पीएम नरेंद्र मोदी ने किया भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण: शेखावत

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16 मई 2014 से पहले ब्रिटिश उपनिवेशवाद का प्रतीक बनी हुई थी राजनीतिक व्यवस्था

नई दिल्ली/जोधपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 16 मई 2014 से पहले भारत में राजनीतिक व्यवस्था किसी ना किसी रूप में ब्रिटिश उपनिवेशवाद का प्रतीक बनी हुई थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण करते हुए उसके संरक्षण का काम किया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते देश की नई पीढ़ी भारत की संस्कृति में अपने लिए एक सम्मान का प्रतीक खोजते हुए भारतीय कहलाने में गर्व की अनुभूति करने लगी है।
गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पत्रकारों से भारतीय संस्कृति, विरासत और धर्मस्थलों के पुनर्उद्धार को लेकर मोदी सरकार के प्रयासों की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की पहचान और सम्मान विश्व भर में पहचाना जाए, उसके लिए केवल देश आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली बने, इतना पर्याप्त नहीं है। ना केवल उसकी सामरिक शक्ति और सामथ्र्य विश्व पहचाने, यही पर्याप्त है। किसी देश की सांस्कृतिक विरासत और क्षमता को विश्व स्वीकार करे, तब जाकर आदर का भाव किसी देश, संस्था और व्यक्ति के लिए बनता है। शेखावत ने कहा कि हमारा देश विश्वभर में ज्ञान और विज्ञान के केंद्र के रूप में पहचाना जाता था, लेकिन एक लंबे गुलामी के कालखंड में हमारी मानसिकता में जिस तरह से बदलाव हुआ, उसके चलते हमने स्वयं अपनी विरासत और क्षमताओं पर गर्व करना समाप्त कर दिया था। भारत की प्रासंगिकता विश्व पटल पर कम से कमतर होती गई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले एक दशक के कालखंड में जिस तरह से संस्कृतिक पुरुष के रूप काम किया, उससे भारतीय संस्कृति एक नए पुनर्जागरण के दौर में पहुंची है, वरना गुलामी के दौर में सुनियोजित रूप से चलाए गए कुचक्रों के चलते देश के लोग मानसिक रूप से गुलाम हो गए थे। जो कुछ पश्चिम से आता है, वही श्रेष्ठ है, ऐसी मानसिकता सामान्य भारतीय मानवी की हो गई थी।
सांस्कृतिक आध्यात्मिक केंद्रों का पुनर्उद्धार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण के पुरोधा बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना केवल भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण किया, बल्कि सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भारतीय संस्कृति को एक नई जीवंतता प्रदान की। अयोध्या में राममंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, सोमनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल, गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, चारधाम, करतारपुर साहिब, गुजरात के मेहसाणा में चालुक्य काल में बनाए गए मुंडेरा के सूर्य मंदिर समेत अनेक मंदिरों और धर्मस्थलों का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि अनेक सांस्कृतिक आध्यात्मिक केंद्रों का पुनर्उद्धार मोदी सरकार ने सफलतापूर्वक किया। शेखावत ने कहा कि भारत से चुराकर या लूटकर ले जाई गई ऐतिहासिक संपदा को स्वदेश लाने का क्रम तेजी के साथ में चल रहा है। 2014 से अब तक 344 से ज्यादा ऐसी ऐतिहासिक धरोहर भारत में लाई गई हैं।
योद्धाओं का सम्मान पुन: स्थापित किया
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले योद्धाओं का सम्मान पुन: स्थापित कराया है, जो पिछले 60 सालों में या तो भुला दिए गए थे या सुनियोजित रूप से भुलाए गए थे। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी विरासतों को वापस पुन: स्थापित करने की दिशा में उल्लेखनीय काम प्रारंभ हुआ है। प्रधानमंत्री के प्रयासों के चलते हुए यूनेस्को ने 2014-23 के बीच में भारत के अनेक स्थलों को मान्यता प्रदान की है।

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