जयपुर के लक्ष्मण सिंह को पद्मश्री:पानी बचाने की चौका तकनीक से तालाब रिचार्ज किए, चारागाह बचाए

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पानी बचाने की चौका तकनीक से तालाबों और चारागाहों की तस्वीर बदलने वाले जयपुर जिले के लापोड़िया निवासी लक्ष्मण सिंह को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में लक्ष्मण सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया। इस साल 25 जनवरी को लक्ष्मण सिंह सहित राजस्थान की चार हस्तियों को पद्मश्री देने की घोषणा की गई थी। कला के क्षेत्र में जयपुर के अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन, समाज सेवा में लक्ष्मण सिंह और मूलचंद लोढ़ा को पद्मश्री देने की घोषणा की गई थी।राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राजस्थान से लक्ष्मण सिंह ही पहुंचे थे।

पानी बचाने की तकनीक से बदली 50 से ज्यादा गांवों की तस्वीर

लक्ष्मण सिंह जयपुर जिले में दूदू के लापोड़िया गांव के रहने वाले हैं। पिछले 40 साल से पानी बचाने और पर्यावरण के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। लक्ष्मण सिंह ने पानी बचाने की तकनीक और इसके लिए छेड़ी गई मुहिम से 50 से ज्यादा गांवों की तस्वीर बदल दी। लक्ष्मण सिंह ने पानी बचाने की चौका तकनीक से तालाब रिचार्ज किए, चारागाहों को बचाया।

चौका तकनीक से बचाए चारागाह और तालाब, खुद के गांव से शुरुआत
लक्ष्मण सिंह ने पानी बचाने की चौका तकनीक को सबसे पहले अपने गांव लापोड़िया से शुरू किया। इस काम को आगे बढाने के लिए नवयुवक मंडल लापोड़िया का सहयोग लिया। सबसे पहले खुद के गांव के तालाब में पानी रिचार्ज कर चारागाह को हरा भरा बनाया। देखते ही देखते आसपास के गांवों में भी लापोड़िया मॉडल की चर्चा होने लगी। इसके बाद लापोड़िया नवयुवक मंउल के माध्यम से लक्ष्मण सिंह ने दूसरे गांवों में भी पानी बचाने और चारागाह विकास के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू किया।

पशुओं की नस्ल सुधार पर भी जोर
लक्ष्मण सिंह ने ग्रामीण क्षेत्र में चौका तकनीक से पानी बचाया और पेड़-पौधे भी लगाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में अकाल के समय पानी की किल्लत नहीं हुई। इसके साथ ही ​​​​​लक्ष्मण सिंह खंगारोत लापोडिया ने पर्यावरण संरक्षण और चारागाह भूमि विकसित करने के साथ ही क्षेत्र की 100 गांवों में गायों की नस्ल सुधार भी करवाया।

18 साल की उम्र में गांव की तस्वीर बदलने की ठानी,धरती जतन यात्रा

लक्ष्मण सिंह जब दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उनका रुझान पानी बचाने की ताफ हुआ। अकाल को देखते हुए उनके मन में पानी सहेज कर रखने और चारागाह को बचाने का आइडिया आया। इसके लिए लोगों को प्रेरित किया। गायों में नस्ल सुधार का अभियान भी चलाया गया। उनका मुख्य फोकस छोटे तालाबों और चारागाहों को बचाने पर रहा। उनकी मुहिम कीर वजह से 50 से ज्यादा गावों को फायदा मिला। क्षेत्र में अकाल पड़ने पर पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए 1977 में श्रमदान कर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करना शुरू किया। 1987 से ग्राम विकास नवयुवक मंडल लापोडिया के माध्यम से धरती जतन यात्रा निकालना शुरू किया जो अब भी जारी है।

106 हस्तियों को पद्म पुरस्कार

पंडवानी गायिका उषा PM के सामने घुटनों के बल बैठीं, हिराबाई ने राष्ट्रपति के कंधे पर हाथ रखा

