भारत के वीर रखते नही उधारी है, पीओके मे जाकर हमने, ट्रिपल सेन्चुरी मारी

Share:-

भोर तक चले कवि सम्मेलन में हुई नवरस की बरसात
बारां 08 अक्टूबर। शनिवार की रात्रि डोल मेला रंगमंच पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य के नव रसों की ऐसी बरसात हुई कि भोर पांच बजे तक दर्शक कविताओं का आनन्द लेते रहे। वीर और हास्य रस के कवियों ने बड़ी शिद्दत के साथ दर्शकों को बांधे रखा।
सर्वप्रथम कवियत्री मोनिका हटिला की सरस्वती वन्दना के बाद मंच संचालक बु़िद्धप्रकाश दाधीच के कुशल संचालन में प्रतापगढ़ के हास्य पेरोड़ी कवि नवीन पार्थ ने सम्मेलन की आधारशिला रखी। उन्होने फिल्मी गानों पर गढ़ी पेरोड़ियों पर दर्शकों को व्यंग्य के जरीये खूब गुदगुदाया। नवीन ने राजनीति पर व्यंग्य करते हुए कुर्सी के नीचे माल दबा के रखा है, उठा दुं तो हंगामा हो। यूपी के अंदर क्या है, यूपी के बाहर क्या है…. पर दाद पाई तो जयपुर के वीररस के कवि अशोक चारण ने अपनी रचनाओं से दर्शकों में जोश भरा। उन्होने – भारत के वीर रखते नही उधारी है, पीओके मे जाकर हमने, ट्रिपल सेन्चुरी मारी है से पांडाल में तालियां का पहाड़ खड़ा कर दिया। बारूदी विस्फोट हुआ, बापू की लकड़ी टूट गई, ना जाने कितने घरों की तुलसी अपनों से ही रूठ गई जैसी लाईनों से दर्शकों को भावुक कर दिया। मंच पर आये मध्यप्रदेश के जोनी बैरागी ने हास्य व्यंग की फुलझड़ियां छोड़कर अपनी मेराथन पारी खेली। बुझ ही नही सकती ये आग, ये लगी नही, लगाई गई है कुछ मेरा जल गया, कुछ तेरा जल गया, जिसने फुंक मारी उसका क्या जल गया से मौजूदा राजनीति पर करारे तंज कसे।
मध्य दौर में मंच पर आये सुरेन्द्र यादवेन्द्र ने अपने चिर परिचित अंदाज में छंदो के माध्यम से दर्शकों में उत्साह भरा। भारत की आन बान के लिए, हम मरेंगे हिन्दुस्थान के लिए जैसी लाईनों से कवि सम्मेलन को ऊंचाईयां प्रदान की। अंता के कवि देवेन्द्र वैष्णव ने भारत माता की जय तो एक बाप वाला ही बोलेगा से देश भक्ति का जज्बा जगाया और हास्य की रचनाएं सुनाकर मंच पर अपनी जगह बनाई। नैनीताल की गौरी मिश्रा ने अपने ही अंदाज में गीत गजलों के माध्यम से श्रौताओं का मन मोह लिया। गुलाबी नोट से ज्यादा, गुलाबी गाल कर दूंगी, मै अपनी मोहब्बत तुम्हें मालामाल कर दंूगी पर उन्हे दाद मिली तो गुजरात की मोनिका हटिला ने बेटियों का महत्व बताते हुए मोतियों सा संभालकर रखना बेंटिया घर की शान होती है से कवि सम्मेलन में श्रृंगाररस घोला।
संचालक बुद्धिप्रकाश और गौरी मिश्रा की तीखी नौकझोंक पर भी दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। दाधीच ने कटाक्ष करते हुए गुल गुलशन महकते जहान देखे है, हमने मुश्किल मे सिंकदर महान देखे है जैसी रचनाओ ंसे सम्मेलन को अद्भूद बना दिया। कवि रमेश मुस्कान, नरेश नागर, नीरज साहिल और मारूति नन्दन ने भी अपने काव्य पाठ से श्रौताओं के दिल में अपनी जगह बनाई।
कार्यक्रम की शुरूआत में मंच पर पहुंचे अतिथि वंदना नागर, रामेश्वर नागर, दिनेश नैनीवाल सहित कोई दो दर्जन जनप्रतिनिधियों सहित कवियों का डोलमेलाध्यक्ष शिवशंकर यादव, पूर्व डोलमेलाध्यक्ष प्रदीप विजय, तरूणा सुमन, ओम राठी, पुरूषोत्तम नागर, जितेन्द्र शर्मा, जाकिर खान, मनोज ओझा, लीलाधर सुमन समेत अन्य पार्षदों ने माल्यापर्ण कर स्वागत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *