जयपुर, 20 मार्च। राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड रुपए के भुगतान के बदले बीस करोड की रिश्वत मांगने से जुडे मामले में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम के विरुद्ध एसीबी में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश निम्बाराम की आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। अदालत ने माना कि वायरल ऑडियो-वीडियो की मूल डिवाइस को बरामद नहीं किया जा सका है। वहीं अदालत ने सह आरोपी ओमकार सप्रे और संदीप चौधरी को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका में निंबाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस गिल ने बताया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया गया है। बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि और राजाराम गुर्जर उसके पास राम मंदिर के चंदे का प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन तब तक चंदा लेने की समयावधि पूरी हो चुकी थी। इस पर याचिकाकर्ता ने प्रताप गौरव केन्द्र के लिए चंदा देने का सुझाव दिया था। याचिकाकर्ता के साथ बैठक के दौरान कंपनी के प्रतिनिधियों ने चंदे के साथ ही कंपनी की समस्याओं के बारे में बताया था। इसके अलावा ऑडियो-वीडियो क्लिप में बदले की भावना से कांट-छांट की गई है। एसीबी के पास मूल क्लिप और डिवाइस भी नहीं है। सिर्फ वायरल वीडियो के आधार पर मामला दर्ज किया गया है। ऐसे में मामले में याचिकाकर्ता के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए।
जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि कंपनी के बकाया भुगतान के बदले रिश्वत की बातचीत में निंबाराम की सक्रिय भागीदारी रही है। पुलिस जांच में निम्बाराम के विरुद्ध साक्ष्य प्रमाणित है। ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निम्बाराम के विरुद्ध दर्ज एफआईआर और एसीबी कोर्ट की कार्रवाई को रद्द कर दिया है।
गौरतलब है कि वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने दस जून, 2022 को मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
2023-03-21