गुजरात की रहने वाली हिराबाई बेन इब्राइमभाई लॉबी को पद्मश्री से नवाजा गया। उन्हें सिद्दी समुदाय के उत्थान के लिए ये सम्मान दिया गया है।

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को 106 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने पहला सम्मान आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोषी को दिया। उनकी बेटी ने पिता को मिला पद्म विभूषण सम्मान ग्रहण किया। इसके बाद बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला को व्यापार और उद्योग क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

बिड़ला परिवार में पद्म पुरस्कार पाने वाले कुमार मंगलम चौथे व्यक्ति बन गए हैं। इससे पहले उनकी मां राजश्री बिड़ला को पद्म भूषण, दादा बसंत कुमार बिड़ला को पद्म भूषण और उनके परदादा घनश्याम दास बिड़ला को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पंडवानी गायिका उषा को पद्म श्री से नवाजा गया। उन्होंने सम्मान लेने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति के पैर छूकर सम्मान ग्रहण किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव सहित कई लोग मौजूद रहे।
पंडवानी गायिका उषा छत्तीसगढ़ की लोक कलाकार हैं। पुरस्कार लेने से पहले उन्होंने पहले प्रधानमंत्री, इसके बाद राष्ट्रपति के सामने घुटनों के बल बैठकर प्रणाम किया।
डॉ. अरविंद कुमार को विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में अभूतपूर्व योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
डॉ. प्रभाकर भानुदास मांडे को साहित्य एवं शिक्षा में योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया।

राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित की जाने वालीं हस्तियां

पद्म पुरस्कार पाने वाले 106 लोगों में 19 महिलाएं भी हैं। 6 लोगों को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 91 को पद्मश्री दिया गया है। इन पुरस्कारों के नामों का ऐलान 25 जनवरी को किया गया था।

नाम पुरस्कार क्षेत्र
बालकृष्ण दोषी पद्म विभूषण आर्किटेक्ट
श्री सोमनहल्ली पद्म विभूषण लोक कार्य
कुमार मंगलम पद्म भूषण व्यापार और उद्योग
सुमन कल्याणपुर पद्म भूषण कला
कपिल कपूर पद्म भूषण साहित्य एवं शिक्षा
श्री कमलेश पटेल पद्म भूषण अध्यात्म
उषा बरले
पद्म श्री

कला
श्री मंगला कांत पद्म श्री कला
भानुभाई चितारा पद्म श्री कला
हिराबाईबेन इब्राइमभाई पद्म श्री समाज सेवा
डॉ. प्रभाकर भानुदास मांडे पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
नाडोजा पिंडिपापनहल्ली पद्म श्री कला
प्रोफ्रेसर महेंद्र पाल पद्म श्री
विज्ञान एवं इंजीनियरी

