जोधपुर: दो साइबर क्रिमिनल गिरफ्तार

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जोधपुर, 27 सितम्बर !!. फोन पर झूठी पहचान बता ठगी करने वाले मैवाती गैंग का आज जोधपुर कमिश्नरेट पुलिस ने खुलासा करते हुए दो साइबर क्रिमिनल को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के दो सदस्यों को पुलिस अलवर के मेवात से पकड़ कर लाई है। पुलिस ने इनके रिकॉर्ड खंगाले तो पता चला कि इनके खिलाफ देशभर के अलग-अलग थानों में करीब 1 हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज है और इनमें से 70 एफआईआर हो चुकी है। साइबर क्रिमिनल्स ने गत 8 महीने में अलग-अलग 310 सिम का यूज कर लोगों को ठगा है। इनमें दो पीडि़त जोधपुर के भी थे। पीडि़त ने 14 अगस्त को एयरपोर्ट थाने में शिकायत दी थी। इसके बाद पुलिस ने जब जांच शुरू की तो मैवात गैंग का कनेक्शन सामने आया।

परिचित बनकर की थी ठगी : डीएसपी पूर्व डॉ. अमृता दुहन ने बताया है कि गत 14 अगस्त को एयरपोर्ट थाना क्षेत्र निवासी सुरेश मीणा ने रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया कि एक नंबर से मैसेज आया था, जो किसी परिचित का था। उस पर किसी जरूरी काम का हवाला देकर रुपए मांगे थे। इसके जब रुपए देने के लिए हां बोला तो लिंक शेयर किया। जैसे ही लिंक पर जाकर रुपए ट्रांसफर किए तो पता चला कि एक ही बार में 94 हजार रुपए चले गए। बात में पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है। डीएसपी पूर्व ने बताया है कि साइबर क्रिमिनल्स को पकडने के लिए एडीसीपी नाजिम अली, एयपोर्ट थानाप्रभारी शैफाली सांखला के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया। उक्त टीम ने जांच शुरू की तो सामने आया कि ये सभी गैंग मैवात से ऑपरेट हो रही थी। जिसके बाद पुलिस ने साइबर फ्रॉड के मामले में अलवर जिले के रामगढ़ थानान्तर्गत चोमा निवासी 24 वर्षीय अजरूद्दीन पुत्र फजरू खान और उसके साथी अलवर जिले के नोगांव थानान्तर्गत डावरी निवासी 20 वर्षीय मनीष कुमार पुत्र रामस्वरूप ओढ़ राजपूत को गिरफ्तार किया है।

इस तरह से करते थे फ्रॉड, एक लिंक से अकाउंट से रुपए छू : डीसीपी पूर्व डॉ. दुहन ने बताया है कि जब आरोपियों से ठगी के तरीके के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि किसी भी फोन नंबर को सीरीज से उठाकर उसे फोन पे पर जाकर चैक करते थे। नाम पता चलने के बाद कॉल करते और कॉलर को सीधे नाम से पुकारते थे। इसके बाद परिचित बताते और कहते कि उनके खाते से किसी को पैसे ट्रांसफर करने हैं और वे ट्रांसफर नहीं हो रहे हैं। इसलिए हम रुपए आपको फोन पे कर देते हैं आप ये रुपए आगे ट्रांसफर कर देना। पैसा मांगने की बजाय देने की बात करने पर हर कोई विश्वास कर लेता। लेकिन, इसके लिए वह एक जनरेटेड मैसेज शेयर करते और इसी लिंक के जरिए ठगी करते थे। जैसे ही वह इस लिंक पर क्लिक करते अकाउंट से रुपए खाली हो जाते।

ओडिशा और असम से लेकर आते फर्जी सिम, 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देते : पुलिस पूछताछ में साइबर क्रिमिनल्स ने बताया है कि ठगी करने के लिए ये ओडिशा, असम और नॉर्थ ईस्ट से फर्जी सिम लेकर आते थे। इनकी रेट करीब 1500 रुपए होती थी। इसके अलावा ऐसी सिम को भी देखते थे, जिन पर पहले से फोन-पे या पेटीएम की केवाईसी हो रखी हो। ये सिम करीब 3 से 5 हजार रुपए में आती थी। इन्हीं सिम के जरिए वे लोगों को अपना निशाना बनाते थे। इतना ही नहीं अकाउंट में रुपए आने के बाद एटीएम की बजाय ये पेट्रोल पंप से कैश लेते थे। इसके लिए 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देते थे। अकाउंट से ठगी के रुपए को कैश करवाने के लिए गांव के लड़कों को काम दे रखा था, उन्हें भी 20 से 30 प्रतिशत अलग से कमीशन दिया करते थे। एयरपोर्ट थानाप्रभारी शैफाली सांखला ने बताया है कि प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि ठगी से अर्जित रूपयों से इन्होंने एसयूवी कार लेने के साथ ही गांव में शानदार मकान बनवाया है और कपड़ों का शोरूम भी खोला है। पुलिस मैवाती गैंग के अन्य सदस्यों की सरगर्मी से तलाश कर रही है।

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