दसलक्षण पर्व: तप को जीवन में साथी बनायेंगे तभी सुख की प्राप्ति होगी

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-दसलक्षण पर्व का आज रहा सातवां दिन, उत्तम तप धर्म की हुई पूजा
अलवर, 25 सितंबर : दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों के चल रहे दसलक्षण पर्व के आज सातवें दिन उत्तम तप धर्म की पूजा हुई। इस अवसर पर विद्वानों ने कहा कि तप को हम जब जीवन में अपना साथी बनायेंगे तभी सुख की प्राप्ति होगी। विद्वानों ने कहा कि दसलक्षण धर्म में तप एक प्रौढ़ धर्म है। सोने की परीक्षा तपाये जाने के बाद ही होती है कि वह कितना खरा है।
विद्वानों ने कहा कि कर्म के साथ जुड़ी आत्मा को कर्म मल से दूर करने के लिये दुनिया में तप के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि उपवास वही कहलाता है कि जब हम आत्मा के सन्निकट रहें, तभी वास्तविक तप है। इसी से कर्मों की निर्जरा होती है, इच्छा का अभाव तो वास्तविक तप है। उन्होंने कहा कि जिनकी तप में आस्था नहीं है,तप में कष्ट समझते हैं, वे तीन काल में भी मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकते। दसलक्षण पर्व पर दिगम्बर जैन मंदिरों में आये दिन श्रद्धालुओं का सैलाब बढ़ता जा रहा है। सुबह से शहर के विभिन्न हिस्सोंं में बने दिगम्बर जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू होने से मंदिरों में रौनक परवान चढ़ रही है। मंदिरों को बिजली की रोशनी से सजाया गया है तथा शाम को कई दिगम्बर जैन मंदिरों में जो महाआरती का कार्यक्रम चल रहा है वह भी देखने लायक होती है। दसलक्षण पर्व के दौरान शाम को चल रहे महाआरती कार्यक्रमोंं में जैन श्रद्धालु महिला-पुरूष जिनेन्द्र भक्ति में डूबकर नृत्य करते हुए देखे जा सकते हैं। सुबह करीब 6.30 बजे से मंदिरों में श्रीजी के अभिषेक के साथ धार्मिक क्रियाओं व दसलक्षण पर्व के कार्यक्रमों की शुरूआत होती है जिसके बाद शांतिधारा और पूजन के कार्यक्रम होते हैं। शाम के समय भी मंदिरों में बच्चों के कार्यक्रम हो रहे हैं। स्थानीय बलजी राठौड़ की गली स्थित श्री दिगम्बर जैन पद्मप्रभु मंदिर में रविवार रात्रि को जागरण का कार्यक्रम हुआ जिसमें भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और गायक कलाकारों से लेकर श्रद्धालुओं द्वारा गाये भजनों की गंगा में डूबते हुए जिनेन्द्र भक्ति का आनन्द लेते रहे।

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