इन क्रॉनिक लिवर डिजीज विषय पर कॉन्फ्रेन्स : 56 लिवर ट्रांसप्लाट कर बनाया कीर्तिमान

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– महात्मा गांधी अस्पताल में न्यूट्रिशियन इन क्रॉनिक लिवर डिजीज विषय पर कॉन्फ्रेन्स
जयपुर, 7 अप्रैल (ब्यूरो): राजधानी के महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टैक्नोलोजी के हिपेटोलोजी विभाग, इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॅार स्टेडी ऑफ द लिवर के तत्वावधान में दो दिवसीय न्यूट्रिशियन इन क्रॉनिक लिवर डिजीज विषयक कॉन्फ्रेन्स का शुक्रवार को आरएल स्वर्णकार ऑडिटोरियम में शुभारंभ हुआ।
कॉन्फ्रेन्स के उद्घाटन सत्र में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. सुधीर सचदेव ने कहा कि महात्मा गांधी अस्पताल अंग प्रत्यारोपण का एक बड़ा केन्द्र बनकर उभर रहा है। यहां हार्ट, लिवर, पैनक्रियाज, किडनी ट्रांसप्लान्ट हो चुके हैं। अब तक 1540 से अधिक किडनी, 55 लिवर ट्रांसप्लान्ट हो चुके है तथा शुक्रवार को 56वां लिवर ट्रांसप्लान्ट कर कीर्तिमान स्थापित किया गया है।
कॉन्फ्रेन्स के आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. विवेक आनन्द सारस्वत ने बताया कॉन्फ्रेन्स में सार्कोपिनिक, ओबीसिटी विषय पर चर्चा की गई। सार्कोपिनिया तथा फ्रियल्टी तथा सार्कोपिनिया के मोटे मरीजों में मांस पेशियों की कमजोरी (ओबेसिटी) की नई जानकारी दी गई। इस दौरान सार्कोपिनिया के रोगियों का खानपान क्या हो पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने अनुभव शेयर किए।
यह है सार्कोपिनिया :
इस बीमारी में मरीज मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। रोगी उम्र से अधिक वृद्ध लगने लगता है। सार्कोपिनिया मोटापे वाले रोगियों में होती है तो यह गम्भीर रूप ले लेती है। यह बीमारी लिवर सिरोसिस के मरीजों में जल्दी घर करती हैं। जिसमें रोगी का खानपान सुधार तथा दवा के माध्यम से रोगी का उपचार किया जाता है।

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