देवउठनी ग्यारस पर देश की शिक्षा की काशी कोटा में हुई अनोखी शादी

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शादी के मंडप पर ही नवविवाहित ने लिया मरणोपरांत देहदान का संकल्प

कोटा 23 नवम्बर : देवउठनी ग्यारस के अभूझ सावे पर आज हजारों शादियाँ हुई। लाखों लोग साक्षी बने। वहीं शादियों पर लाखों-करोड़ों खाने पर, दहेज, टेंट आदि पर खर्च भी किए। लेकिन देश की शिक्षा की काशी राजस्थान के कोटा शहर में एक जोड़े ने शादी में बिना किसी खर्चे के बेहद सादे तरीके से अनोखी शादी की।

यह शादी तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थापित मंडप पर हुई। देश के भावी डॉक्टरों के उत्तम अध्ययन के लिए अपने देहदान का संकल्प लिया। और 25 नवंबर को राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारी संख्या में लोगों से एक अच्छी सरकार बनाने के लिए मतदान करने की अपील की। ये जोड़ा है समाज सेविका सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डॉ. निधि प्रजापति और कोटा संभाग के जर्नलिस्ट अर्जुन अरविन्द का।
डॉ. निधि प्रजापति बताती है वह खुद फिजिशियन डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन किन्ही परिस्तिथियों के कारण वह चिकित्सक नहीं बन सकी। ऐसे में उन्होंने पहले पीएचडी करके अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाया, फिर अपने जीवन के नए सफ़र की शुरुआत में अपने पति को अपने शरीर को एमबीबीएस की पढाई कर रहे, डॉक्टर्स की पढाई के लिए देहदान की इच्छा जताई तो अर्जुन अरविन्द ने स्वयं भी उनके साथ मरणोपरांत देहदान करने का निर्णय लिया। डॉ. निधि प्रजापति ने कहा ये निर्णय इसलिए लिया क्योंकि सोशल मीडिया पर ऐसे कई डॉक्टर्स के विडियो अपलोड है, जिसमें उनकी तरफ से भावी डॉक्टर्स की अच्छी पढाई के लिए लोगों से मरणोपरांत अपने देहदान करने की अपील की हुई है, क्योंकि मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार एमबीबीएस की पढाई के लिए दस विद्यार्थियों पर एक कैडवर (डेड बॉडी) होना चाहिए। जबकि भारत में आज भी कैडवर जो मेडिकल विद्यार्थियों का पहला शिक्षक होता है। उसकी भारी कमी है। अकेले कोटा मेडिकल कॉलेज में ही 250 विद्यार्थियों पर केवल 8 से 10 कैडवर है, अर्थात मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन से 15 कम है, जिसकी कमी के चलते गहन अध्ययन की कमी रह जाती है। गौरतलब है कि डॉ निधि और अर्जुन पहले ही अपना नेत्रदान संकल्प ले चुके है। और एक सात फेरे लेने के तुरंत बाद ही, समाज को बड़ा संदेश देते हुए, मरणोपरांत अपना देहदान दान का संकल्प लिया, ताकि उनके इस संसार से जाने के बाद दूसरों को रौशनी मिल सके और अब एमबीबीएस विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए देहदान का संकल्प भी ले लिया।

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