भगवान को भूल जाना सबसे बड़ी विपत्ति – आचार्य अभिषेक

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धौलपुर। भगवान की याद बने रहना ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है और भगवान को भूल जाना ही सबसे बड़ी विपत्ति है। ये बात सिटी जुबली हॉल के पास स्थित श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य अभिषेक उपमन्यु ने कही। कुंती प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि कुंती ने भगवान से वरदान में दुख और विपत्ति की मांग की थी। सुख में लोग भगवान को भूल जाते हैं और दुखों में विपदा के समय प्रभु का सदैव स्मरण करते हैं। इसीलिए कुंती ने भगवान से सदैव दुख और विपत्ति की मांग की।

कथा व्यास उपमन्यु ने शुक्रवार को परीक्षत प्रसंग, शुकदेव जन्म, कुंती स्तुति और भीष्म स्तुति का संगीतमय वर्णन करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत दिव्य कल्पतरु है। यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं बल्कि साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक-एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है।

उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। कथा सुनकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा की समाप्ति पर महंत रामदास महाराज, परीक्षत यशोदा शर्मा, बनवारीलाल शर्मा, राजेश व्यास, सत्यदेव, लखनलाल, रविकांत, द्रोण वशिष्ठ आदि ने कथापीठ की आरती की।

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