आदिवासियों की जमीन बेचकर भूमाफिया बन गए करोड़पति

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उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा का कहना: ईडी के जरिए जांच कराने की पहल में जुटा हुआ हूॅं
उदयपुर। गरीब आदिवासियों को झांसे में लेकर उनकी जमीनें बेच—बेचकर भूमाफिया करोड़पति बन गए। ऐसा उदयपुर शहर के आसपास ही नहीं, बल्कि जिले के सूदूर क्षेत्रों में भी हो रहा है। सक्रिय भूमाफिया इसमें आदिवासी व्यक्ति को मोहरा बनाकर यह सब कर रहे हैं। इससे ना केवल आदिवासियों को बड़ा नुकसान हो रहा, बल्कि अरावली का दोहन होने से समूचे अंचल में पर्यावरणीय खतरा बढ़ता जा रहा है। वह इस मामले में ईडी के जरिए जांच के लिए प्रतिबद्ध होकर काम में जुटे हैं।
उदयपुर सांसद अर्जु्नलाल मीणा ने पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल से हुई बातचीत में कहा कि आदिवासियों की जमीन को खरीदते समय आड़ किसी आदिवासी की ही ली जाती है, जो कहीं सुदूर क्षेत्र का होता है और डमी होता है। कुछ औने-पौने दामों में वे आदिवासी अपने ही भाइयों को बड़ा नुकसान दे रहे हैं।
सांसद मीणा बोले हर दिन मिल रही एक दर्जन शिकायतें
उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा का कहना है कि आदिवासी अंचल का सांसद और आदिवासी समाज से होने के कारण हर दिन एक दर्जन शिकायतें ऐसी मिल रही है, जिसमें उनकी जमीन औने-पौने दाम में बिक गई। वह चाहते हैं कि आदिवासी को उसकी जमीन का पूरा लाभ मिले।
महुआ को हेरिटेज लिकर ब्रांड बनाने के प्रयास जारी
सांसद मीणा का कहा कि जिस तरह गोवा में काजू फैनी नीतिगत हो सकती है तो आदिवासी अंचल का प्राकृतिक पेय महुआ को हेरिटेज लिकर के रूप में नीतिगत क्यों नहीं किया जा सकता। महुआ आदिवासी जीवन संस्कृति का हिस्सा है। इसके लिए वे प्रयास कर रहे हैं। औषधीय गुणों से भरपूर महुआ फल बेहद लाभकारी है और एक दिन के महुआ के रस को सामान्य तौर पर पिया जा सकता है। तीन दिन पुराने महुआ के रस की शराब बनती है। सांसद ने कहा कि वे महुआ से जूस और शराब बनाने की विधियों का पेटेंट कराने का भी सोच रहे हैं और इसका आईएसओ भी कराएंगे। आदिवासी अंचल में महुआ के लड्डू और महुआ के ढेकले जब पर्यटकों को परोसे जाएंगे तो वे इसका स्वाद कभी भूल नहीं पाएंगे। जहां तक महुआ की शराब की गंध की बात है तो पिण्ड खजूर, सौंफ और इलायची के उपयोग से यह समस्या दूर हो जाती है।
प्रलोभन से धर्मांतरण आदिवासियों से मजाक
आदिवासी समाज में धर्मान्तरण के सवाल पर सांसद मीणा ने कहा कि देश के सभी सांसदों का मत है कि धर्मान्तरण आदिवासियों के साथ मजाक है। यह प्रलोभन से किया जा रहा है। इसका नुकसान आदिवासी संस्कृति को ही है और उनके अधिकारो को भी। मामूली लालच में आदिवासी जब अपना धर्म ही बदल रहा है तब उसे सरकारी दोहरा लाभ क्यों मिले। दोहरा लाभ बंद किया जाना चाहिए। आदिवासी सनातन हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग है, उसे प्रलोभन देकर भ्रमित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आड़ में कुछ लोग राजनीतिक रोटियां भी सेक रहे हैं जो आदिवासी के बीच अन्य समाजों को बुरा-भला इस सोच से कहते हैं कि इससे आदिवासी उनसे जुड़ेंगे, लेकिन अब आदिवासी समाज भी इस मनभेद बढ़ाने वाली राजनीति को समझने लगा है।

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