कोटा NEWS : गराड़िया महादेव मन्दिर को बना दिया “गराड़िया व्यू प्वाइंट”

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इंटेक ने कहा, 500 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत से छेड़छाड़ की शर्मनाक कोशिश, आन्दोलन की चेतावनी दी

17 अक्टूबर : वन एवं वन्यजीव विभाग की ओर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में स्थित गराडिया महादेव मंदिर का नाम बदल दिया गया है। इसे अब “गराडिया व्यू प्वाइंट” कर दिया गया है। वन विभाग ने प्रवेश द्वार पर लगे साइन बोर्ड पर भी इसी प्रकार का नाम चस्पा किया है। जिसे लेकर इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज ‘इंटेक’ मुखर हो गया है। इंटेक के कन्वीनर निखिलेश सेठी ने बताया कि गराडिया महादेव मंदिर की सांस्कृतिक विरासत तकरीबन 500 साल पुरानी है। जहां पर दर्शनार्थी दर्शन करने के लिए जाते हैं। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व बनने के बाद इस सांस्कृतिक विरासत के साथ छेड़छाड़ करने की लगातार कोशिश हो रही है। पहले दर्शनार्थियों को हतोत्साहित करने के लिए जानबूझकर भारी भरकम प्रवेश शुल्क लगा दिया गया। अब इसका नाम बदलकर “महादेव” शब्द को ही हटा दिया गया है। यह सदियों से चली आ रही हमारी सांस्कृतिक पहचान को समाप्त करने की कोशिश है। यहां लगे साइन बोर्ड में स्पष्ट रूप से गराडिया व्यू पॉइंट लिखा गया है। जबकि तकरीबन 500 सालों से इसे गराड़िया महादेव के नाम से ही पहचाना जाता रहा है। दस्तावेजों में भी इसी नाम से दर्ज रहा है।

निखिलेश सेठी ने बताया कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में भी प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर है। जहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक और दर्शनार्थी जाते हैं। वहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। विभाग की ओर से उसका नाम भी त्रिनेत्र गणेश मन्दिर ही रखा गया गया है। ऐसे में, कोटा की सांस्कृतिक विरासत के साथ खिलवाड़ किया जाना समझ से परे है। इस संबंध में इंटेक के कन्वीनर निखिलेश सेठी की अध्यक्षता में बैठक कर वन विभाग के इस कदम की निंदा की है। इंटेक ने इसे भारतीय संस्कृति और सांस्कृतिक निधि के खिलाफ साजिश बताया है।

सेठी ने बताया कि इंटेक की ओर से मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर और मुख्य उपवन संरक्षक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व बीजो जोय जोसेफ को पत्र लिखा है। इंटेक के को- कन्वीनर बहादुर सिंह, सदस्य बृजेश विजयवर्गीय, आदित्य सेठी, सौरभ लोढा, एडवोकेट शैलेश जैनने दस्तावेजों में प्राचीन नाम गराडिया महादेव मंदिर व्यू प्वाइंट करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि जल्दी ही इस सांस्कृतिक विरासत का नाम पूर्व स्थिति में नहीं आता है तो इंटेक की ओर से आंदोलनात्मक गतिविधि प्रारंभ की जाएगी।

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