अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव बताए क्यों नहीं की पांच साल में भी आदेश की पालना

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जयपुर, 17 अक्टूबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के पांच साल बीतने के बावजूद भी चिकित्सा विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को बकाया वेतन का भुगतान नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य सचिव को 19 अक्टूबर को हाजिर होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने एसीएस को शपथ पत्र पेश कर यह बताने को कहा है कि अदालती आदेश के बावजूद भी बकाया भुगतान क्यों नहीं किया गया। वहीं अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि इस दौरान आदेश की पालना कर ली जाती है तो एसीएस को पेश होने की जरूरत नहीं है। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश रसमुद्दीन व अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आदेश की पालना के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बीते करीब पांच साल में भी विभाग ने आदेश की पालना में बकाया भुगतान नहीं किया है। ऐसे में यदि बकाया भुगतान नहीं किया जाता है तो विभाग के एसीएस अदालत में हाजिर होकर अपना जवाब पेश करें।
अवमानना याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सीएचसी, भिवाडी में संविदा पर नियुक्त हुए थे। विभाग ने अक्टूबर, 2018 में आदेश जारी की इनकी सेवाएं समाप्त कर की दी। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में लेने और बकाया वेतन देने के आदेश दिए। इसके बावजूद भी विभाग ने याचिकाकर्ताओं को न तो पुन: सेवा में लिया और ना ही बकाया भुगतान किया गया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत में अवमानना याचिका पेश की। जिस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अदालत ने विभाग के अवमाननाकर्ता अफसरों को नोटिस जारी कर तलब किया। इस पर विभाग ने याचिकाकर्ताओं को पुन: सेवा में ले लिया, लेकिन बकाया भुगतान नहीं किया गया। इस पर अदालत ने विभाग के एसीएस को तलब किया है।

वरिष्ठता की गणना 25 साल पहले से तो शिक्षक को पुरानी पेंशन क्यों नहीं

जयपुर, 17 अक्टूबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक और सवाई माधोपुर डीईओ से पूछा है कि याचिकाकर्ता शिक्षक की वरिष्ठता की गणना जब वर्ष 1998 से की गई है तो उसे पुरानी पेंशन योजना का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश हनुमान प्रसाद गुर्जर की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 1998 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में आवेदन किया था, लेकिन मामला शैक्षणिक योग्यता के चलते अदालत में अटक गया। हाईकोर्ट ने जुलाई, 2006 में याचिकाकर्ता को शिक्षक पद पर नियुक्ति देने को कहा। जिसकी पालना में विभाग ने बीस मई, 2008 को याचिकाकर्ता को नियुक्ति दे दी। इस पर याचिकाकर्ता ने अदालत में याचिका पेश कर वर्ष 1998 से वरिष्ठता और परिलाभ दिलाने की गुहार की। इस पर हाईकोर्ट ने दस सितंबर 2021 को विभाग को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन तय करने को कहा। ऐसे में विभाग ने सितंबर, 2022 में याचिकाकर्ता को वर्ष 1998 से वरिष्ठता का लाभ दे दिया, लेकिन नियुक्ति पत्र का अंशदायी पेंशन योजना लागू कर दी। इसे याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका में कहा गया कि अंशदायी पेंशन योजना वर्ष 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही लागू है। विभाग ने याचिकाकर्ता की वरिष्ठता वर्ष 1998 से मानी है तो फिर उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए था। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

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