महिला आरक्षण बिल कैबिनेट में मंजूर:दावा- 33% आरक्षण मिलेगा

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संसद के स्पेशल सेशन के बीच सोमवार 18 सितंबर की शाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें पीएम मोदी और अन्य मंत्री शामिल हुए। बैठक में क्या फैसले लिए गए, इसकी ऑफिशियल ब्रीफिंग नहीं दी गई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि महिला आरक्षण बिल को बैठक में मंजूरी दी गई है। मंगलवार को इसे सदन में पेश किया जाएगा। इसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।

संसद के विशेष सत्र में ये 4 बिल पेश होने हैं…

1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल, 2023 यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

2. एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023 इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।

3. प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023 यह बिल किसी भी न्यूजपेपर, मैग्जीन और किताबों के रजिस्ट्रेशन और पब्लिकेशंस से जुड़ा है। बिल के जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 को निरस्त कर दिया जाएगा।

4. पोस्ट ऑफिस बिल, 2023 यह बिल 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को खत्म कर देगा। इस बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने साथ ही पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को अतिरिक्त पॉवर देने का काम करेगा।
पुरानी संसद में सोमवार को संसद की कार्यवाही का आखिरी दिन रहा। पीएम मोदी ने पुराने भवन में 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी। पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है जहां पंडित नेहरू का स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करती है। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था।
स्पेशल सत्र से पहले दिन के अपडेट्स….

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा – पोखरण के समय विदेशी ताकतों ने हमें रोकने की बहुत कोशिशें की लेकिन हम रुके नहीं। अटल जी ने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया। उस परमाणु परीक्षण के बाद हम पर प्रतिबंध लगाए थे, उसको हटाने का काम मनमोहन सिंह ने किया। जिन पर बीजेपी मौन रहने का आरोप लगाती थी। वो मौन नहीं रहते थे। दरअसल वो बात कम, काम ज्यादा करते थे।
राज्यसभा में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमसे हर बार यही पूछा जाता है कि 70 साल में क्या किया? हमने वही किया जो आज आप लोग आगे बढ़ा रहे हैं, उसे शुरू किया। जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया, तो कई विदेशी विद्वानों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र विफल हो जाएगा क्योंकि यहां लाखों अशिक्षित लोग हैं। हमने उन्हें गलत साबित किया। हमने यही किया है 70 सालों में।
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उपाध्यक्षों का नया पैनल बनाया गया है। 8 मेंबर्स के इस पैनल में 50% यानी 4 महिला सांसद हैं। भविष्य में यह संख्या और बढ़ सकती है। इस पैनल में भाजपा सांसद कांता कर्दम, सुमित्रा वाल्मीकि, गीता उर्फ ​​चंद्रप्रभा और बीजू जनता दल की सांसद ममता मोहंता शामिल हैं।

स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी
स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। उधर विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से 24 पार्टियां इस सेशन में हिस्सा लेंगी।

इससे पहले 17 सितंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नई पॉर्लियामेंट बिल्डिंग में तिरंगा फहराया। वहीं सत्र शुरु होने से पहले ऑल पार्टी मीटिंग हुई। इस दौरान कई पार्टियों ने महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने और पारित करने की जोरदार वकालत की।

19 राज्यों के कुल विधायकों में महिलाओं की संख्या 10% से भी कम
कानून मंत्री रहते किरेन रिजिजू ने दिसंबर 2022 में संसद को बताया था कि मप्र समेत 19 राज्यों के कुल विधायकों में महिलाओं की संख्या 10% से भी कम हैं। जबकि दिल्ली, बिहार समेत 7 राज्यों में 15% तक हैं। अभी लोकसभा में 78 तो राज्यसभा में 32 महिला सांसद हैं। कुल सांसदों में 11% महिलाएं हैं।

सीएसडीएस के मुताबिक 2019 की जीत में भाजपा को 36% वोट महिलाओं के मिले थे। जबकि कांग्रेस को 20% तो बाकी दलों को 44% वोट महिलाओं के मिले थे।

सुप्रीम कोर्ट से अधिकतम आरक्षण 50% तय है, बावजूद इसके कई राज्य आरक्षण सीमा बढ़ा रहे हैं, जिसे बाद में कोर्ट में चुनौती मिल रही है।
संसद के विशेष सत्र में ये 4 बिल पेश होंगे…

1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल, 2023
यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

बिल की स्थिति – मानसून सत्र में 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हो चुका।

विपक्ष का रुख: राज्यसभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया था। विपक्षी दलों ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।

मायने : इस बिल के जरिए सिलेक्शन पैनल से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बाहर रखा जाएगा। चुनाव आयुक्त के पद पर उम्मीदवारों को चुनने के लिए एक सर्च कमेटी होगी। कमेटी में कैबिनेट सचिव और दो सचिव रैंक के अधिकारी होंगे। ये 5 लोगों के नाम सुझाएंगे। ये नाम आगे सिलेक्शन कमेटी को भेजे जाएंगे।

2. एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023
इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।

बिल की स्थिति – मानसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुका। इसके बाद 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जा चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : इस विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय‚जिला न्यायाधीश‚सत्र न्यायाधीश‚जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी (जिला कलेक्टर के पद से नीचे नहीं) दलालों की सूची बना और प्रकाशित कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो दलाल के रूप में काम करता है जबकि उसका नाम दलालों की सूची में शामिल है, उसे तीन महीने तक की कैद, 500 रुपये तक का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है।

3. प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023
यह बिल किसी भी न्यूजपेपर, मैग्जीन और किताबों के रजिस्ट्रेशन और पब्लिकेशंस से जुड़ा है। बिल के जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 को निरस्त कर दिया जाएगा।

बिल की स्थिति – मानसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुका। इसके बाद 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जा चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। साथ ही न्यूजपेपर्स और मैग्जीन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस आसान हो जाएगा। साथ ही कोई व्यक्ति जो किसी आतंकवादी या गैरकानूनी गतिविधि के लिए दोषी ठहराया गया हो, या जिसने राज्य की सुरक्षा के खिलाफ काम किया हो, उसे मैग्जीन छापने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

4. पोस्ट ऑफिस बिल, 2023
यह बिल 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को खत्म कर देगा। इस बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने साथ ही पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को अतिरिक्त पॉवर देने का काम करेगा।

बिल की स्थिति – मानसून सत्र में 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हो चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : केंद्र सरकार के भारतीय डाकघर अधिनियम में प्रस्तावित सुधार से कर्मचारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में डाक पार्सल खोलने की अनुमति मिलेगी। इसके अलावा अधिकारियों को टैक्स चोरी के संदेह होने पर उन्हें संबंधित अधिकारियों को भेजने की भी शक्ति मिलेगी।

विपक्ष के वो 9 मुद्दे जिन पर सरकार को घेरने की तैयारी…
एक तरफ जहां सरकार कुछ अहम बिल पेश करने वाली है। वहीं विपक्ष भी केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुका है। I.N.D.I.A में शामिल लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने 5 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मीटिंग की।

इस बैठक में निर्णय लिया गया कि I.N.D.I.A अलायंस में शामिल 28 पार्टियों में से 24 पार्टियां संसद के स्पेशल सेशन में शामिल होंगी। 6 सितंबर को सोनिया गांधी ने पीएम को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें सोनिया ने 9 मुद्दे उठाए थे।
इन 5 बड़े मुद्दों पर हंगामा हो सकता है

1. INDIA नाम को लेकर विवाद : विपक्षी गठबंधन ने 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई बैठक में अपने अलायंस के INDIA नाम का ऐलान किया था। हालांकि इस नाम को लेकर बीजेपी काफी हमलवार है। पीएम मोदी ने इसे घमंडिया गठबंधन तक कह दिया था। वहीं अब देश का नाम INDIA से भारत करने की चर्चा हो रही है। दरअसल G20 समिट के दौरान डिनर के लिए दिए गए इन्विटेशन कार्ड में प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा था। वहीं मीटिंग के दौरान पीएम के आगे देश के नाम की पट्‌टी पर BHARAT लिखा था। विपक्ष का आरोप है कि सरकार INDIA गठबंधन के नाम से डरकर देश का नाम बदलने वाली है।
2. चीन का नया मैप: इस सेशन में विपक्ष एक बार फिर से भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। चीन ने 28 अगस्त को एक नया मैप जारी किया था जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को उसने अपना हिस्सा बताया है। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन हमेशा से ऐसी हरकतें करता रहता है। राहुल गांधी ने हाल ही में लद्दाख दौरे पर कहा था कि चीन ने हमारे इलाके में घुसपैठ की है। पूरा लद्दाख इस बात को जानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर बयान देना चाहिए।

3. वन नेशन- वन इलेक्शन : केंद्र सरकार ने 1 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह समेत 8 मेंबर्स हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी इसमें शामिल हैं। हालांकि उन्होंने कमेटी में काम करने से इनकार कर दिया है।
4. अडाणी-हिंडनबर्ग: विपक्ष इस सेशन में अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच JPC से कराने को लेकर फिर एक बार हंगामा कर सकता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अडाणी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के माध्यम से ही बाहर आ सकती है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर लगातार मुखर है। राहुल गांधी ने अडाणी और प्रधानमंत्री की तस्वीर संसद में भी दिखाई थी। इसके बाद एक मामले में उनकी सांसदी चली गई, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सदस्यता फिर से बहाल कर दी।

5. मणिपुर हिंसा: मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर 3 मई से हिंसा जारी है। राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले मानसून सत्र में भी विपक्ष ने सरकार को इसी मुद्दे पर घेरते हुए कामकाज ठप कर दिया था। राज्य सरकार ने 29 अगस्त को एक दिन के लिए विधानसभा का सत्र भी बुलाया था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। कांग्रेस ने इसे लेकर काला झंडा भी फहराया था।

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