जयपुर, 17 मार्च (ब्यूरो): चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 3 संभाग और 19 नए जिले बनाने की घोषणा कर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। पक्ष और विपक्ष के कई विधायक जिले बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन यह अनुमान नहीं था कि गहलोत इतनी बड़ी संख्या में जिले घोषित कर देंगे। हालांकि, इस घोषणा के बाद भी कई क्षेत्र रह गए, जो लंबे समय से सरकार से जिला बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें आज भी निराशा हाथ लगी है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि गहलोत का यह दांव कही उलटा ना पड़ जाए।
नए जिलों की घोषणा सिर्फ प्रशासनिक ही नहीं राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है। इसके जरिए गहलोत ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। एक तरफ जहां उन्होंने नए जिले बना कर बहुत बड़े मतदाता वर्ग को खुश किया है, वहीं बड़ी संख्या में विधायकों की मांग पूरी कर खुद को भी मजबूत किया है। सबसे अहम बात यह है कि एक साथ इतने जिले घोषित कर उन्होने खुद का नाम इतिहास में दर्ज करा लिया। इस घोषण को बरसों तक याद किया जाएगा। पार्टी दिसम्बर में चुनाव में जाने वाली है और इस घोषणा का पार्टी पूरा राजनीतिक लाभ लेना चाहेगी, क्योंकि इस दौरान भाजपा भी कई बार सत्ता में रही, लेकिन इतनी संख्या में जिले घोषित नहीं कर पाई। ऐसे में अब भाजपा के पास इस मुद््दे पर कहने के लिए ज्यादा कुछ रहेगा नहीं।
कांगे्रस ही नहीं भाजपा के कई विधायकों की मांग भी पूरी :
जो नए जिले बनाए गए है, उनमें कांगे्रस और समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों के साथ ही भाजपा के भी कई विधायकों को संतुष्ट किया गया है। इस सूची को देखें तो अनूपगढ़ से भाजपा की संतोष देवी, ब्यावर से शंकर सिंह रावत जो लम्बे समय से यह मांग उठा रहे थे, शाहपुरा से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, फलौदी से पब्बाराम विश्नोई, सलूम्बर से अमृतलाल मीणा शामिल हैं। इनके अलावा अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जयपुर उत्तर और दक्षिण में कौनसी तहसीलें शामिल होंगी, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से अनुमान लगाया जाए तो जयपुर उत्तर में आमेर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, चौमूं से रामलाल शर्मा, वहीं जयपुर दक्षिण में सांगानेर से अशोक लाहोटी को नया जिला मिला है।
समर्थन देेने वाले निर्दलीय भी किए खुश :
गहलोत ने सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलियों में से गंगापुर सिटी से रामकेश मीणा, दूदू से बाबूलाल नागर, बहरोड़ से बलजीत यादव को खुश किया गया है। इनके अलाावा खैरथल को जिला बनाकर बसपा से आए दीपचंद खेरिया की मांग पूरी की गई है।
वहीं कांग्रेस विधायकों की बात करें तो केकड़ी से पूर्व मंत्री रघु शर्मा, बालोतरा से मदन प्रजापत जो लम्बे समय अपनी मांग को लेकर नंगे पैर घूम रहे थे, डीग से मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, डीडवाना से चेतन डूडी, कोटपूतली से मंत्री राजेन्द्र यादव जिन्होंन कुछ समय पहले इस्तीफे तक की धमकी दे दी थी, सांचौर से सुखराम विश्नोई और नीमकाथाना से सुरेश मोदी की मांग को पूरा किया गया है।
संभाग मुख्यालयों में एक जगह कांग्रेस और एक जगह भाजपा का वर्चस्व :
जिन तीन जिलों को संभाग मुख्यालय का दर्जा दिया गया है, इनमें सीकर में पूरी तरह से कांगे्रस का कब्जा है। यहां की आठ में से सात सीटें कांग्रेस के पास है, वहीं एक सीट निर्दलीय महादेव सिंह की है जो पूर्व कांग्रेसी हैं। इसके उलट पाली में भाजपा का कब्जा है। पाली की छह सीटों में से पांच पर भाजपा है, जबकि एक निर्दलीय खुशबीर सिंह के पास है जो पूर्व कांग्रेसी हैं। वहीं बांसवाड़ा में पांच में से दो सीट कांग्रेस के पास और दो भाजपा के पास है, जबकि एक पर निर्दलीय रमीला खडिया हैं जो कांग्रेस को समर्थन दे रही हैं।
साठ तहसीलों से आ रही थी मांग :
प्रदेश के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की 60 तहसीलें ऐसी थीं, जहां से जिले के दर्जे की मांग उठ रही थी। जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर में सबसे ज्यादा 4 तहसीलों से नए जिले की मांग उठी थी, जबकि अजमेर, उदयपुर, पाली और नागौर से 3-3 तहसीलें जिले का दर्जा चाहती थी। नए जिलों के गठन को लेकर लगातार उठ रही मांग के बीच गहलोत सरकार ने पूर्व आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में 5 मई, 2022 को उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई। कमेटी के पास करीब 60 से अधिक जिलों के प्रस्तावों आए थे, जिसमें से 19 जिलों की घोषणा हुई।
इनकी रही ख्वाहिश अधूरी :
जयपुर के सांभरलेक, शाहपुरा, फुलेरा, विराटनगर, सीकर के फतेहपुर शेखावाटी, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनंू का उदयपुरवाटी, अलवर के खैरथल, भिवाड़ी, नीमराणा, बाड़मेर का गुडामालानी, जैसलमेर का पोकरण, अजमेर का मदनगंज-किशनगढ़, नागौर के मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू के सुजानगढ़, रतनगढ़, सुजला क्षेत्र सुजानगढ़, जसवंतगढ़ और लाडनूं क्षेत्र को मिलाकर सुजला के नाम से जिला, श्रीगंगानगर के सूरतगढ़, घड़साना, श्री विजयनगर, हनुमानगढ़ से नोहर, भादरा, बीकानेर का नोखा, कोटा का रामगंज मंडी, बारां का छाबड़ा, झालावाड़ का भवानीमंडी, भरतपुर का बयाना, कामां और नगर को जिला बनाने की मांग की जा रही थी, लेकिन यहां के लोगों की यह हसरत पूरी नहीं हो पाई है।
समिति का कार्यकाल बढ़ाया, लेकिन अचानक कर दी घोषणा :
सरकार ने नए जिलों के लिए पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में जो समिति बना रखी थी, उसका कार्यकाल हाल मेंं ही बढ़ाया गया था। इससे यह संकेत मिले थे कि नए जिलों की घोषणा अभी छह माह और टलेगी, लेकिन इस बीच अचानक सीएम ने अंतरिम रिपोर्ट आने की बात कह कर नए जिले घोषित कर दिए। माना जा रहा है कि चूंकि इससे बड़ा मौका बाद मेंंं नहीं मिलता और छह माह बाद घोषणा की जाती तो उसे चुनावी घोषणा ही माना जाता, ऐसे में सीएम ने बजट पर जवाब को ही उचित समय मान कर इसकी घोषणा कर दी।