महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि महिला का बांझपन तलाक का आधार नहीं हो सकता। दरअसल, साल 2017 में पति ने पत्नी के बांझपन के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बनने के कई विकल्प हैं। इन परिस्थितियों में एक व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा रहना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि बांझपन के कारण मेंटल और फिजिकल हेल्थ संबंधित समस्याओं से जूझ रही पत्नी को छोड़ना ‘मानसिक क्रूरता’ माना जाएगा।

इसके साथ ही कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज की।

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