LIC एजेंट और कर्मचारियों के लिए 4 बड़े ऐलान:सरकार ने ग्रेच्युटी लिमिट ₹5 लाख की, इससे 13 लाख एजेंट को मिलेगा फायदा

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वित्त मंत्रालय ने सोमवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के एजेंट और कर्मचारियों से जुड़ी 4 बड़ी स्कीम्स को मंजूरी दी है। वित्त मंत्रालय ने उनके लिए ग्रेच्युटी सीमा, रीन्यूएबल कमीशन की पात्रता, टर्म इंश्योरेंस कवर और फैमिली पेंशन के लिए एक समान रेट को मंजूरी दी है।

इस फैसले से 1 लाख रेगुलर कर्मचारियों और 13 लाख एजेंट को फायदा मिलेगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि इसके जरिए एजेंट को वित्तीय स्थिरता मिल सकेगी। भारतीय जीवन बीमा निगम की ग्रोथ और भारत में बीमा पैठ को गहरा करने में LIC के एजेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चार स्कीम्स जिन्हें अप्रूवल दिया गया

एक समान 30% दर से फैमिली पेंशन: LIC कर्मचारियों के परिवारों के कल्याण के लिए फैमिली पेंशन की 30% की एक समान दर लागू होगी। पहले यह सीमा 15% थी।
टर्म इंश्योरेंस कवर की लिमिट बढ़ाई: इस फैसले में एजेंट के लिए टर्म इंश्योरेंस कवर की मौजूदा लिमिट ₹3,000-₹10,000 को बढ़ाकर ₹25,000-₹1,50,000 कर दी है।
दोबारा जॉइन करने वाले एजेंट को फायदा: जो एजेंट बीच में LIC की एजेंसी छोड़ने के बाद दोबारा से जॉइन करते हैं, वो अपने पुराने काम का कमीशन पाने के हकदार होंगे।
LIC एजेंट की ग्रेच्युटी लिमिट बढ़ाई गई: एलआईसी एजेंट्स के लिए ग्रेच्युटी लिमिट 3 लाख रुपए थी। अब ग्रेच्युटी लिमिट को 3 से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया है।
साल 1956 में अस्तित्व में आई थी LIC
19 जून 1956 को संसद ने लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट पारित किया था। इसके तहत देश में कार्य कर रहीं 245 प्राइवेट कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया गया था। इस तरह 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC अस्तित्व में आई थी।
पहले दिन से ही 27 हजार कर्मचारी
सभी बीमा कंपनियों को मिलाकर एलआईसी का गठन हुआ था और इन सभी कंपनियों में करीब 27 हजार कर्मचारी काम कर रहे थे। ये सभी कर्मचारी एलआईसी के कर्मचारी कहलाए। इसलिए एलआईसी पहले दिन से ही भारत की टॉप एम्प्लॉयर कंपनियों में शुमार हो गई।

बैलगाड़ियों से पैदल तक…
LIC के शुरुआती दिनों में एजेंटों के लिए लोगों को समझाना बड़ी दिक्कत का काम था। स्कीम के बारे में लोगों को समझाने के लिए उन्हें ट्रेन, बस, मोटरसाइकिल, साइकिल से लेकर बैलगाड़ियों तक में जाकर प्रचार करना पड़ा। वे कई-कई किमी पैदल चलते। लेकिन उसी का नतीजा है कि आज ग्रामीण अंचलों में एलआईसी की 12 करोड़ पालिसियां हैं।

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