राजस्थान भाजपा नेता प्रतिपक्ष के चयन पर चुप ? चुनावी साल में इस फार्मूले पर चल रहा काम…

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एक पखवाड़े बाद भी राजस्थान में खाली है नेता प्रतिपक्ष का पद खाली, रेस में कई नाम लेकिन आलाकमान के लिए आसान नहीं काम..

जयपुर से मीना शर्मा

12 फरवरी २०२३ को तत्कालिक नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल मनोनीत किया गया। कटारिया ने बुधवार को राज्यपाल के पद को ग्रहण कर लिया लेकिन इस बीच बीजेपी राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष पद पर किसी भी नेता का नाम तय नहीं कर पाई। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि चुनावी वर्ष में नेता प्रतिपक्ष का पद काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। जिसे इस पद की जिम्मेदारी मिलती है उसे ही चुनाव में पार्टी का बड़ा फेस माना जाता है। यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान द्वारा इस मामले में निर्णय में कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है।

राजे समेत यह नेता है रेस में-

नेता प्रतिपक्ष की रेस में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, जोगेश्वर गर्ग और ज्ञानचंद पारख के नाम चर्चा में है लेकिन निर्णय जातिगत समीकरण को साधते हुए ही लिया जाएगा जो कि विधानसभा चुनाव की दृष्टि से पार्टी के लिए सियासी रूप से फायदेमंद हो। हालांकि सतीश पूनिया एक बार के विधायक है और वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष है। ऐसे में उन्हें दूसरे पद पर मौका मिले इसकी संभावना कम ही है।

इस फार्मूले पर चल रहा मंथन-

हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजनीतिक सक्रियता काफी बढ़ गई है। जिलों में उनके दौरे और समर्थकों की भीड़ भी कई सियासी संकेत दे रही है। राजे प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी है और बीजेपी के मौजूदा विधायकों में उनके समर्थकों की संख्या काफी है। वहीं इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और किसी भी प्रकार की नियुक्ति पर होने वाले संभावित विवाद का रिस्क फिलहाल पार्टी लेने के मूड में नहीं है। इस बीच प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष के अतिरिक्त कार्यभार की जिम्मेदारी देकर काम चलाया जा सकता है। ऐसे भी मौजूदा बजट सत्र के बाद संभावित एक सत्र और हो सकता है और उसके बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार भाजपा इस फार्मूले को भी अपना सकती है।

जोशी, शेखावत और राजे नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद संभाल चुके है सीएम की कुर्सी-

राजस्थान विधानसभा में ऐसे कई नेता है जो नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अगले चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पर पहुंचे हैं। इनमें हरिदेव जोशी ,भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे का नाम शामिल है। यही कारण है कि चुनावी वर्ष में नेता प्रतिपक्ष का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के रूप में भाजपा के पास करीब 70 विधायक है वही राजस्थान की सियासत में हर 5 साल बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता बदलती आई है।

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