नलिनी पार्थसारथी पद्म श्री चिकित्सा
डॉ. हनुमंत राव पद्म श्री चिकित्सा
श्री रमेश रघुनाथ पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
श्री वीपी अप्पूकुट्टन पद्म श्री समाज सेवा
एस.आर.डी प्रसाद पद्म श्री खेल
श्री चिंतलपाटि पद्म श्री कला
डॉ. बंडी रामकृष्ण रेड्डी पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
मनोरंजन साहू पद्म श्री चिकित्सा
श्री कोटा सच्चिदानंद पद्म श्री कला
श्री गुरुचरण सिंह पद्म श्री खेल
श्री लक्ष्मण सिंह पद्म श्री समाज सेवा
प्रकाश चंद्र सूद पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
श्रीमती नैहुनओ पद्म श्री कला
एस. सुब्बरामन पद्म श्री पुरातत्व विज्ञान
श्री विश्वनाथ प्रसाद पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
श्री धनीराम टोटो पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
जी. वेलूच्यामि पद्म श्री चिकित्सा
करमा वांगचु पद्म श्री समाज सेवा
गुलाम मुहम्मद पद्म श्री कला
जोधइया बाई पद्म श्री कला
डॉ. संकुरात्रि पद्म श्री समाज सेवा
श्री रामन पद्म श्री कृषि
श्री नरेंद्र चंद्र पद्म श्री लोक कार्य
श्री वडीवेल गोपाल पद्म श्री समाज सेवा
हेमचंद्र गोस्वामी पद्म श्री कला
प्रीतिकना गोस्वामी पद्म श्री कला
मोदादुगु विजय पद्म श्री विज्ञान एवं इंजीनियरी
दिलशाद हुसैन पद्म श्री कला
भिकू रामजी पद्म श्री समाज सेवा
रतन सिंह जग्गी पद्म श्री साहित्य एवं शिक्षा
बिक्रम बहादुर पद्म श्री समाज सेवा
राकेश झुनझुनवाला पद्म श्री व्यापार और उद्योग
रतन चंद्र कर पद्म श्री चिकित्सा
गुरु कुप्पैया कल्याणसुंदरम पद्म श्री कला
श्री महिपतराय पद्म श्री कला
मागुणी चरण पद्म श्री कला
डॉ. अरविंद कुमार पद्म श्री विज्ञान एवं इंजीनियरी
श्री रिसिंगबोर पद्म श्री कला
पद्म श्री लेने से पहले हिराबाईबेन ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा। उन्हें यह सम्मान समाज सेवा के लिए दिया गया है।
पद्म श्री लेने से पहले हिराबाईबेन ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा। उन्हें यह सम्मान समाज सेवा के लिए दिया गया है।
सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएम कृष्णा को पद्म विभूषण दिया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएम कृष्णा को पद्म विभूषण दिया गया।
आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को पद्म विभूषण दिया गया।
आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला को पद्म विभूषण दिया गया।
प्रोफेसर बालकृष्ण दोषी को मरणोपरांत पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। उनकी बेटी ने ये सम्मान लिया।
प्रोफेसर बालकृष्ण दोषी को मरणोपरांत पदम विभूषण से सम्मानित किया गया। उनकी बेटी ने ये सम्मान लिया।
पद्म पुरस्कार पाने वाले लोगों से जुड़े ये फैक्ट भी पढ़ें…

10 अक्‍टूबर 2022 को मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद निधन हुआ। गणतंत्र दिवस के दिन सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण देने का ऐलान किया। हालांकि मुलायम सिंह के निधन के बाद उनके समर्थकों ने भारत रत्न देने की मांग उठाई थी। मुलायम सिंह 1967 में 28 साल की उम्र में जसवंतनगर से पहली बार विधायक बने। 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाद में वे दो बार और प्रदेश के CM रहे।

दिलीप महालनाबिस को भी पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1971 की जंग के दौरान ORS के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर हजारों लोगों की जान बचाई थीं। दिलीप ने ही ORS की खोज की थी। इससे दुनियाभर में हर साल 5 करोड़ लोगों की जान बचती है। डॉ. दिलीप बाल रोग विशेषज्ञ थे। उनका अक्टूबर 2022 में कोलकाता में निधन हो गया था।
इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को पद्म भूषण से नवाजा गया। सुधा अभी इंफोसिस फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही हैं। उन्होंने कन्नड़, मराठी और अंग्रेजी भाषा में कई किताबें लिखी हैं। 1996 में उन्होंने एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। ट्रस्ट ने अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2300 से ज्यादा घर बनाए। सेवा कार्यों के लिए 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था।

उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्म हुआ था। उन्होंने छोटी सी उम्र में ही तबला बजाना शुरू कर दिया था। 11 साल की उम्र में जाकिर ने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उनका पहला एलबम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च हुआ था। तबला बजाने में जाकिर दुनियाभर में बहुत फेमस हैं। उन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से व्हाइट हाउस में परफॉर्म करने के लिए आमंत्रित किया था।

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