की कार्रवाई किए जाने को लेकर आबकारी विभाग ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और पुलिस ने जिस शराब को अवैध बताते हुए जब्त कर दो चालकों को गिरफ्तार किया, उनके वैध होने के सबूत अदालत में पेश किए थे।

यह है मामला
बताया गया कि मामला 14 मार्च 2023 का फलासिया थाना क्षेत्र का है। थाना अधिकारी प्रभुलाल ने जीवन लाल और अमृत लाल नाम के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार कर 170 पेटी अंग्रेजी शराब की बरामदगी बताते हुए दोनों के खिलाफ शराब तस्करी का मामला दर्ज किया था। पुलिस के मुताबिक यह शराब गुजरात ले जाई जा रही थी। अवकाश होने पर पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायाधीश के आवास पर पेश किया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। शराब के ठेकेदार मनीष पूर्बिया की शिकायत पर आबकारी विभाग ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए पुलिस की कथित रूप से जब्त शराब को लेकर 16 मार्च को सबूत पेश कर बताया कि उक्त शराब लाइसेंसी थी और ठेके पर सप्लाई के लिए ले जाई जा रही थी। अबाकारी विभाग ने अदालत को बताया कि यदि कोई परमिट का उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई का अधिकार आबकारी विभाग का है, ना का पुलिस का। जिसके बाद शराब तस्कर के इस मामले में गिरफ्तार जीवन लाल और अमृत लाल को 29 मार्च को जमानत मिली और जब्त की गई शराब सौंप दी गई।

कोर्ट ने कहा, क्यों ना पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दंडनात्मक कार्रवाई हो
आबकारी विभाग द्वारा लिखित जानकारी जब कोर्ट में पेश की तो कोर्ट ने फलासिया एसएचओ प्रभुलाल और जांच अधिकारी झाड़ोल एसएचओ श्रवण कुमार जोशी को लेकर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा कि क्यों ना तुम्हारे खिलाफ धारा 182 व 211 के अपराध में कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही 30 दिन में दोनों से जबाव भी मांगा है।
पुलिस अधीक्षक ने विभागीय जांच के दिए आदेश
इस मामले में उदयपुर पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि उनकी जानकारी में मामले आते ही वह विभागीय स्तर पर प्रकरण की पूरी जांच करवा रहे हैं। दोषी पाए जाने पर संबंधित थानाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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